पहली बार एके-47 छोड़कर भागे नक्सली
घाटशिला : बैकफुट पर जा रहे नक्सली संगठन के लिए क्षेत्र में वापस पांव पसारना एक बड़ी चुनौत
घाटशिला : बैकफुट पर जा रहे नक्सली संगठन के लिए क्षेत्र में वापस पांव पसारना एक बड़ी चुनौती बन गई है। गुड़ाबांधा क्षेत्र के हार्डकोर नक्सली कान्हू मुंडा, फोगड़ा मुंडा के साथियों संग सरेंडर से नक्सली संगठन में खलबली मच गई। इसके बाद कई नक्सली या तो भूमिगत हो गए या फिर बंगाल व झारखंड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इससे गुड़ाबांधा व घाटशिला के सीमांचल क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियां रूक सी गई थी। संगठन से जुड़े लोग पुलिस के भय से या तो संगठन से नाता तोड़ लिया या फिर जंगलों में मारे फिर रहे हैं।
नक्सली एक बार फिर गुड़ाबांधा व घाटशिला के बासाडेरा, धारागिरी समेत सीमांचल क्षेत्रों में अपने वर्चस्व कायम रखने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए। नक्सली संगठन वापस ग्रामीणों के बीच अपने भरोसे को कायम कर संगठन खड़ा करना चाह रहे हैं, लेकिन अब यह चुनौती भरा कदम होगा। पुलिस के दबिश व जागरूकता के कारण अब युवा इससे किनारे कट रहे हैं। शुक्रवार को गालूडीह थाना क्षेत्र के कियाझरना पहाड़ पर पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में नक्सली बैकफुट पर आ गए और एके 47 हथियार छोड़ भाग खड़े हुए। पुलिस के लिए यह एक बड़ी सफलता थी। पुलिस के अनुसार वहां नक्सली के आला कमांडर बैठक कर रहे थे। पुलिस को आते देख फाय¨रग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाला तो नक्सलियों ने पीछे हटना ही मुनासिब समझा। यह एक पहली घटना है,जब नक्सलियों ने सबसे भरोसेमंद हथियार एके-47 को छोड़कर भाग निकले। अब कई मुठभेड़ में पुलिस को या तो छोटे हथियार या फिर गोलियां व अन्य सामान मिलते थे। संगठन के पास बंदूक गोलियों तक का अभाव चल रहा है। उस परिस्थिति में एके-47 जैसे बड़े हथियार को छोड़कर भाग निकलना एक सवाल खड़ा करता है। एके-47 जैसे हथियार कुछ ही बड़े नक्सली नेताओं के पास होती है। इससे स्पष्ट होता है कि कियाझरना में जब मुठभेड़ हुई तो उस समय कोई बड़ा नक्सली नेता पहाड़ की शरण में रणनीति बना रहा था।