प्रॉमिश डे में कई वादे हुए पूरे, कई होंगे पूरे
पिता अपने बेटे से और मां अपनी बेटियो से उनके भविष्य को संवारने का वादा इस दिन करती है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : वैलेंटाइन सप्ताह मे प्रॉमिस डे को खास दिन के रूप मे लोगो द्वारा देश के सभी राज्यो व कस्बो मे मनाया जाता है। इसमे प्रेमी युगल ही नही शादी-शुदा जिंदगी जी रहे दंपलिा मे एक दूसरे से कई वादे करते है। इतना ही नही पिता अपने बेटे से और मां अपनी बेटियो से उनके भविष्य को संवारने का वादा इस दिन करती है। भले ही किसी परिस्थिति वश लोग अपना वादा नही निभा पाते है, लेकिन यह सच है कि इस दिन किया हुआ वादा को निभाने के लिए हर वर्ग की अपनी पूरी कोशिश रहती है। यदि उन्होने सच्चे दिल से कोई वादा किया हो तो। इन्ही वादो के साथ शहर के कुछ लोगो से दैनिक जागरण ने बातचीत की। जिसमे कई बाते सामने आई। --------------- अधिवक्ता रंजनधारी सिंह ने कहा कि मेरी शादी कनकलता सिंह के साथ वर्ष 1998 मे हुई थी। शादी के वक्त ही मैने उनसे वादा किया था कि वे दोनों स्वीटजरलैड घूमने के लिए जाएंगे, लेकिन हालात ऐसे थे कि मै अपना वादा नही निभा पाया। आज 20 वर्ष बाद भी मुझे अपना किया गया वादा याद है। इस प्रॉमिस डे के दिन फिर से मै वही वादा दोहराता हूं कि जल्द ही मै अपनी पत्नी ही नही बच्चो के साथ ही स्वीटजरलैट की सैर को जाऊंगा। रेलवे के उप वाणिज्य उपाधीक्षक एस के पति ने बताया कि जरूरी नही कि दूसरो की जरूरतो को पूरा करने के लिए वादा किया जाए। सबसे पहले अपना लक्ष्य, अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए वादा किया जाना जरूरी है। मैने खुद से प्रॉमिस किया है कि मै एक स्वच्छ, ईमानदार रेल अधिकारी होते हुए अपने दायित्व का भांति भांति निर्वाह कर संकू। ----------- द ग्रेजुएट स्कूल कालेज फार वूमेन की बीएड विभाग की असिस्टेट प्रोफेसर मीनू वर्मा ने बताया कि जब मै छोटी थी तो मेरी मां ने मुझे बताया थी कि महिला होने के कारण उन्हे अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए काफी कठिनाइयो का सामना करना पड़ा था। मां ने मुझसे वादा किया था कि मन लगा कर पढ़ो और जहां तक पढ़ना चाहोगी इसमे उनका पूरा सहयोग रहेगा। मां के इस वादे के बाद मैने भी मां से वादा किया कि मै पीएचडी तक की पढ़ाई करुंगी। मुझे पढ़ने से मत रोकना, मां ने तो अपना वादा निभा दिया। मेरा मेरी मां से किया वादा जल्द ही पूरा होने वाला है। मेरी पीएचडी की पढ़ाई जल्द पूरी होने वाली है। ----------------- साहित्यकार सह झारखंड प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष जयनंदन ने बताया कि मै अपने आप से ही वादा किया करता हूं कि मुझे क्या हासिल करना है। इस वर्ष के अंत तक मुझे किस उपन्यास को पूरा करना है और कौन सी कहानियां लिखकर पाठको तक पहुंचानी है, लेकिन कभी कभी प्रकाशको के कारण कहानी या उपन्यास छपने से रुक जाती है, लेकिन दूसरे वर्ष फिर से खुद से किए गए वादे को निभाते हुए रुकी हुई कहानी या उपन्यास को छपवाने का प्रयास मे लगा रहता हूं।