मासूम के पास नहीं थे पैसे, चिकित्सकों ने सर्जरी कर बचा ली जान
दर्द से तड़प रहे इस मासूम पर अगर धरती के भगवान की नजर नहीं पड़ती तो शायद उसकी जान चली जाती।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : दर्द से तड़प रहे इस मासूम पर अगर 'धरती के भगवान' की नजर नहीं पड़ती तो शायद उसकी जान चली जाती। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बीते गुरुवार की शाम करीब 5.10 बजे गंभीर अवस्था में चाईबासा से ज्योति हेम्ब्रम (पांच) को लाया गया। वह दर्द से तड़प रहा था। इस दौरान डॉक्टर ड्यूटी रूम में मौजूद थे और मरीज को बाहर रखा गया था। तभी इमरजेंसी विभाग में मौजूद एक डॉक्टर की नजर मरीज पर पड़ी तो वह तुरंत उसे देखने पहुंचे। इस दौरान मरीज की स्थिति गंभीर देख उन्होंने सर्जरी विभाग के अन्य चिकित्सकों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद सर्जन डॉ. हमीद रजा खान अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पाया कि मरीज को तत्काल सर्जरी की जरूरत है। इसकी सूचना उन्होंने सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर हांसदा को दी। वह भी तत्काल मौके पर पहुंचे। इसके साथ ही और भी संबंधित डॉक्टरों को बुला लिया गया। इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया शुरू हुई और दो घंटे के अंदर मरीज का सारा जांच कराकर उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। करीब एक घंटे तक सर्जरी चली और बच्चे की जान बच गई। मरीज को हर्निया के साथ-साथ उसकी आंत भी सड़ गयी थी। जिसे काट कर बाहर निकाल दिया गया। आश्चर्य की बात यह भी है कि जिस वक्त मरीज को सर्जरी करने के लिए ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, उस दौरान कुछ उपकरण व दवा की जरूरत थी। अस्पताल में यह दवा नहीं थी, इसे देखते हुए चिकित्सकों ने मरीज के परिजनों को बाहर से लाने को कहीं। परिजन के पास पैसा नहीं था, वह हाथ खड़ा कर दिए। इसके बाद डॉक्टरों ने खुद अपने पैकेट से एक हजार रुपये निकाल कर दिया और दवा मंगाया। तब जाकर मरीज का सर्जरी हुआ और उसकी जान बची। बच्चा अभी सर्जरी विभाग के आईसीयू में भर्ती है। इस प्रयास को देखते हुए शनिवार को एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार व उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी ने बधाई दिया। डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी ने कहा कि इस तरह के सामूहिक प्रयास से अस्पताल की छवि तो सुधरेगी ही, मरीजों को बेहतर चिकित्सा भी मिलेगी। उपाधीक्षक ने कहा कि ज्योति हेम्ब्रम को यथा संभव मदद की जाएगी।
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ऑपरेशन करने में ये चिकित्सक रहे शामिल
- डॉ. दिवाकर हांसदा, डॉ. हमीद रजा खान, डॉ. राहुल पांडे, डॉ. दिलीप कुमार। सवा घंटे तक सर्जरी चला।
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