पढि़ए सामान्य युवती की असामान्य कहानी, लोग कहते टीचर दीदी

पार्षद बनने के बावजूद आज भी प्रीति नियमित रूप से बच्चों के साथ निरक्षर महिलाओं की कक्षा लेती हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 16 Oct 2018 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 17 Oct 2018 11:01 AM (IST)
पढि़ए सामान्य युवती की असामान्य कहानी, लोग कहते टीचर दीदी
पढि़ए सामान्य युवती की असामान्य कहानी, लोग कहते टीचर दीदी

चक्रधरपुर (राहुल हेम्ब्रोम)। कोल्हान के पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र की मलिन बस्ती के रूप में चर्चित कुदलीबाड़ी में रहने वाली सामान्य युवती प्रीति होरो की असामान्य कहानी। कॉलेज में पढऩे वाली छात्रा बस्ती के गरीब बच्चे और बस्तीवासियों को शिक्षा, स्वच्छता व स्वस्थता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि नगर निकाय चुनाव में उन्हें पार्षद के रूप में चुन लिया गया।

प्रीति चक्रधरपुर नगर परिषद की सबसे कम उम्र की पार्षद हैं। पार्षद बनने के बावजूद आज भी प्रीति नियमित रूप से बच्चों के साथ निरक्षर महिलाओं की कक्षा लेती हैं। खास बात यह है कि कल की तरह आज भी बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती है। उसके इस कार्य में कुछ स्वयं सेवक मदद कर रहे हैं। समाजसेवी, टीचर दी और पार्षद की भूमिका में बेहतर समन्वय स्थापित कर प्रीति ने मास्टर डिग्री भी हासिल की है। 

माता-पिता का छूटा साथ, दीदी-जीजू बने तारणहार

प्रीति के सिर से बचपन में ही माता बहामनी का साया उठ गया। मां की मृत्यु के बाद हवलदार पिता नियारन होरो रेलवे गैंगखोली से अपने परिवार को लेकर कुदलीबाड़ी में आकर बस गए। प्रीति के मैट्रिक परीक्षा देने के पहले ही पिता भी 2004 में दुनिया से चल बसे। इसके बाद दीदी जुलियानी व जीजू ने ही प्रीति समेत सात भाई-बहनों के अभिभावक का दायित्व निभाया। दीदी-जीजू ने प्रीति की पढ़ाई लगातार जारी रखी और परिवार में सबसे ज्यादा शिक्षित बनाया। 2009 में मैट्रिक सरस्वती शिशु विद्या मंदिर तुलसी भवन से पास की। 2011 में आरपीएस कॉलेज से आइए पास की। 2014 में जेएलएन कॉलेज से हिन्दी में स्नातक तथा 2016 में इसी कॉलेज से स्नातकोत्तर की परीक्षा 55 फीसद अंकों से उत्तीर्ण की।

जनसेवा ने बढ़ाई प्रीति की प्रीत

वर्ष 2015 में साई मांटेसरी इंग्लिश मीडियम स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य केशव मिश्रा ने चक्रधरपुर नगर परिषद के वार्ड संख्या दो स्थित मलिन बस्ती के रूप में चर्चित कुदलीबाड़ी में बदलाव की बयार लाने के लिए अभियान की शुरुआत की। मिश्रा ने इसके लिए बस्ती के प्रबुद्ध व्यक्ति बुद्धू गागराई, सुषमा गागराई व शिक्षित युवती प्रीति को अभियान से जोड़ा। स्वच्छता अभियान से गरीब बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा, संस्कार परिमर्जन व नशाबंदी के अभियान से प्रीति की प्रीत लोगों के साथ बढ़ती गई। टीचर दीदी के रूप में प्रीति पहचानी जाने लगी। इस दौरान उसकी पढ़ाई भी जारी रही। बच्चों को निश्शुल्क कोङ्क्षचग देने के दौरान मई 2015 में नगर परिषद चुनाव आ गया। केशव मिश्रा समेत वार्डवासियों ने प्रीति को पार्षद के रूप में प्रोजेक्ट किया। निकाय चुनाव होने पर वह 22 साल की छोटी उम्र में वार्ड संख्या 2 से नगर परिषद की सबसे कम उम्र की पार्षद निर्वाचित हुई। निकाय चुनाव के दौरान ही उसने स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की परीक्षा भी दी। 

आज भी नहीं बदली दिनचर्या  

पार्षद बनने के बावजूद आज भी प्रीति के पांव जमीन पर है। साइकिल से चलती है। पहले की तरह ही बच्चों के लिए वह टीचर दीदी ही है। बच्चों के साथ वह जमीन पर बैठ जाती है। समाजसेवा दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। शाम 4 से 6 बजे तक वह गरीब बच्चों को निश्शुल्क कोङ्क्षचग देने के लिए पूरी तरह रिजर्व है। जबकि अपराह्न 2 बजे से अन्य स्वयं सेवक विभिन्न कक्षाओं के बच्चों को शिक्षा देते हैं। कुदलीबाड़ी व आसपास के 150 से ज्यादा गरीब बच्चों को अभियान के तहत निश्शुल्क कोङ्क्षचग दी जा रही है। 

आसान नहीं था काम

कुदलीबाड़ी की तरह ही जहां बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, वहां काम करना चाहती हूं। अभियान के प्रारंभ में गरीब व सामाजिक रूप से पिछड़े बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं था। बच्चों को एकत्रित, साफ-सुथरा रहकर पढऩे की आदत नहीं थी। अभिभावक बच्चों की शिक्षा, रहन-सहन पर ध्यान नहीं देते थे। लेकिन अब सबका साथ मिलने से माहौल बदलने लगा है। सामूहिक प्रयास रंग ला रहा है। 

-प्रीति होरो, पार्षद सह समाजसेवी

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