आयुष्मान ने बचाई ट्यूमर कैंसर के मरीज की जान, देश का दूसरा सबसे बड़ा ऑपरेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत योजना गरीब मरीजों को नई जिंदगी दे रही है। योजना से सिंगरी समद (38) के पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर का ऑपरेशन कर जान बचाई गई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 29 Jan 2019 11:36 AM (IST) Updated:Tue, 29 Jan 2019 01:41 PM (IST)
आयुष्मान ने बचाई ट्यूमर कैंसर के मरीज की जान, देश का दूसरा सबसे बड़ा ऑपरेशन
आयुष्मान ने बचाई ट्यूमर कैंसर के मरीज की जान, देश का दूसरा सबसे बड़ा ऑपरेशन

जमशेदपुर [अमित तिवारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत योजना गरीब मरीजों को नई जिंदगी दे रही है। योजना से पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के दीघा गांव निवासी सिंगरी समद (38) के पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर का ऑपरेशन कर जान बचाई गई है। काफी समय बीत जाने से ट्यूमर बड़ा होकर कैंसर में तब्दील हो गया था। ट्यूमर का आकार मरीज के चेहरे से भी बड़ा था। ऑपरेशन जटिल होने के बावजूद डाक्टरों ने रिस्क लिया। सर्जरी के दौरान फेशियल नर्व को बचाना चुनौतीपूर्ण था। थोड़ी चूक होने से आंखों की रोशनी जा सकती थी। मुंह टेढ़ा हो सकता था। भोजन की नली बंद हो सकती थी। तीन घंटे तक यह ऑपरेशन तीन चिकित्सकों की टीम ने शहर के ब्रह्रमानंद अस्पताल में किया।

पहला ऑपरेशन कर्नाटक में : डॉ.आशीष

कैंसर सर्जन डॉ. आशीष कुमार के अनुसार यह ट्यूमर भारत का दूसरा सबसे बड़ा पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर कैंसर है। इसका आकार 20 गुना 15 सेंटीमीटर था। वजन करीब तीन किलो था। उनके अनुसार, देश का पहला सबसे बड़ा पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर का सर्जरी कर्नाटक में हुआ था। उसका आकार 25 गुना 18 सेंटीमीटर था। शहर के चिकित्सकों के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। सर्जरी टीम में डॉ. आशीष कुमार के अलावा जनरल सर्जन डॉ. देवदूत व एनेस्थेसिया रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय कुमार शामिल थे। उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले भी घाटशिला क्षेत्र के ही एक ट्यूमर पीड़ित मरीज की जान जमशेदपुर की स्वयंसेवी संस्था वरदान ज्योति ने पहल कर बचाई थी।

ट्यूमर की वजह से कुंवारा रह गया सिंगरी

सिंगरी ने बताया कि अबतक शादी नहीं हो सकी है। ट्यूमर का आकार इतना बड़ा था कि हर कोई देखकर भाग जाता था। डर के मारे कोई पास नहीं आता था। कई बार लोग रिश्ता लेकर आए, लेकिन ट्यूमर देख कर भाग गए।

मरीज के पास भगवान बनकर पहुंचे देवदूत

सिंगरी समद की उम्र जब 15 साल थी, तभी कान के नीचे एक छोटा-सा ट्यूमर निकल आया। वह बढ़ता गया और तीन किलो हो गया। यानी 23 साल तक मरीज ट्यूमर लेकर इधर से उधर भटकता रहा। दैनिक जागरण से बातचीत में सिंगरी समद की आंखों भर आईं। अपनी पीड़ा बताने के क्रम में कई बार रोने लगा। कहा- यदि प्रधानमंत्री का पत्र (गोल्डन कार्ड) नहीं मिलता और डॉ. देवदूत हमारे बीच नहीं पहुंचते तो शायद इलाज नहीं हुआ होता। सिंगरी बीते कई सालों से इलाज के लिए रांची, कोलकाता सहित अन्य जगहों पर गए, पर पैसे की कमी के कारण इलाज नहीं हो पाया। सिंगरी किसान है। वहीं डॉ. देवदूत ने गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया था। उसमें सिंगरी की बीमारी की पहचान हुई। तब जाकर आयुष्मान योजना का लाभ मिल सका। सिंगरी के ऑपरेशन पर करीब 70 हजार रुपये खर्च आया है।

इलाज सिर्फ सर्जरी, बीमारी का कारण अबतक ज्ञात नहीं

पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर कैंसर से देश में दो से तीन फीसद लोग ग्रस्त हैं। पर उसका आकार पांच से छह सेंटीमीटर होता है। 20 सेंटीमीटर मिलना दुर्लभ है। इस बीमारी का अबतक कोई कारण सामने नहीं आया है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी ही है।

-डॉ. आशीष कुमार, कैंसर सर्जन, ब्रह्रमानंद अस्पताल।

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