Jharkhand Assembly Election 2019 : भाजपा नाप रही गली-गली, विपक्षी बोल रहे प्रत्याशी-प्रत्याशी Jamshedpur News
विधानसभा चुनाव में राज्य की सबसे हॉट सीट बनने जा रहे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में सात दिसंबर को मतदान होना है। लिहाजा राजनीतिक गतिविधियां भी जोर पकड़ चुकी हैं।
जमशेदपुर, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 विधानसभा चुनाव में राज्य की सबसे हॉट सीट बनने जा रहे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में सात दिसंबर को मतदान होना है। लिहाजा राजनीतिक गतिविधियां भी जोर पकड़ चुकी हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में पहचान रखने वाली इस सीट पर अभी लोगों से संपर्क करने में भाजपा रेस है। विपक्षी दलों की गतिविधियां प्रत्याशी-प्रत्याशी के बोल पर अटकी हुई है।
विपक्षी यहां से कोई भारी भरकम प्रत्याशी देना तो चाह रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके बीच गठबंधन की बात पक्की नहीं हुई है। लिहाजा हर दल के खिलाड़ी टिकट के लिए बंडी पहन, बायोडाटा हाथ में लिए चमचमाते वाहनों से जमशेदपुर से रांची का चक्कर काट रहे हैं। कुछ तो दिल्ली तक दौड़ चुके हैं।
भाजपाइयों में प्रत्याशी को ले अनिश्चितता नहीं
भगवा दुर्ग के रूप में पहचान रखने वाले जमशेदपुर पूर्व सीट पर 1990 से लगातार भाजपा का कब्जा है। वैसे 1977 से ही यहां भगवा झंडा लहराता रहा है। सिर्फ इंदिरा लहर के साए में हुए 1985 के चुनाव में यहां कांग्रेस के डी नरीमन जीते थे। 1995 से रघुवर दास लगातार जीतते आ रहे हैं। इस बार भी उनका प्रत्याशी बनना तय है। लिहाजा भाजपाई कैडरों में प्रत्याशी को लेकर कोई अनिश्चितता नहीं है। वे सीधे चुनाव अभियान और बूथ प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। खुद रघुवर दास भी पिछले कुछ महीनों से व्यक्तिगत जनसंपर्क को ज्यादा अहमियत दे रहे हैं।
विपक्षी दलों में गठबंधन पर अभी भी ऊहापोह
विपक्षी दलों में अभी तक गठबंधन को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। अनिश्चितता के कारण ही झाविमो से लेकर कांग्रेस तक के नेता यहां से लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं। झाविमो से अभय सिंह का उम्मीदवार बनना लगभग तय है, लेकिन कांग्रेस के अंदर दर्जन भर दावेदार मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ने की इच्छा जताकर चुनावी जंग को हॉट बनाने में जुटे हुए हैं। चूंकि गठबंधन पर सस्पेंस कायम है, लिहाजा जमीनी स्तर पर विपक्ष की तैयारी अभी आरंभिक ही नजर आ रही है। झाविमो पिछले कुछ महीनों के दौरान सक्रिय जरूर नजर आया। उसने अपने सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के कार्यक्रम भी कराए।
एक-दो दिन में साफ होगी तस्वीर
छोटी-बड़ी गतिविधियों के जरिए अभय सिंह भी अपनी सक्रियता का बोध कराते रहे, लेकिन कांग्रेस में आनंद बिहारी दूबे को छोड़कर अभी तक कोई दूसरा नेता क्षेत्र की गलियां में सक्रियता का बिगुल नहीं फूंक पाया है। आनंद बिहारी दूबे पिछले कई महीनों से चुपचाप पूरे विधानसभा क्षेत्र की गलियों को नाप रहे हैं। कहीं कोई हल्ला नहीं, कहीं कोई ढिंढ़ोरा नहीं। वे अंदर ही अंदर एक सोची समझी रणनीति के तहत दरवाजे-दरवाजे अपनी गोटी सेट कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार ये मान रहे हैं कि दुबे हर हाल में चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। इधर, योगेंद्र शर्मा उर्फ मुन्ना, परमानंद झा उर्फ पीएन झा जैसे नेता किसी न किसी मुद्दे के जरिए अपनी सक्रियता का एहसास जरूर कराते रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेसी मान कर चल रहे हैं कि पार्टी यहां से जरूर मैदान में ताल ठोंकेगी। बहरहाल जो भी हो, यहां की तस्वीर एक-दो दिन में पूरी तरह से साफ हो जाएगी।