एनएच-33 पर चंडिल से चिलगु तक पैदल चलना भी मुश्किल

रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की स्थिति बदतर हो चली है। मौत के गड्ढे कब किस की जान ले ले कहना मुश्किल है। इस सड़क की स्थिति चांडिल के चिलगु से जमशेदपुर तक खस्ताहाल है। हालत इतनी बदतर है कि अब इस पर पैदल चलना भी मौत को दावत देना जैसा है। यह सड़क प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की शिकार है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 10:39 PM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 11:15 PM (IST)
एनएच-33 पर चंडिल से चिलगु तक पैदल चलना भी मुश्किल
एनएच-33 पर चंडिल से चिलगु तक पैदल चलना भी मुश्किल

दिलीप कुमार, जमशेदपुर : रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की स्थिति बदतर हो चली है। मौत के गड्ढे कब किस की जान ले ले, कहना मुश्किल है। इस सड़क की स्थिति चांडिल के चिलगु से जमशेदपुर तक खस्ताहाल है। हालत इतनी बदतर है कि अब इस पर पैदल चलना भी मौत को दावत देना जैसा है। यह सड़क प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की शिकार है।

बरसात के इस मौसम में एनएच-33 की वास्तविक स्थिति साफ झलक रही है। सड़क पर गड्ढों की संख्या बढ़ती जा रही है। चिलगु से जमशेदपुर तक सड़क पर बने गड्ढे और उस में जलजमाव से वाहन चालक परेशान रहते हैं। बड़े वाहन हिचकोले खाते गुजर जाते हैं, वहीं कार और छोटे वाहन शीशे भी नहीं उतारते। मुश्किल तो बाइक और साइकिल के साथ पैदल चलने वालों की होती है। खस्ताहाल राजमार्ग के गड्ढों को भरने में विभाग करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है, लेकिन समस्या का समाधान अबतक नहीं दिखाई दे रहा है। मरम्मत के नाम पर गड्ढों में गिट्टी और मिट्टी भरी जा रही है। ऐसे में बारिश होने पर सड़क पर कीचड़ और धूप खिली रहने पर धूल उड़ती है। दोनों ही स्थिति में इस सड़क पर चलना मुश्किल है। ऑटो और दोपहिया वाहन से चलने वालों की सूरत कीचड़ और धूल की वजह से बिगड़ जाती है। भिलाई पहाड़ी से पारडीह काली मंदिर के आगे तक सड़क पर बने गड्ढों को मिट्टी और गिट्टी से भरा जा रहा है। यहां सड़क चौड़ीकरण का काम फिलहाल नहीं चल रहा है। जबकि पारडीह काली मंदिर से चिलगु तक सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है। इसके बीच कई ऐसे जगह हैं, जहां दोनों ओर पक्की सड़क को काटकर हटा दिया गया है और गिट्टी बिछाकर ही वाहनों का आवागमन करवाया जा रहा है। भिलाई पहाड़ी से पारडीह काली मंदिर के आगे तक, रामगढ़ और आसनबनी गांव के बीच और कांदरबेड़ा से चिलगु तक सड़क की स्थिति दयनीय है।

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सालों से अटका है काम

राजमार्ग चौड़ीकरण का काम 2012 में प्रारंभ हुआ था। सड़क चौड़ीकरण का काम हैदराबाद की कंपनी मधुकॉन को मिला था। कछुवा गति से काम करते हुए निर्धारित समय तक काम पूरा नहीं करने पर सड़क चौड़ीकरण का काम गुजरात की कंपनी आयरन ट्रैंगल प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। आयरन ट्रैंगल प्राइवेट लिमिटेड चिलगु से महुलिया तक 379 करोड़ रुपये की लागत से सड़क चौड़ीकरण का काम कर रही है।

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चौका में लोगों का रहना भी हुआ मुश्किल

एनएच 33 से सटे चौका के लोगों का घरों में रहना हुआ मुश्किल है। चौका में फ्लाईओवर का कार्य चल रहा है। इसके लिए कच्चा डायवर्सन बना हुआ है। बारिश के दौरान इस डायवर्सन में गाड़ियां फंस जाती हैं। चलने लायक बनाने के लिए इसमें एजेंसी द्वारा गिट्टी एवं स्लैग डाल दिया जाता है। बारिश के पानी से स्लैग खेतों में चला जा रहा है। धूप होने पर स्लैग धूल बनकर उड़ रही है। दोनों ही स्थिति में सड़क के किनारे रहने वाले लोगों का रहना दूभर हो गया है। दो पहिया वाहन और पैदल चलने वाले लोगों का यहां से गुजरना टेढ़ी खीर है।

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निर्माणाधीन सड़क पर जा चुकी है सैकड़ों जानें

एनएच 33 के जर्जर होने से इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इस सड़क ने सैकड़ों लोगों को अपनी आगोश में ले लिया है। गड्ढे और अर्धनिर्मित सड़क के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं।

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