Success Story : झारखंड की ग्रामीण महिलाएं लिख रहीं सशक्तीकरण की इबारत, ये रही पोटका की बैंक वाली दीदी की कहानी

Women Empowerment ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में आई जागरूकता महिला समाज को गौरवान्वित कर रही है। इन्हीं महिलाआें में एक है पोटका प्रखंड इलाके की सोनामनी लोहार। आइए जानिए इनके बदलाव की कहानी। लोग इन्हें अब बैंक वाली दीदी के रूप में जानते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 01:39 PM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 01:39 PM (IST)
Success Story : झारखंड की ग्रामीण महिलाएं लिख रहीं सशक्तीकरण की इबारत, ये रही पोटका की बैंक वाली दीदी की कहानी
बैंकिंग कार्य करतीं पोटका प्रखंड इलाके की सोनामनी लोहार।

पोटका (पूर्वी सिंहभूम) , शंकर गुप्ता। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण महिलाएं सशक्तीकरण की इबारत लिख रही हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने के बाद गांव की महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर हुई हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज को एक नई दिशा देने में भी जुटी हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में आई जागरूकता महिला समाज को गौरवान्वित कर रही है। इन्हीं महिलाआें में एक है पोटका प्रखंड इलाके की सोनामनी लोहार। आइए जानिए इनके बदलाव की कहानी।

पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत अंतर्गत मेचुआ गांव की सोनामनी लोहार कल तक एक साधारण गृहिणी थी। आज वह न केवल आत्मनिर्भर बनकर खुद एवं परिवार की जिंदगी संवार रही हैं बल्कि दूसरी महिलाआें के लिए भी प्रेरणस्रोत बन गयी हैं। झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से संचालित झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) से जुड़ने के बाद अपने हौसले और मेहनत से न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया बल्कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिला रही हैं। मैट्रिक तक पढ़ी- लिखी गांव की महिला सोनामनी लोहार की उंगलियां लैपटॉप पर इस तरह चलती है, जैसे पूरी कंप्यूटर शिक्षा ले रखी हो। सोनामनी लोहार बताती हैं कि जेएसएलपीएस की ओर से 2016 में उनके गांव में अनुकूल महिला आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया, जिसमें कुल 12 लोग जुड़े। वहां उन्हें बुक कीपर का पद दिया गया। इसके पश्चात गांव स्तर पर उन्हें सक्रिय महिला चुना गया। ग्राम संगठन में सक्रिय महिला की जिम्मेदारी समूह की निगरानी करना और संचालन की स्थिति को देखने का होता है। यह कार्य वह बखूबी निभाती गयी।

बैंक वाली दीदी की मिली पहचान

जिसके एक साल बाद बाद बैंक ऑफ इंडिया की मेचुआ शाखा की ओर से उन्हें बैंक बीसी (बैंकिंग क्रॉसपोंडेंस) का कार्य देकर एक नयी जिम्मेदारी दी गयी। इस दौरान उन्हें निर्देश दिया गया कि समूह की महिलाओं को बैंक नहीं आना पड़े, इसके लिए वह समूह के रुपये का लेनदेन करे। शुरू में बैंकिग के कार्य को लेकर उन्हें थोड़ी झिझक महसूस हुयी लेकिन रांची में प्रशिक्षण लेने के बाद साहस किया और कार्य करना शुरू किया। शुरू में उन्होंने समूह के लेनदेन का ही काम करना शुरू किया। इसके लिए लैपटॉप भी ली और अपने घर मे एक मिनी बैंक खोलकर कार्य करती रही। बेहतर सेवा की वजह से लोग उन्हें जानने लगे और उनके पास आने लगे। आज वह बैंकवाली दीदी के रूप में एक पहचान बना चुकी है।

प्रतिदिन 80 हजार से डेढ़ लाख का लेनदेन

सोनामनी लोहार अपने मिनी बैंक बैंक में शुरू में केवल रुपये लेनदेन का कार्य करती थी, लेकिन अब वह बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ की शाखा की खाता खोलने के साथ-साथ मनी ट्रांसफर और बैंक में लोगों का बीमा भी कराती है। वह अपने मिनी बैंक के साथ-साथ वृद्धा/विधवा/स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता (दिव्यांग लोगों के लिए) की राशि निकासी हेतु वह घर में जाकर बैंकिंग सेवा देती है, ताकि किसी को बैंक आना नहीं पड़े। उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन 50 से अधिक लोगों को सेवा देती है और 80 हजार से डेढ़ लाख का लेन- देन कर लेती हैं। इस तरह से वह महीना में आठ से दस हजार रुपया कमाई कर लेती है। इस रुपये से वह घर चलाने के साथ-साथ अपने बच्चों को भी पढ़ा रही है। उनका एक पुत्र एवं एक पुत्री है, जो प्लस टू में पढ़ाई कर रहे हैं।

रोजगार से पति को भी जोड़ा

सोनामनी लोहार के पति माधव लोहार पूर्व में विभिन्न संस्था से जुड़कर काम करते थे, लेकिन सोनामनी लोहार के जेएसएलपीएस से जुड़कर बैंक बीसी का कार्य करने के दौरान शुरुआत में उनका साथ देते थे। परंतु धीरे-धीरे सोनामनी लोहार ट्रेंड हो गयी तो अब वह स्वयं पूरा काम कर लेती है। उन्होंने अपने पति माधव लोहार को जेएसएलपीएस के जोहार प्रोजेक्ट से जोड़वा दिया है, जहां वह सिनियर एकेएम (आजीविका कृषक मित्र) का काम कर रहे हैं।

हौसले से ही होती है जीत

सोनामनी लोहार ने महिलाओं को अपना संदेश देते हुए कहा कि हौसले से जीता जा सकता है। महिलाएं अपने को किसी भी क्षेत्र में कम नहीं आंके बल्कि वह हर काम में आगे आए। वह भी शुरुआत में काफी भयभीत थी, लेकिन उन्होंने साहस, मेहनत और ईमानदारी के बल पर अपना मुकाम हासिल किया। इसके लिए वह झारखंड सरकार के प्रति आभार प्रकट करना चाहेंगी।

विश्वास बनाने में समय लगाः मुरलीधर महतो (बीपीएम, पोटका)

जेएसएलपीएस के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक (बीपीएम) पोटका मुरलीधर महतो ने कहा कि शुरुआत में जब बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा सोनामनी लोहार को बैंक बीसी की जिम्मेदारी दी गयी तो लोगों के बीच विश्वास बनाने में समय लगा। लेकिन उन्होंने अपनी उत्कृष्ठ सेवा और ईमानदारी के बल पर बहुत जल्द लोगों के बीच विश्वास बनाने में सफल रही और आज लोग स्वयं उनके पास सेवा लेने के लिए आते हैं। सोनामनी लोहार वर्तमान में प्रतिमाह 25 से 30 लाख का बैंकिंग कारोबार आसानी से कर लेती हैं। सबसे बड़ी बात है कि वह 24 घंटा घर-घर जाकर सेवा देती रहती हैं। यह महिलाओं के लिए एक उदाहरण है।

बीसी के कामों से बैंक का भार कम हुआः गोविंद हांसदा (शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ)

बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा के शाखा प्रबंधक गोविंद हांसदा ने कहा कि बैंक बीसी के काम से बैंक का भार कम हुआ है। अब लोग बैंक बीसी को गांव घर में ही बुलाकर सेवा ले रहे हैं, इससे दोनों को फायदा हो रहा है। यानि सेवा लेनेवालों काे बैंक भी आना नहीं पड़ रहा है, सेवा देनेवाले का कारोबार भी हो रहा है। सोनामनी लोहार कॉरपोरेट बीसी है, जो वर्तमान में बेहतर सेवा दे रही हैं। निश्चित रूप से यह महिलाओं के लिए एक उदाहरण है।

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