नर्सो की हड़ताल से एमजीएम में पांच घंटे इलाज रहा ठप

जासं जमशेदपुर महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ड्रेसर वार्ड ब्वाय लिफ्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 08:01 AM (IST) Updated:Sun, 17 Mar 2019 08:01 AM (IST)
नर्सो की हड़ताल से एमजीएम में पांच घंटे इलाज रहा ठप
नर्सो की हड़ताल से एमजीएम में पांच घंटे इलाज रहा ठप

जासं, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ड्रेसर, वार्ड ब्वाय, लिफ्ट मैन सहित अन्य आउटसोर्स कर्मचारियों के बाद शनिवार को जनरल नर्सिग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) ने भी काम करना बंद कर दिया। सुबह नौ बजे सभी जीएनएम ड्यूटी के लिए अस्पताल पहुंचीं। इसी दौरान वेतन कम मिलने की सूचना मिली तो सभी ने काम बंद कर हंगामा शुरू कर दिया। इससे आफरा-तफरी का माहौल हो गया। दोपहर दो बजे तक यह सिलसिला चलता रहा। इन पांच घंटों में कोई काम नहीं हुआ। इस दौरान इमरजेंसी विभाग छोड़ किसी भी वार्ड में जीएनएम नर्से ड्यूटी पर नहीं गई। इसे देखते हुए आउटसोर्स एजेंसी के संचालक मौके पर पहुंचा और सभी को आश्वासन दिया कि उनके टेंडर में जितना वेतन पास हुआ है उसके अनुरूप सभी को वेतन मिल रहा है। इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। इसके बाद जीएनएम नर्से एमजीएम अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार से भी मिली। अधीक्षक ने कहा कि श्रम अधीक्षक अस्पताल आने वाले है, उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद सभी नर्से अपने-अपने ड्यूटी पर लौट गई।

मरीजों को न दवा मिली और न ही स्लाइन चढ़ा : जीएनएम नर्सो को हड़ताल पर चले जाने से हड्डी रोग विभाग, सर्जरी, नेत्र, ईएनटी, शिशु रोग विभाग, महिला एवं प्रसूति रोग विभाग व मेडिसीन वार्ड में मरीजों को न तो सही समय पर दवा मिल सका और न ही स्लाइन चढ़ सका। एक-एक वार्ड में 80 से 90 मरीजों के बीच सिर्फ एक स्थायी नर्स तैनात थी। मरीजों की संख्या अधिक और नर्सो की संख्या काफी काम होने की वजह से स्लाइन समय पर नहीं चढ़ सका और न ही मरीजों को दवा दी जा सकी। इस दौरान कई मरीजों ने हंगामा भी किया।

मरीज को जांच के लिए गोदी में उठाकर घूमते रहे परिजन : कुचाई स्थित रेकाडीह निवासी रेधा सोय के 10 वर्षीय पुत्र माधो सोय के पूरे शरीर फूल गया है। उसे शुक्रवार की शाम को एमजीएम अस्पताल के शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। शनिवार की सुबह बच्चे की पैथोलॉजी जांच करानी थी, लेकिन वार्ड में न तो वार्ड ब्वाय था और न ही जीएनएम नर्स आई। स्ट्रेचर भी मौजूद नहीं था। ऐसे में मरीज को गोदी में उठाकर उसके परिजन पूरे अस्पताल का चक्कर लगाते नजर आए। पहले मेडॉल पैथोलॉजी सेंटर गए। इसके बाद सरकारी पैथोलॉजी सेंटर। दोनों सेंटर अस्पताल के दो कोने में हैं।

देर शाम तक श्रम अधीक्षक का होते रहा इंतजार : एमजीएम में जीएनएम नर्स व सफाई सेवक देर शाम तक श्रम अधीक्षक का इंतजार करते रहे, लेकिन वह किसी कारण वश नहीं आ सके। अब सोमवार को वह अस्पताल आएंगे। इसके बाद वेतन पर अंतिम फैसला होगा। जीएनएम नर्सो का कहना है कि ए ग्रेड नर्स को तृतीय श्रेणी से हटाकर चतुर्थ श्रेणी का वेतनमान भुगतान किया गया है। पूर्व के एजेंसी द्वारा 9500 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता था, लेकिन अब शिवा प्रोटेक्शन फार्म एजेंसी करीब सात हजार रुपये दे रही है। वहीं एजेंसी के संचालक का कहना है कि सरकारी कार्यालय के हिसाब से उसका टेंडर पास हुआ है। इसके तहत एक कर्मचारी को प्रतिदिन 352.87 रुपये दिया जाना है। यह राशि दी जा रही है। इसके साथ ही सफाई सेवकों का वेतन में भी 600 से 800 रुपये किया गया।

नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी : अस्पताल से नौकरी से निकाले गए आउटसोर्स कर्मचारियों का घरना-प्रदर्शन जारी है। नए टेंडर के अनुसार अस्पताल में एक भी ड्रेसर, वार्ड ब्वाय नहीं है। इसके साथ ही कंप्यूटर ऑपरेटर, लिफ्ट मैन सहित अन्य कर्मचारियों की संख्या भी घटा दी गई है।

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