मानव जब जोर लगाता है... पत्थर पानी बन जाता है... दिनकर जयंती पर अंतरराष्ट्रीय काव्य महोत्सव का हो गया समापन

हम दिनकर के दिखाए गए मार्ग पर चल सकें और एक सच्चे राष्ट्रभक्त या जनकवि बन सकें। अपने कर्तव्य व धर्म पालन कर सकें। बिना किसी पक्षपात भय और स्वार्थ के हिंदी साहित्य को विश्व का श्रेष्ठ साहित्य बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करें।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 04:41 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 04:41 PM (IST)
मानव जब जोर लगाता है... पत्थर पानी बन जाता है... दिनकर जयंती पर अंतरराष्ट्रीय काव्य महोत्सव का हो गया समापन
‘अपने समय का दिनकर हूं मैं’ नामक कार्यक्रम भी हुआ।

जमशेदपुर, जासं। दिनकर जयंती पर गृहस्वामिनी इंटरनेशनल ई-मैगजीन और वर्ल्ड राइटर्स फोरम के संयुक्त तत्वावधान में 16 से 30 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय काव्य महोत्सव का समापन हो गया। इसमें देश-विदेश के जाने-माने कवियों व कवयित्रियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान ‘अपने समय का दिनकर हूं मैं’ नामक कार्यक्रम भी हुआ, जिसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवियों-कवयित्रियों ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां गुनगुनाकर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का स्मरण कर महान कवि को श्रद्धांजलि अर्पित की।

दिनकर जैसी कालजयी सृजन की प्रेरणा

संस्था ने इसमें एक कार्यक्रम रखा, जिसका नाम ‘अपने समय का दिनकर हूं मैं’ रखा गया था। इसका तात्पर्य यह कतई नहीं है कि हम खुद की दिनकर से तुलना करें, बल्कि यह उनके जैसा कालजयी सृजन करने की प्रेरणा देने के लिए था। यह छोटा सा प्रयास है कि हम दिनकर के दिखाए गए मार्ग पर चल सकें और एक सच्चे राष्ट्रभक्त या जनकवि बन सकें। अपने कर्तव्य व धर्म पालन कर सकें। बिना किसी पक्षपात, भय और स्वार्थ के हिंदी साहित्य को विश्व का श्रेष्ठ साहित्य बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करें। इस आशा के साथ साहित्य का सृजन भले ही हम कम करें, लेकिन जो भी करें वह प्रेरणादायक संदेशात्मक यथार्थवादी उत्साहवर्धन व मार्गदर्शक हो।

इनकी रही उल्लेखनीय भागीदारी

इस अंतरराष्ट्रीय काव्य महोत्सव में शैलेंद्र अस्थाना (भारत), शैल अग्रवाल (ब्रिटेन), तिथिदा (ब्रिटेन), रचना श्रीवास्तव (कैलिफोर्निया), शार्दुला नोगजा (सिंगापुर), पंखुरी सिन्हा (भारत), पूनम सिंह (भारत), हरेराम वाजपेयी (भारत), ऋचा जैन (यूके), पद्मेश गुप्त (यूके), मंजू मिश्रा (कैलिफोर्निया), डा. बीना बुदकी (भारत), विपिन चौधरी (भारत), आराधना झा श्रीवास्तव (सिंगापुर), जयंत मुखर्जी (ब्रिटेन), लोपामुद्रा मिश्रा (भारत), सोफिया स्केलिडा व रिनी वेलेंटीना (इंडोनेशिया), डेलो इसुफी (अलबेनिया), डा. हिलाल फरीद (ब्रिटेन), एलिसा मेसिया (इटली), तुर्कान एर्गोरी (तुर्की), जोहाना (भारत), ललिता चौहान (तंजानिया), अदिति अर्पणा सिंह व अमृता शर्मा (दिनकरजी की नतिनी) का विशेष योगदान रहा। समापन समारोह में गृहस्वामिनी की संपादक और वर्ल्ड राइटर्स फोरम की संस्थापक अर्पणा संत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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