सरयू ने टाटा लीज समझौते पर उठाए गंभीर सवाल, दिए सुझाव

टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 पर गंभीर सवाल उठाते हुए विभाग को कई सुझाव भी दिए हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 10:46 PM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 11:10 AM (IST)
सरयू ने टाटा लीज समझौते पर उठाए गंभीर सवाल, दिए सुझाव
सरयू ने टाटा लीज समझौते पर उठाए गंभीर सवाल, दिए सुझाव

जमशेदपुर(जासं)।  झारखंड सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति एवं सार्वजनिक मामलों के मंत्री सरयू राय ने सोमवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को एक पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 पर गंभीर सवाल उठाते हुए विभाग को कई सुझाव भी दिए हैं। साथ ही अपने पत्र में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली, जनता की तकलीफ, जमशेदपुर अक्षेस की वैधानिकता पर सवाल उठाया हैं।

वहीं, उन्होंने लीज समझौते को धरातल पर उतारने के लिए एक सशक्त प्रशासनिक ढ़ांचा तैयार करने की मांग की है। सरयू राय ने इस पत्र में 11 अक्तूबर 2018 को अपने कार्यालय में हुई औपचारिक वार्ता से सचिव को स्मरण कराया है। कहा है कि झारखंड सरकार और टाटा स्टील लिमिटेड के बीच हुए टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप जमशेदपुर की जनता को जनसुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। विधिनुसार राज्य के सभी शहरी क्षेत्रों में जनसुविधाएं उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य सरकार के सहयोग से संबधित नगरपालिकाएं करती है।

लेकिन जमशेदपुर में राज्य सरकार और तत्कालीन टिस्को (टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी लिमिटेड) के बीच एक अगस्त 1985 को हुए लीज समझौता के अनुरूप यह दायित्व टिस्को को दिया गया था। इसी तर्ज पर ही 20 अगस्त 2005 को झारखंड सरकार और टाटा स्टील लिमिटेड के बीच लीज समझौते का नवीकरण हुआ। इसमें भी जनसुविधाओं का दायित्व टाटा के ही जिम्मे रहा। लेकिन लीज प्रावधानों की अनदेखी हो रही है इसलिए टाटा लीज समझौते को प्रभावी बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता में नहीं है तो क्षेत्र की जनता के लिए वैकल्पिक जनसुविधाएं उपलब्ध कराते हुए लीज नवीकरण समझौते में ही संशोधन कर दें।इस पूरे मामले में टाटा स्टील प्रबंधन ने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।

पांच बिंदुओं पर उठाया सवाल

सरयू राय ने अपने पत्र में इस लीज नवीकरण समझौते के पांच बिंदुओं पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि लीज नवीकरण समझौता 2005 के पेज 4 और 26 पर (कंडिका 17) पर इसका उल्लेख है कि नागरिक सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकार ने टाटा स्टील को दो रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन उपलब्ध कराया है। लेकिन प्रश्न उठता है--

1. क्या लीजधारी टाटा स्टील लिमिटेड जमशेदपुर के नागरिकों को जनसुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लीज नवीकरण समझौता 2005 का अनुपालन कर रही है?

2. क्या राज्य सरकार ने टाटा स्टील लिमिटेड से इस समझौता का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिये कोई तंत्र स्थापित किया है ?

3. टाटा लीज समझौता हुए 30 वर्ष और इसका नवीकरण हुये 13 वर्ष बीत गए। क्या राज्य सरकार ने इस अवधि में कोई समीक्षा अथवा सर्वेक्षण कराया है कि जमशेदपुर के नागरिकों को उपलब्ध कराए जा रहे नागरिक सुविधाओं का किस गुणवत्ता से टाटा स्टील कितना अनुपालन कर रही है?

4. ऐसा नही कि इस अवधि में मेरे सहित जमशेदपुर के नागरिकों द्वारा समझौता का सही रूप में अनुपालन नही होने और टाटा स्टील द्वारा कई जनसुविधाएं उपलब्ध कराने से हाथ खींच लेने की शिकायतें सरकार से नही हुई हैं। क्या इन शिकायतों पर कोई कारवाई सरकार के स्तर से की गई है?

5. क्या टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 के विधिवत अनुपालन के संबंध में राज्य सरकार ने ऐसी कोई व्यवस्था की है जहा नागरिक सुविधाओं में अन्याय/अनियमितता से पीड़ित कोई नागरिक अपनी शिकायत लेकर जाए ताकि वहाँ से शिकायत का समुचित निपटारा हो सके?

मिशनरी कमजोर, भुगत रही है जनता

सरयू राय का दावा है कि उनके द्वारा उठाए गए सभी प्रश्नों का उत्तर नकारात्मक है। इसका खामियाजा जमशेदपुर के कई इलाकों में रहने वाले नागरिकों, खासकर बस्तियों में रहने वाले कमजोर वर्ग लंबे समय से भुगतने को मजबूर है। राज्य के नागरिकों को गुणवतापूर्ण नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है जिसे पूरा करने का भार शहरी क्षेत्रों मे नगरपालिकाओं पर है। लेकिन जमशेदपुर में विधिवत गठित नगरपालिका ही नही है। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र के नाम से एक व्यवस्था यहाँ संचालित है लेकिन वह भी संविधान के 74वें संशोधन के बाद वैधानिक नही रह गई है।

समझौता नहीं है विधि अनुकूल, दिया सुझाव

सरयू राय का दावा है कि नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति के अतिरिक्त टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 में कंडिका 8 की वैधानिकता सहित अन्य मुद्दें भी हैं। जो व्यापक राज्यहित, जनहित व विधि अनुकूल नहीं हैं। इस बारे में मैंने खुद कई बार राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। लेकिन अब तक समझौते के प्रावधानों के अनुरूप नागरिक सुविधाएं नहीं मिल रही है।

सरयू ने दिए ये सुझाव

1. नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार, टाटा लीज नवीकरण समझौता 2005 के क्त्रियान्वयन की व्यापक समीक्षा/सर्वेक्षण करे।

2. पता करे कि लीज नवीकरण समझौता 2005 में दर्ज कितनी नागरिक सुविधाएं किन किन क्षेत्रों में टाटा स्टील लिमिटेड द्वारा जमशेदपुर के नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही है? कौन से क्षेत्र अभी तक इनसे वंचित हैं? कितनी नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति मे किस हद तक कटौती या वृद्धि की गई है और कितनी नागरिक सुविधाएं एकतरफा बंद कर दिया गया है?

3. लीज समझौता के प्रावधानों का उलंघन करने के संबंध में सरकार जिम्मेदारी सुनिश्चित करे। इससे नागरिकों को हुए नुकसान और परेशानियों का आकलन करे.

4. नागरिक सुविधाओं के संदर्भ में लीज समझौता को विधिवत लागू कराने के लिए राज्य सरकार एक अधिकार प्राप्त सशक्त प्रशासनिक ढाँचा स्थापित करे। इसके लिये आवश्यक हो तो लीज समझौता में आवश्यक संशोधन किया जाय.

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