श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश उत्सव में सजा कीर्तन दरबार

मेरे मन एकस सिए चित लाए.. आदि कीर्तन गायन से संगत को पंजाब से आए

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Sep 2018 02:23 AM (IST) Updated:Mon, 03 Sep 2018 02:23 AM (IST)
श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश उत्सव में सजा कीर्तन दरबार
श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश उत्सव में सजा कीर्तन दरबार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मेरे मन एकस सिए चित लाए.. आदि कीर्तन गायन से संगत को पंजाब से आए कीर्तनी ने निहाल किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश उत्सव के मौके पर सोनारी गुरुद्वारा में कीर्तन दरबार का आयोजन रविवार को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से किया गया।

सुबह अखंड पाठ की समाप्ति के उपरांत स्त्री सभा व बच्चों ने मिलकर कीर्तन गायन की शुरुआत की। प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने कीर्तन गायन के साथ कथा कर संगत को निहाल किया। प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुर ने संगत को बताया कि सिख तभी श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सिख कहला जा सकता है। जब वह एक परमात्मा एक अकाल पुरुख पर विश्वास रखेंगे। इसके बाद फगवाड़ा से आए कीर्तनी भाई साहिब भाई इकबाल सिंह जी ने कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। जिसके उपरांत सेंट्रल गुरुद्वारा के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे सहित उनकी पूरी टीम को सिरोपा देकर सोनारी गुरुद्वारा के प्रधान तारा सिंह ने सम्मानित किया। सम्मान समारोह के बाद कीर्तन दरबार की समाप्ति हुई और गुरु का अटूट लंगर संगत के बीच वितरण किया गया। शाम को पुन: कीर्तन दरबार की शुरुआत सोनारी गुरुद्वारा में हुई। जिसमें कीर्तनी भाई साहिब भाई अंग्रेज सिंह जी ने कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। कीर्तन दरबार को सफल बनाने के लिए सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी व संगत का योगदान रहा।

जुगसलाई गुरुद्वारा में सजा कीर्तन दरबार

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश उत्सव के मौके पर जुगसलाई गौरी शंकर रोड गुरुद्वारा में चल रहे दो दिवसीय कीर्तन दरबार की समाप्ति रविवार को हुई। लुधियाना से आई प्रचारक गगनदीप कौर खालसा ने संगत के बीच रविवार को कथा किया। जुगसलाई सिख नौजवान सभा की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कीर्तन दरबार को सफल बनाने में जितेंद्र सिंह, गुरुचरण सिंह, गगनदीप सिंह, गुरदीप सिंह मोनू व अन्य का योगदान रहा।

मानगो गुरुद्वारा में कीर्तन दरबार

मानगो गुरुद्वारा में रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश उत्सव के मौके पर कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। सुबह व शाम दोनों समय कीर्तन दरबार की समाप्ति के उपरांत गुरु का अटूट लंगर संगत के बीच वितरण किया गया।

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