एमजीएम अस्पताल में महिला की लाश लेने से पुलिस का इन्कार

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आइसीयू में पड़ा रहा शव। कैंप पुलिस को इसकी सूचना दी गई लेकिन पुलिस ने कार्रवाई से मना कर दिया। इसकी शिकायत एसपी से की गई है।

By Edited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 09:16 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 12:11 PM (IST)
एमजीएम अस्पताल में महिला की  लाश लेने से पुलिस का इन्कार
एमजीएम अस्पताल में महिला की लाश लेने से पुलिस का इन्कार

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। पूर्वी सिंहभूम जिले के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आइसीयू में मंगलवार को एक शव पड़ा रहा। इसकी सूचना जब एमजीएम पुलिस शिविर को दी गई तो उन्होंने कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद आइसीयू के कर्मचारी साकची थाना गये तो वहां से भी उन्हें लौटा दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस की ओर से किए गए बर्ताव की शिकायत सिटी एसपी से की है।

दरअसल, बहरागोड़ा निवासी अनीता घोष को उसके पति ने बीते सोमवार को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया था। महिला जहर खाकर पहुंची थी। इलाज के क्रम में उसकी मौत होने के बाद पति शव छोड़कर फरार हो गया। आपराधिक मामला होने की वजह से इमरजेंसी विभाग के कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन उन्होंने सूचना रिसीव करने से इन्कार कर दिया। जिसके कारण महिला का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। सुबह से लेकर दोपहर करीब तीन बजे तक मृतक का शव आइसीयू में पड़ा रहा।

 12 घंटे से इमरजेंसी में पड़ा रहा शव

कपाली स्थित तमाड़गोड़ा निवासी गुरुवारी मार्डी (45) की मौत सोमवार की रात करीब दो बजे हो गई। इसके बाद सुबह करीब एक बजे तक उसका शव इमरजेंसी विभाग में ही पड़ा रहा। इससे दूसरे मरीजों को काफी परेशानी हुई। कर्मचारियों का कहना है कि शवगृह में जगह नहीं होने की वजह से उसे इमरजेंसी विभाग में रखा गया है। पुलिस केस होने की वजह से देरी हो रही है। पुलिस करीब 12 बजे शव के पास पहुंची। इसके बाद करीब एक बजे उसे वहां से हटाया गया। गुरुवारी मार्डी सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे वह तलाब में स्नान करने गयी थी। उसी दौरान वह डूब गई थी। इसके बाद उसे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

शवगृह में जगह नहीं, इमरजेंसी विभाग में पड़े थे दो शव

एमजीएम अस्पताल में रोजाना दो-चार लावारिस मरीजों की मौत होती है। या फिर उनके परिजन छोड़ कर चले जाते है। वैसी स्थिति में नियम के अनुसार मरीजों को कम से कम 72 घंटे शवगृह में रखना पड़ता है। मंगलवार को शवगृह में जगह नहीं होने की वजह से इमरजेंसी विभाग में जहां-तहां शव पड़े रहे। मरीजों के बीच शव को रखें जाने से इंफेक्शन फैलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। मृतकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शवगृह में चार डीप फ्रीजर बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए टेंडर किया जा चुका है।

पहली बार नहीं आया ऐसा मामला

एमजीएम के अधीक्षक डॉ. एसएन झा ने कहा कि हमारे कर्मचारी पहले पुलिस शिविर गए। इसके बाद थाने गए, लेकिन शव को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस तरह के मामले हमेशा सामने आते हैं। इसलिए सिटी एसपी को पत्र लिखा गया है। ताकि आगे इस तरह का समस्या उत्पन्न नहीं हो।

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