नमो देव्यै महा देव्यै : पति खोया, रीता ने धैर्य व साहस नहीं

नमो देव्यै महा देव्यै इनर व्हील क्लब की डिस्ट्रिक्ट वाइस चेयरमैन रीता झा बताती हैं कि इस बीच मैंने अपने बेटे-बेटी का भी ख्याल रखा। बेटी आरती गौतम अमेरिका में योग प्रशिक्षक है जबकि बेटा अवनीत गुड़गांव में अधिवक्ता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 05:54 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 05:54 PM (IST)
नमो देव्यै महा देव्यै : पति खोया, रीता ने धैर्य व साहस नहीं
रीता झा दृढ़ता व साहस की प्रतिमूर्ति हैं।

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। रोटरी व इनर व्हील क्लब में करीब 29 वर्ष से जुड़ी रीता झा दृढ़ता व साहस की प्रतिमूर्ति हैं। इन क्लबों के माध्यम से समाजसेवा में इन्होंने कई ऐसे काम किए, जिसकी प्रशंसा इनकी सहकर्मी भी करती हैं। इनके साहस को हाल में लोगों ने तब देखा, जब कोरोना की दूसरी लहर में इनके पति शेखर झा का निधन हो गया। कोरोना के खौफ से कंधा देने के लिए ना कोई पड़ोसी आया, ना रिश्तेदार। ऐसे समय में इन्होंने अकेले पति का अंतिम संस्कार से लेकर सारा काम किया। बिना धैर्य खोए, सामान्य रहकर इन्होंने जो किया, वह सचमुच प्रशंसा के योग्य है।

मानगो निवासी रीता बताती हैं कि आमतौर पर भारतीय महिलाओं को घर-परिवार से फुर्सत नहीं मिलती है। समय मिलता भी है तो घर से अकेले निकलने में झिझकती हैं। लेकिन स्वर्गीय पति की प्रेरणा से 1992 में रोटरी क्लब से जुड़ गई थी। 1996 से इनर व्हील क्लब ऑफ जमशेदपुर में चार्टर मेंबर हूं। इस बीच कैंसर पीड़ितों के लिए काम किया, तो कदमा स्थित एयरबेस कालोनी के जागृति स्कूल में गरीब बच्चों को पढ़ाने लगी। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें पेंटिंग, क्राफ्ट मेकिंग, मेहंदी डिजाइन आदि सिखाया। इनमें से कुछ बच्चे आज कालेज में पढ़ रहे हैं। इससे बड़ी बात कि वे अपनी पढ़ाई का खर्च उसी हुनर से निकाल रहे हैं, जो उन्होंने जागृति स्कूल में सीखा था। उन्हें आज अपने पैरों पर खड़ा देखकर काफी संतोष होता है। इसके अलावा सोनारी के एक सरकारी मिडिल स्कूल में विधायक सरयू राय से आग्रह करके वहां बच्चों के लिए कई सुविधा दिलाई। इनर व्हील क्लब की डिस्ट्रिक्ट वाइस चेयरमैन रीता झा बताती हैं कि इस बीच मैंने अपने बेटे-बेटी का भी ख्याल रखा। बेटी आरती गौतम अमेरिका में योग प्रशिक्षक है, जबकि बेटा अवनीत गुड़गांव में अधिवक्ता है।

12 अक्टूबर : सप्तम, मां कालरात्रि : जननी, पालनकर्ता, परिश्रमी और दृढ़ता के स्वरूप के बाद परिवार की रक्षा के लिए साहस की मूर्ति बनकर सामने आने वाली स्त्रियों में मां का यह स्वरूप दिखता है।

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