महदी के नूर से ये सारा जमाना चमका

जागरण संवाददाता जमशेदपुर शब-ए-बरात के मौके पर मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 07:01 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 06:57 AM (IST)
महदी के नूर से ये सारा जमाना चमका
महदी के नूर से ये सारा जमाना चमका

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शब-ए-बरात के मौके पर मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबूतालिब अ. में महफिल-ए-मिलाद आयोजित हुई। इस महफिल में अकीदतमंदों ने अपने 12 वें इमाम हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की यौम-ए-वेलादत (जन्मदिन) के हवाले से कसीदे पढ़े। कसीदा का दौर रात दो बजे तक चला।

जाफरी मस्जिद के पेश इमाम सैयद मोहम्मद हसन रिजवी ने इमाम महदी अलैहिस्सलाम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम 11 वें इमाम हसन अस्करी के बेटे हैं। इमाम महदी की मां का नाम नरगिस खातून है। वो 15 शाबान सन् 255 हिजरी में पैदा हुए थे। अल्लाह ने उन्हें परदा-ए-गैबत में रखा है। महफिल की शुरुआत हदीसे किसा से हुई। इसके कसीदा का दौर चला। आशकार नकवी ने पढ़ा- ऐ माहे शबे गैबत ऐ जलवा-ए-जानाना, एक बार चले आओ फिर आकर चले जाना। करीम सिटी कॉलेज के प्रोफेसर आले अली ने पढ़ा- 12 वां बुर्ज इमामत का सितारा चमका, उन्हीं के नूर से ये सारा जमाना चमका, हो मुबारक तुम्हें नरगिस ये मलक कहते हैं, गोद में आपके कुरआन का पारा चमका। कौशांबी से आए शायर राशिद रिजवी ने पढ़ा- अजान सुन के नमाजें पढ़ा करो वरना, तुम्हारी नमाज पढ़ाने कोई न आएगा। रेहान ने पढ़ा- मना के जश्न बताते हैं हम दुनिया को, हमीं हैं वो लोग जिनका इमाम जिंदा है। इकबाल रिजवी ने पढ़ा- सोचता हूं कि अरीजा का तकल्लुफ कैसा, क्यों न इस बार मैं दरिया में उतर कर देखूं। खुर्शीद महदी ने पढ़ा- आने में अगर आपके ताकीर है मौला, हम खुद ही चले आएंगे पता अपना बता दो। इनाम अब्बास ने पढा- तुम्हीं इल्म व दानिश के मेयार हो क्या, रजा-ए-खुदा के खरीदार हो क्या, करुं कितनी मदह-ए-अली तुमसे पूछूं। नबी से ज्यादा समझदार हो क्या। मुसब अब्बास ने पढ़ा- सजी जो महफिल-ए-शाह-ए-जमान देखते हैं, फरिश्ते रश्क से मेरा मकान देखते हैं, कहां-कहां से पहुंचते हैं उनके पास हुजूर, वो एक वक्त में दोनों जहान देखते हैं। महफिल में खुर्शीद अब्बास, शीराज, जीशान आदि भी थे।

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