Corona ने कराया भगवान से भेंट तो राजनीति छोड़ अध्यात्म की राह चला यह फायरब्रांड नेता, अब इस नाम से जाने जाएंगे पूर्व विधायक

झारखंड आंदोलन के दौरान फायरब्रांड नेता रहे सूर्य सिंह बेसरा ने राजनीति छोड़ कर अध्यात्म की राह पकड़ ली है। उन्होंने अपना नाम बदलकर सूर्यावतार देवदूत रख लिया है। बेसरा ने यह निर्णय कोरोना संक्रामित होने के बाद मिले पुनर्जीवन की वजह से लिया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 30 May 2021 02:24 PM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 09:59 AM (IST)
Corona ने कराया भगवान से भेंट तो राजनीति छोड़ अध्यात्म की राह चला यह फायरब्रांड नेता, अब इस नाम से जाने जाएंगे पूर्व विधायक
नए अवतार में पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा। जागरण

जमशेदपुर, जासं। झारखंड आंदोलन के दौरान फायरब्रांड नेता रहे सूर्य सिंह बेसरा ने राजनीति छोड़ कर अध्यात्म की राह पकड़ ली है। उन्होंने अपना नाम बदलकर सूर्यावतार देवदूत रख लिया है। बेसरा ने यह निर्णय कोरोना संक्रामित होने के बाद मिले पुनर्जीवन की वजह से लिया है।

बेसरा ने बताया कि 30 मई से ही उनके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत हो गई। बेसरा का कहना है कि वे कोरोना काल में में संक्रमण की चपेट में आ गए। वे 13 अप्रैल को संक्रमित हो गए थे। उन्होंने करीब 22 दिनों तक कोरोना के जंग जीत कर नई जिंदगी हासिल की है। वह बरसों से भगवान की खोज में थे, लेकिन वे अब जाकर मिले। भगवन सर्वत्र हैं। आज उन्हीं की कृपा से पुनर्जीवित हो गए हैं।

बेसरा के नेतृत्व से मिला झारखंड

बेसरा बताते हैं कि उनकी उम्र 65 वर्ष पूरी कर चुकी है और आधी जिंदगी झारखंड अलग राज्य के निर्माण में संघर्षमय जिंदगी बिताई है। उनके नेतृत्व में आजसू का संघर्ष के परिणाम स्वरुप ही झारखंड राज्य हासिल हुआ है। बेसरा जब भालूबासा हाईस्कूल से  1976 में मैट्रिक पास किया तब उन्होंने पैतृक गांव छामडाघुटू में एक प्राथमिक स्कूल की स्थापना की थी। 1983 में जब घाटशिला कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की, तब मुसाबनी में सिदो कान्हू जनजातीय महाविद्यालय की स्थापना की और तो और जब 1986 में रांची विश्वविद्यालय से संथाली में स्नातकोत्तर पास किया, तब ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू की स्थापना की। सिर्फ यही नहीं वे 1990 में घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। एक वर्ष पांच महीने के अंदर झारखंड अलग राज्य के मुद्दे पर जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ललकारा कि मेरी लाश पर झारखंड राज्य बनेगा, तब बेसरा ने उसका प्रतिवाद करते हुए बिहार विधानसभा से 12 अगस्त 1991 को त्यागपत्र दे दिया था। 1991 में उन्होंने झारखंड पीपुल्स पार्टी जेपीपी की स्थापना की थी।

गीतांजलि का किया संथाली में अनुवाद

सूर्य सिंह बेसरा ने विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर (ठाकुर) द्वारा रचित गीतांजलि तथा डॉ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित मधुशाला का संथाली में अनुवाद किया है। बेसरा द्वारा 2017 में घाटशिला स्थित दामपाड़ा (लेदा) में संताल विश्वविद्यालय की स्थापना की। उसी वर्ष भारत सरकार द्वारा अंगीकृत साहित्य अकादमी नई दिल्ली की ओर से मधुशाला के लिए अनुवाद पुरस्कार उन्हें मिला। सूर्य सिंह बेसरा को झारखंड रत्न, झारखंड आंदोलनकारी सेनानी, उत्कृष्ट विधायक, भारत सेवा रत्न, साहित्य शिखर सम्मान, ऐसे अनेक उपाधि देकर उन्हें विभूषित किया गया है।

अब अध्यात्म का करेंगे अध्ययन

सूर्य सिंह बेसरा अब सृष्टि, प्रकृति और प्रवृत्ति के बीच आध्यात्मिक अध्ययन करेंगे। भगवान की खोज में निकले थे, अब उन्हें विश्वास प्राप्त हो चुका कि भगवान प्रकृति में है। हर प्राणियों में है। वह सर्वत्र है। बेसरा का मानना है कि भले ही अलग-अलग मजहब की अलग-अलग रास्ते हों, लेकिन यकीन कीजिए कि सबकी मंजिल एक है। सबका मालिक एक है। बेसरा अब बाकी की जिंदगी का सफर आध्यात्मिक के रास्ते से तय करेंगे। सूर्य सिंह बेसरा अब 'सूर्यावतार देवदूत' बन गए हैं। वे संकल्पित हैं कि वह भगवान का मैसेंजर बनकर मानव को मानवता का पाठ पढ़ाएंगे। इसके साथ ही साथ प्रकृति वादी बनकर बन जंगलों को बचाएंगे। प्राणियों की रक्षा करेंगे तथा प्रदूषण रहित पर्यावरण को संतुलित करेंगे।

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