एमजीएम का इंसीनरेटर खराब, साकची व सिदगोड़ा में घुल रहा जहर

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल का इंसीनरेटर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Apr 2018 02:40 AM (IST) Updated:Mon, 09 Apr 2018 02:40 AM (IST)
एमजीएम का इंसीनरेटर खराब, साकची व सिदगोड़ा में घुल रहा जहर
एमजीएम का इंसीनरेटर खराब, साकची व सिदगोड़ा में घुल रहा जहर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल का इंसीनरेटर आठ साल से खराब है। मशीन अधिक लीक करने की वजह से उसके जहरीला धुआं साकची, भुइयांडीह, सिदगोड़ा सहित अन्य क्षेत्रों में फैल रहा हैं। यह क्षेत्र एमजीएम अस्पताल से सटे हैं। इन इलाकों में जहरीला धुआं जाने से कई तरह की गंभीर बीमारियां होने की आशंका जतायी गई है। वहीं इस मामले को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव निधि खरे ने भी गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की थी। इसका जवाब तैयार कर अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य सचिव को भेज दिया है।

जवाब में बताया गया है कि अस्पताल में नया इंसीनरेटर मशीन स्थापित करने के लिए बीते वर्ष टेंडर फाइनल हुआ था पर मशीन को निर्धारित समय पर स्थापित नहीं किया जा सका। इसकी अंतिम तिथि 31 मार्च 2017 थी। इस कारण फंड लौट गया। अब नए वत्तीय वर्ष में इस मशीन को चालू करने की अनुमति विभाग से मांगी गई है। साथ ही उसे संचालित करने के लिए उस मद में फिर से 73 लाख की राशी मांगी है।

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कंपनी ने कहा-देर से उपलब्ध कराई गई जगह व बिजली

जिस कंपनी द्वारा इंसीनिरेटर मशीन स्थापित की गई है उसके संचालक का कहना है कि टेंडर होने के बाद उन्हें समय पर न तो जमीन उपलब्ध करायी गई और न ही बिजली-पानी। अब भी स्थायी तौर पर बिजली उपलब्ध नहीं करायी गई है। पानी की व्यवस्था कंपनी खुद कर रही है। वहीं नए भवन की ऊंचाई कम होने के कारण उन्हें मशीन भी लाने में परेशानी होती है। इन सभी बातों से अस्पताल प्रबंधन को अवगत कराया गया था। इसके बावजूद भी परेशान किया जा रहा है। संचालक ने कहा कि इसकी शिकायत मैं सोमवार को स्वास्थ्य सचिव से करूंगा।

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जा सकती है जान

बायो मेडिकल वेस्ट में कई तरह की बायो वेस्ट शामिल होते हैं। इसमें मरीजों को चढ़ाए जाने वाले ब्लड के डिस्चार्ज पैकेट, डिस्चार्ज निडिल के अलावा कई तरह के खून से सने बायो वेस्ट शामिल होते हैं। इनमें एचआइवी एड्स पॉजिटिव, कैंसर, हेपेटाइटिस ए, बी, सी सहित अन्य कई तरह के संक्रमित मरीज के लिए इस्तेमाल में लायी जाने वाले बायो मेडिकल कचरा शामिल होते हैं। इस कचरा को जलने के बाद इंसीनरेटर से निकलने वाले जहरीले धुआं से किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इस धुआं से इंफेक्शन, सांस की बीमारी, टीबी सहित अन्य जानलेवा बीमारी हो सकती है।

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पांच साल तक की सजा

बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के अनुसार आरोपियों पर पांच साल तक का कैद और एक लाख रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

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स्वास्थ्य सचिव ने इंसीनरेटर से संबंधित जवाब मांगी थी। रिपोर्ट तैयार कर भेज दिया गया है। नया मशीन भी स्थापित हो चुकी है। जल्द ही पूरी तरह से काम करने लगेगी।

- डॉ. भारतेंदु भूषण, अधीक्षक, एमजीएम।

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