Medical course: एमबीबीएस कोर्स में किया गया बदलाव, तीन विषय किए गए शामिल

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने बैचलर ऑफ मेडिसीन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स में बदलाव किया है। इसे इसी सत्र से लागू किया जाएगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 21 May 2019 01:29 PM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 04:00 PM (IST)
Medical course:  एमबीबीएस कोर्स में किया गया बदलाव, तीन विषय किए गए शामिल
Medical course: एमबीबीएस कोर्स में किया गया बदलाव, तीन विषय किए गए शामिल

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने बैचलर ऑफ मेडिसीन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) कोर्स में बदलाव किया है। इसे इसी सत्र से लागू किया जाएगा। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में इसको लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। इसमें कॉलेज के सभी प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर व व्याख्याता सहित अन्य को कोर्स से संबंधित जानकारी दी जा रही है।

उद्घाटन एमजीएम कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी ने किया। इस मौके पर उन्होंने प्रोफेसर शिक्षकों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि इस बदलाव से चिकित्सा जगत में जरूर परिवर्तन आएगा। प्रशिक्षण शिविर की निगरानी करने के लिए एमसीआइ के एक पदाधिकारी भी आए हुए हैं। इस अवसर पर डॉ. एनके सिन्हा, डॉ. पीके बारला, डॉ. जीएस बड़ाइक, डॉ. दिवाकर हांसदा, डॉ. वनिता सहाय, डॉ. डीके सिन्हा, डॉ. रतन कुमार, डॉ. गौरी भादुड़ी, डॉ. एसके चौहान, डॉ. प्रीति मोहन सहित अन्य उपस्थित थे।

कोर्स को लागू कराने को तीन प्रोफेसरों को मिला प्रशिक्षण 

कोर्स को लागू कराने को लेकर फार्माकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एके विश्वास, मेडिसीन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केके अय्यर व फिजियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीएन महतो ने प्रशिक्षण मिला है। डॉ. एके विश्वास ने बताया कि एमबीबीएस के नए कोर्स में मुख्यत तीन विषय को शामिल किया गया है। इसमें इंटीग्रेटेड टीचिंग, एथिक्स एंड कम्यूनिकेशन और फाउंडेशन कोर्स पर बल दिया गया है। इन विषयों को पढ़ाने का मकसद मरीज व डॉक्टरों के बीच बढ़ते दूरी को कम करना और पूर्व की तरह ही एक बेहतर संबंध स्थापित करना है। इसके तहत भावी डॉक्टरों को मरीजों से बातचीत करने के सही तौर-तरीके सिखलाना और उनमें मरीजों के प्रति सहानुभूति और दया की भावना पैदा करना है।

नए पाठ्यक्रम में कई विशेष विषयों की होगी पढ़ाई

नए पाठ्यक्रम में एमबीबीएस छात्रों को हर स्पेशलयिटी की थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई कराई जाएगी। ताकि एमबीबीएस डॉक्टर का महत्व बढ़े और बिना पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) किए भी वह शुरुआती दौर में हर बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज कर सकें। इसके लिए पीजी के पाठ्यक्रम से कुछ हिस्सों को जोड़ा गया है। एमबीबीएस के पहले ही साल से छात्रों को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल भी कराई जाएगी। साथ ही पहले साल में क्लीनिकल काम भी कराया जाएगा ताकि पांच वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीबीएस एक डॉक्टर के रूप में पूरी तरह से तैयार हो सके। प्रत्येक सेमेस्टर के बाद टेस्ट भी होगा, जिसमें उनके द्वारा सीखे हुए कौशल की जांच होगी।

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