कथा के पांचवें दिन भगवान के बाल लीला का प्रसंग

जादूगोड़ा के भुरकाडीह गांव में भागवत कथा के 5वें दिन कथा वाचक स्वामी हंसानंद जी महाराज ने भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 09:42 PM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 06:21 AM (IST)
कथा के पांचवें दिन भगवान के बाल लीला का प्रसंग
कथा के पांचवें दिन भगवान के बाल लीला का प्रसंग

संवाद सूत्र, जादूगोड़ा : जादूगोड़ा के भुरकाडीह गांव में भागवत कथा के 5वें दिन कथा वाचक स्वामी हंसानंद जी महाराज ने भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार से हमारा मन परमात्मा में लगे यह मुख्य कथा का मूल मंत्र है। कथा मनोरंजन के लिए नहीं है। कथा वाचक ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। मैया यशोदा कान्हा को बांधना चाहती थी पर रस्सी कम पड़ जा रही थी। भगवान की दो शक्तियां है एश्वर्य शक्ति एवं माधुर्य शक्ति। पहली शक्ति कहती है कि यह परमात्मा है इन्हें बांधने नही दूंगी, वही माधुर्य शक्ति कहती है कि यह पुत्र बनकर आय है। इनको जरूर बांधूंगी दोनों शक्तियां आपस मे लड़ने लगी। दो अंगुली रस्सी कम पड़ने लगी। जीव का परिश्रम के साथ ही भगवान की कृपा साथ ही होती है। प्रभु के बाल लीला को देखने के लिए महिलाए अपना काम धाम छोड़कर आ जाती थी इसका अर्थ यही है कि भगवान के लीला के सामने सब कुछ व्यर्थ है यही सुख का साधन है। भगवान के शरण मे ही जीवन की शांति मिलती है। भगवान के बाल लीलाओं की सुंदर सुंदर झांकी भक्तों का मन मोह ले रही थी।

भक्त भगवान के वश में समोहित होकर नाच गा रहे थी। इस दौरान भारी संख्या में भक्त कथा सुनने पहुंचे। कथा में आरती के बाद आये हुय भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। कथा के छठें दिन सोमवार को भगवान के गोपियों संग रास के महत्व का वर्णन किया जाएगा। कथा को सफल बनाने में नव रंजन भकत, भुदेब भकत, मृणाल कांति भकत, माणिक वारिक, ध्रुव भकत, सहित पूरे ग्रामीण लगे हुए है।

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