व्यवस्था कठघरे में : पंजी में नाम दर्ज कर राशन देने के बाद लगाना पड़ता चक्कर Jamshedpur News

जनवितरण प्रणाली का आलम यह है कि यदि जरूरतमंद दो महीने तक लगातार राशन नहीं उठा पाते हैं तो अगले महीने से स्वत बंद हो जाता है उनके हिस्से का आवंटन।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 01 Feb 2020 09:27 AM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2020 09:27 AM (IST)
व्यवस्था कठघरे में : पंजी में नाम दर्ज कर राशन देने के बाद लगाना पड़ता चक्कर Jamshedpur News
व्यवस्था कठघरे में : पंजी में नाम दर्ज कर राशन देने के बाद लगाना पड़ता चक्कर Jamshedpur News

जमशेदपुर, जेएनएन। कोल्हान के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जनवितरण प्रणाली की दुकानों से राशन लेना सिर पर पहाड़ उठाने जैसा है। नियम-कानून तो यह कहता है कि जरूरतमंदों को ससमय राशन मुहैया करा देना है, लेकिन ऐसा नहीं होता।

कोई जरूरतमंद किसी कारणवश दो महीने तक राशन नहीं उठा पाया तो अगले महीने उसका आवंटन खुद बंद हो जाता है। वहीं अगर कोई डीलर तकनीकी पेच की वजह से अपवाद पंजी में नाम दर्ज कर राशन दे भी देता है तो उसे अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काटना पड़ता है। पश्चिम सिंहभूम के नोवामुंडी के राशन दुकानदार कार्तिक कुमार शर्मा कहते हैं कि राशन कार्ड रहते वैसे अधिकतर जरूरतमंद राशन से वंचित रह जाते हैं जिनका ई-पॉश मशीन में फिंगर प्रिंट नहीं आता है। ई-पॉश मशीन काम नहीं करने या फिंगर प्रिंट काम नहीं करने पर लगातार दो माह तक राशन का उठाव जरूरतमंद नहीं करते हैं तो तीसरे महीने से उनके नाम राशन आना स्वत: बंद हो जाता है। यदि दुकानदार सहानुभूति जता कर राशन दे भी देते हैं तो अपवाद पंजी में दर्ज करना पड़ता है। बाद में मुखिया और बीडीओ से अनुशंसा कराकर डीएसओ से स्वीकृति कराने को चक्कर लगाना पड़ता है।

बायोमीटिक सिस्टम से ही राशन देने का प्रावधान

सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के डीलर प्रदीप ठाकुर व फुलकांत झा कहते हैं कि बायोमेटिक सिस्टम से ही राशन देने का प्रावधान है। वर्तमान में सभी डीलर को 4जी नेट उपलब्ध करा दिया गया है। बावजूद किसी दिन बायोमेटिक सिस्टम काम नहीं करता है तो तकनीकी खराबी दूर करने के बाद कार्डधारी को राशन उपलब्ध कराया जाता है। कार्डधारी प्रत्येक माह की पांच से 30 तारीख के बीच किसी भी दिन राशन उठा सकते हैं। राशन कार्ड में परिवार के जिन सदस्यों के नाम अंकित है उसमें से कोई भी राशन उठा सकता है। जगन्नाथपुर पंचायत की मुखिया प्रभा देवी और छोटा गम्हरिया की रेणु देवी कहती हैं कि यदि शिकायत मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

कार्डधारियों को समय पर राशन नहीं बांटने का आरोप

सरायकेला खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड की टेंगाडीह पंचायत की मुखिया बालिका देवी कहती हैं कि उनके क्षेत्र में चार डीलर हैं- रंजित माहली, रायमनी सिंह, भारतीबाला महतो व सुहानी सिंह। मुखिया की मानें तो कार्डधारी अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि रंजीत माहली समय पर राशन नहीं बांटते हैं। लाकड़ी पंचायत की मुखिया पुष्पा मोदी ने कहा कि अगर वंचित जरूरतमंद सूचित करें तो डीलर से कहकर उन्हें राशन दिलाया जाएगा। डीलर बुधेश्वर महतो ने बताया कि हर जरूरतमंद को ससमय राशन मुहैया कराना है।

राशन कार्ड के आधार लिंक से जुड़े होने पर ही मिलता है लाभ

सरायकेला खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के डीलर विश्वनाथ साहू व काजल सिंह मुंडा तथा कुकड़ प्रखंड के सतीश प्रमाणिक कहते हैं कि बायोमेटिक सिस्टम से ही राशन देने का प्रावधान है। कार्ड में जिनका नाम दर्ज है, उनके आधार कार्ड से राशन कार्ड का लिंक होना जरूरी है। इसके बाद ही सदस्य राशन का उठाव कर सकते हैं। उधर, तिरूलडीह के मुखिया शिवानी सिंह मुंडा ने बताया कि गुंदलीडीह के डीलर मुमताज अंसारी, सिरकाडीह के रामभजन साव व तिरुलडीह के हैदर अली को जरूरतमंदों की शिकायत पर एक वर्ष पहले विभाग ने निलंबित कर दिया था।

ऑफलाइन दिया गया राशन रिकार्ड में दर्ज ही नहीं होता

सरायकेला के डीलर सत्यवान राउत कहते हैं कि ऑफलाइन राशन वितरण करने का कोई लिखित आदेश नहीं है। अगर किसी का फिंगर प्रिंट मैच नहीं करता है तो नाम, कार्ड संख्या और आधार नंबर रजिस्टर में दर्ज कर राशन दे दिया जाता है। पर, वह ऑनलाइन सिस्टम में नहीं दिखता। इससे अगले माह उनका राशन काट कर डीलर को मिलता है। इस कारण डीलर चाहकर भी बिना ऑनलाइन किसी को राशन नहीं देते हैं। ऑनलाइन राशन वितरण सिस्टम अच्छा है, पर इसे और दुरुस्त करने की जरूरत है।

राशन कार्ड में परिवार के कई सदस्यों का नाम ही नहीं होता

सरायकेला के राशन डीलर निमाई रजक कहते हैं कि उनके पास ऑनलाइन राशन वितरण के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। जिनका फिंगर प्रिंट मैच करता है, उन्हें ही राशन देना डीलर की मजबूरी है। कई बुजर्गो का फिंगर प्रिंट मैच नहीं करता है। इन्हें ऑफलाइन राशन देने पर आवंटन में कटौती कर दी जाती है। बाद में सुनवाई या भरपाई नहीं होती। इसके अलावा बहुत सारे राशन कार्ड में परिवार में सिर्फ एक सदस्य का नाम दर्ज है। ऐसे परिवार को सिर्फ पांच किलो ही राशन मिल पाता है। यह भी बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है।

अपवाद पंजी व कार्ड में दर्ज किसी भी नाम पर मिल सकता है राशन

पश्चिम सिंहभूम की बड़ाजामदा पंचायत के मुखिया राजा तिर्की कहते हैं कि गरीबों को हर हाल में राशन मिलना चाहिए। यदि ई-पॉश मशीन में फिंगर प्रिंट नहीं आता है तो अपवाद पंजी में नाम दर्ज कर राशन देने का नियम है। यही नहीं कार्ड में परिवार के सदस्यों के नाम के साथ दर्ज उनके आधार नंबर पर भी राशन देने का सरकारी नियम है।

नेटवर्क की तलाश में ऊंचे स्थान की करते हैं खोज

चांडिल प्रखंड के डीलर त्रिवेणी गुप्ता, भुवन साहू व बलराम मांझी कहते हैं कि बायोमीटिक सिस्टम से ही राशन दिया जाता है। लिंक फेल होने पर ठीक होने का इंतजार किया जाता है। हेंसाकोचा पंचायत के मुखिया कुनाराम कहते हैं कि तानीसोया, मुटुदा व रांका क्षेत्र जंगल से घिरा है। नेटवर्क काम नहीं करने के कारण ऊंचे स्थान पर जाना पड़ता है। गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं होने से 15 किलोमीटर दूर दिरलोंग आकर राशन लेना पड़ता है।

मुखिया की सिफारिश पर राशन दे सकते हैं डीलर

पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड के डीलर रवि मोदक कहते हैं कि कभी कभी लिंक फेल होने के कारण राशन वितरण में परेशानी आती है। इस स्थिति में मुखिया या अन्य जनप्रतिनिधि की सिफारिश पर एमओ की अनुमति से जरूरतमंद को चावल की आपूर्ति की जा सकती है।

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