सुपोषण की जंग : सेंट्रल किचेन से तंदुरुस्त हो रहे बच्चे, बड़ा स्वादिष्ट है सांभर

सुपोषण की जंग में सेंटर किचेन मददगार साबित हो रहा है। यहां बना मिड डे मील खाकर स्कूली बच्चे सेहतमंद हो रहे हैं। बच्चों को स्वादिष्ट सांभर भा रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 01 Sep 2019 03:56 PM (IST) Updated:Sun, 01 Sep 2019 03:56 PM (IST)
सुपोषण की जंग : सेंट्रल किचेन से तंदुरुस्त हो रहे बच्चे, बड़ा स्वादिष्ट है सांभर
सुपोषण की जंग : सेंट्रल किचेन से तंदुरुस्त हो रहे बच्चे, बड़ा स्वादिष्ट है सांभर
जमशेदपुर, जासं। बच्चों को तंदुरुस्त बनाने के लिए स्कूलों में पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। शनिवार को धतकीडीह, बिष्टुपुर में स्थित ठक्कर बापा मध्य विद्यालय में कुछ बच्चे लाइन लगाकर खाना ले रहे थे और कुछ बच्चे स्कूल के बरामदे में बिछी दरी पर बैठकर खाना खा रहे थे। खाना था सांभर और भात। सांभर में अरहर, चना और मूंग की दाल थी। इसमें सहजन, कच्चू, कोहड़ा, बैगन, लौकी और मूली भी पड़ी थी। सांभर से खुशबू भी बहुत अच्छी आ रही थी। प्रधानाध्यापक महोदय को रहा नहीं गया। उन्होंने एक तश्तरी में थोड़ा चावल और सांभर लिया। चावल सांभर मिलाकर एक निवाला मुंह में डाला और बोल पड़े बड़ा स्वादिष्ट है सांभर। बच्चे भी खाना बड़े चाव से खा रहे थे। सभी खुश थे। 
ऐसे बनता है खाना 
बिष्टुपुर स्थित सेंट्रल किचेन में खाना बनाने का काम रात 12 बजे से ही शुरू हो जाता है। पहले महिलाएं चावल व दाल चुनती हैं। फिर मशीन से इसकी धुलाई होती है। मशीन खुद बताती है कि चावल व दाल साफ हो गया है। कर्मचारी पहले हाथ से सब्जियों में से सड़ा गला हिस्सा अलग करते हैं और इसके बाद सब्जियां मशीन में कटने और धुलने के लिए डाल दी जाती हैं। मशीन से ही चावल, दाल व सब्जी बनाई जाती है। 
गुणवत्ता-सफाई पर खास ध्यान 
इस्कॉन कंपनी मिड डे मील बनाने में गुणवत्ता और सफाई पर खास ध्यान दे रही है। चावल को छोड़कर सभी सामग्री कंपनी खुद खरीदती है। चावल सरकार देती है। खाना बनाने के पहले और बाद में सभी मशीनों की धुलाई होती है। सामग्री भी पहले हाथ से साफ होती हैं, बाद में मशीन से धुलती हैं। स्थानीय बाजार से ही ताजी सब्जियां खरीदी जाती हैं। मसाले, तेल और अन्य सामग्री ब्रांडेड कंपनियों इस्तेमाल की जाती है। 
चावल बिगाड़ रहा जायका 
मिड डे मील के लिए सरकार से मिलने वाला चावल जायका बिगाड़ रहा है। यह चावल गंदा, मोटा और कंकड़-पत्थर से भरा हुआ है। अधिकतर बोरों में चावल सड़ा-गला भी निकल रहा है। इस वजह से खाना जायकेदार बनाने में परेशानी हो रही है। 
फिलहाल ये है मेन्यू 
फौरी तौर पर कंपनी ने चावल, दाल, सब्जी, सांभर और खीर ही मेन्यू में शामिल किया है। जल्द ही इस मेन्यू को रिवाइज करके और बेहतर बनाया जाएगा। 
ये कहते प्रोजेक्ट मैनेजर
स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। विभाग द्वारा इसके लिए मेनू भी दिया गया है। मेनू के अनुसार हम भोजन की सप्लाई करते हैं।
-लव कुश, प्रोजेक्ट मैनेजर, इस्कॉन।
ये भी जानें
इस्कॉन के पास फिलहाल 600 टिफिन, एक में 60 बच्चों का भोजन 1,00,000 बच्चों को भोजन कराने का लक्ष्य 50,000 छात्रों को फिलहाल मिल रहा खाना सरायकेला व पूर्वी सिंहभूम के 383 स्कूलों में होनी है आपूर्ति मंगलवार को 375 स्कूलों में ही पहुंच पाया खाना भोजन आपूर्ति को लगाई गईं 21 गाडिय़ां किचेन में कुल 65 कर्मचारी कर रहे काम मशीन से कटती व धुलती है सब्जी, दाल भी धोती है मशीन 41 महिलाएं चुनती हैं चावल व दाल मसाले, तेल और अन्य सामग्री ब्रांडेड कंपनियों के रात 12 बजे शुरू होता है काम, सुबह 8.30 बजे तक सप्लाई कक्षा एक से पांच तक 100 ग्राम चावल का बना भात और छह से आठ तक के बच्चों को 150 ग्राम चावल देने का प्रावधान
 
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