बंगाल के बहाने धड़ल्ले से फल-फूल रहा बालू का अवैध धंधा Jamshedpur News

रात में स्वर्णरेखा-खरकई से किया जाता है बालू का खनन सैकड़ों हाइवा-डंपर से वसूला जा चुका है लाखों का जुर्माना।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 25 Jun 2020 11:00 PM (IST) Updated:Thu, 25 Jun 2020 11:00 PM (IST)
बंगाल के बहाने धड़ल्ले से फल-फूल रहा बालू का अवैध धंधा Jamshedpur News
बंगाल के बहाने धड़ल्ले से फल-फूल रहा बालू का अवैध धंधा Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू खनन पर रोक लगा दी है, जिसका आदेश 24 जून को झारखंड सरकार ने जारी किया।

सवाल यह नहीं है कि सरकार ने 14 दिन बाद आदेश जारी किया। सवाल यह है कि झारखंड में दो साल से बालू खनन पर रोक है, तो इस आदेश से क्या फर्क पड़ेगा। स्वाभाविक है कि जैसे दो साल से बालू का अवैध धंधा चल रहा था, वैसे अब भी चलेगा।

सरकार की मानें तो पूर्वी सिंहभूम जिले में पश्चिम बंगाल के ही बालू से बिल्डिंग्‍स बन रही हैं, जबकि  पूरे कोल्हान में पिछले दो साल से खरकई-स्वर्णरेखा समेत अन्य नदियों से बालू का खनन धड़ल्ले से चल रहा है। इसका प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम समेत सरायकेला-खरसावां जिले में एक साल के अंदर बालू से लदे सैकड़ों हाइवा-डंपर ना केवल जब्त किए गए, बल्कि उनसे लाखों रुपये जुर्माना भी वसूला गया।

सरायकेला में 22 मई को जब्‍त किए गए बालू लदे 42 हाइवा

 सरायकेला जिला प्रशासन ने 22 मई को ही बालू लदे 42 हाइवा जब्त किया था, जबकि पूर्वी सिंहभूम में मार्च में ही अवैध खनन के एवज में 18 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया था। रात के अंधेरे में जिले में स्वर्णरेखा नदी से दोमुहानी, सती घाट व बाबूघाट से लेकर घाटशिला तक  जमकर बालू निकाला जाता है। यहां दिन में भी मजदूर बोरी-बोरी बालू भरकर घाट के किनारे तक पहुंचाया जाता है, जिसे टेम्पो या ट्रैक्टर से थोड़ी दूर पर छिपकर खड़ी हाइवा तक पहुंचाया जाता है। इस तरह से बालू का अवैध खनन निर्बाध ढंग से जारी रहता है। 

पश्चिम बंगाल से आता बालू

 2015 में तीन वर्ष के लिए बालू घाट की नीलामी हुई थी, उसके बाद नीलामी नहीं हुई। चूंकि पश्चिम बंगाल में बालू खनन पर रोक नहीं है, इसलिए पूर्वी ङ्क्षसहभूम जिले में बहरागोड़ा से सटे पश्चिम बंगाल के गोपीवल्लभपुर और पुरुलिया के मरचाघाट से बालू की आपूर्ति हो रही है। - मो. नदीम शफी, जिला खनन पदाधिकारी

ट्रैक्टर से ही होगी बालू ढुलाई 

जिला खनन पदाधिकारी बताया कि सरकार ने आदेश दिया है कि बालू की ढुलाई केवल ट्रैक्टर से की जाएगी। सरकार के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि बालू भंडारण स्थल से बालू की बिक्री या आपूर्ति में सरकारी आवश्यक्ता को प्राथमिकता दिया जाए। कोरोना के कारण ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार मिले। इसे देखते हुए ही ट्रैक्टर से बालू उठाव को प्राथमिकता दी गयी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके। इसमें हाइवा या डंपर का उपयोग किसी भी स्थिति में नहीं किया जाना है।

20 हजार रुपये डंपर हो जाएगा बालू

फिलहाल जिले में 16 हजार रुपये डंपर बालू बिक रहा है, जो अब 20 हजार रुपये डंपर हो जाएगा। बालू सप्लायरों का कहना है कि एनजीटी के आदेश पर यदि प्रशासन की सख्ती हुई तो बालू के रेट में कम से कम 25 फीसद का इजाफा हो जाएगा। बालू कारोबारी कहते हैं कि दिखावे के लिए पश्चिम बंगाल से 25 फीसद ही बालू आता है, जबकि 75 फीसद बालू स्वर्णरेखा और खरकई नदी का ही होता है। यहां बड़े पैमाने पर रात में बालू का खनन होता है, वरना खनन विभाग पकड़ता कैसे है। अधिकतर बालू तो स्थानीय पुलिस ही पकड़ती है। 

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