रात तीन बजे फोन कर रहे कोरोना संदिग्ध,अधीक्षक जी चाय-बिस्कुट दो Jamshedpur News
रात डेढ़ बजे के बाद कुछ कोरोना संदिग्ध लोग रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगातार फोन कर चाय बिस्कुट मिनरल वाटर सहित अन्य सामग्री मांगने लगते हैं।
जमशेदपुर,अमित तिवारी । हैलो..हैलो. अधीक्षक साहब। चाय-बिस्कुट चाहिए। हैलो..हैलो. उपाधीक्षक साहब मिनरल वाटर चाहिए। यह हाल रात में दो से तीन बजे का है। जब पूरा देश गहरी नींद में सो रहा होता है, तब महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संजय कुमार व उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के फोन की घंटी बजने लगती है। वह भी किसी जरूरी काम से नहीं, बल्कि कोरोना संदिग्ध मरीजों की बदमाशी से।
देशभर में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए पूरा महकमा दिन-रात जूझ रहा है। अधीक्षक-उपाधीक्षक लगातार 17 से 18 घंटे तक उनकी सेवा में जुटे हैं, ताकि संदिग्ध मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराकर उनकी जान बचाई जा सकें। यहां तक कि लगातार कार्य करने की वजह से अधीक्षक का ब्लड प्रेशर भी बढ़ गया है। चिकित्सकों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। इसके बावजूद वह अपनी परवाह न करते हुए दूसरों के लिए डटे हुए है। ऐसे में यदि कुछ संदिग्ध लोग इस तरह की बदमाशी करेंगे तो फिर उनकी चिकित्सा कौन करेगा।
धमकी देकर नंबर लेते मरीज
एमजीएम अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में फिलहाल कोरोना के करीब 25 संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। रात डेढ़ बजे के बाद कुछ संदिग्ध लोग रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगातार फोन कर चाय, बिस्कुट, मिनरल वाटर सहित अन्य सामग्री मांगने लगते हैं। इस दौरान जब कर्मचारी सुबह होने का इंतजार करने की बात कहते हैं तो वे अधीक्षक-उपाधीक्षक का नंबर मांगते है और सीधे फोन लगा देते हैं। अधीक्षक-उपाधीक्षक सुबह से देर रात तक अस्पताल में ही तैनात रहते है। जैसे ही वह घर पहुंचते और हल्की नींद लगती है, तभी ये संदिग्ध उन्हें जगा देते हैं। अधीक्षक-उपाधीक्षक ना तो सही समय पर खाना खा पा रहे हैं, न नींद ले पा रहे हैं। अधीक्षक, उपाधीक्षक की उम्र 50-55 के बीच है।
पांच दिन पूर्व की थी तोड़फोड़
आइसोलेशन वार्ड में पांच दिन पूर्व एक कोरोना संदिग्ध मरीज ने चिकित्सा कर्मियों के साथ बहस व तोड़फोड़ की थी। इसके बाद साकची थाने में मामला दर्ज कराया गया था। वह बहरागोड़ा का रहने वाला था। आइसोलेशन वार्ड में तैनात एक चिकित्सक ने बताया कि जो भी यहां आ रहे है उन्हें समझना चाहिए कि यहां आने के बाद वे सेफ जोन में हैं।
ये कहते मनोचिकित्सक
यदि कोई रात में फोन कर चाय, पानी मांग रहा है तो वह बदमाशी कर रहा है। यह मानसिक रोगी का लक्षण नहीं हो सकता। मरीजों को समझना चाहिए कि सभी उनके लिए ही ड्यूटी पर तैनात हैं। इस मुश्किल घड़ी में सबका सहयोग चाहिए।
-डॉ. दीपक गिरि, मनोचिकित्सक