जमशेदपुर में 38 साल पहले मृत व्यक्ति की कोरोना जांच से सभी हैरान, परिवार ने की जांच की मांग

corona investigation of 38 years ago dead person . 38 साल पहले मृत व्‍यक्ति की कोरोना जांच। जी हां मृत व्यक्ति के पुत्र के मोबाइल पर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का जब यह मैसेज पहुंचा कि उनके पिता का नमूना कोराना जांच के लिए लिया गया है तो हैरान होना लाजिमी था।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 19 Dec 2020 11:39 AM (IST) Updated:Sat, 19 Dec 2020 12:47 PM (IST)
जमशेदपुर में 38 साल पहले मृत व्यक्ति की कोरोना जांच से सभी हैरान, परिवार ने की जांच की मांग
मृतक के पुत्र के मोबाइल पर मैसेज पहुंचा कि आपके पिताजी का नमूना कोरोना जांच के लिए लिया गया है!

जमशेदपुर, अमित तिवारी। किसी की मौत के 38 साल बाद परिजन के मोबाइल पर जिंदा होने की सूचना पहुंचे तो आप क्‍या कहेंगे। लेकिन ऐसा ही एक मामला आया है झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के भादूडीह पंचायत से। 38 साल पहलेस्‍वर्गवासी हो चुके व्‍यक्ति के पुत्र के मोबाइल पर यह मैसेज पहुंचा कि आपके पिता का नमूना कोरोना जांच के लिए लिया गया है।

मैसेज पढ़कर पुत्र हैरान हो गए कि आखिर यह कैसे हो सकता है जब उसके पिता इस दुनिया में हैा ही नहीं। मामला सामने आने के बाद  स्‍‍‍‍‍‍‍वास्‍थ्‍य विभाग के पदाधिकारी भी जांच-पड़ताल में जुट गए हैं कि आखिर इस तरह की गड़बड़ी कहां से हुई। भादुडीह पंचायत के एक व्‍यक्ति के नाम पर आठ दिसंबर को कोरोना जांच के लिए नमूना लेने की बात जिला स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में दर्ज की गई है। जबकि हकीकत यह है कि उस व्‍यक्ति की मौत 38 साल पूर्व ही हो चुकी है। कथित रूप से नमूना लेने के बाद जब व्‍यक्ति के पुत्र के मोबाइल पर मैसेज गया कि आपके पिताजी का नमूना कोरोना जांच के लिए लिया गया है तो वे हैरान गए। यह सवाल उन्‍हें कुरेदने लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है।

परिजन कर रहे जांच की मांग

कोरोना जांच के लिए नमूना लिये जाने का मैसेज मिलने के बाद उन्होंने इसकी जानकारी अपने स्वजनों को दी। वे भी हैरान हो गए। इतना ही नहीं, लगातार दूसरे दिन उनकी बहन के मोबाइल पर भी मैसेज गया है कि आपका नमूना कोरोना जांच के लिए लिया गया है। जबकि उसने कोरोना जांच के लिए नमूना दिया ही नहीं है। इससे स्वजन काफी परेशान हैं। ऐसा कैसे हो रहा है, इसकी जांच की मांग वे कर रहे हैं।

नमूना लेने के बाद सभी के मोबाइल पर जाता मैसेज

स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक ऐसा सिस्टम तैयार किया गया है, जिसके तहत अगर किसी व्यक्ति का कोरोना जांच के लिए नमूना लिया जाता है तो उसके मोबाइल नंबर पर मैसेज जाता है कि आपका नमूना लिया जा चुका है। इसमें नाम, पता, लक्षण, मोबाइल नंबर अंकित रहता है। उसके आधार पर ही व्यक्ति को जांच रिपोर्ट मिलती है।

यह हो सकता है कारण  एक चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कई बार देखा गया है कि कोरोना जांच कराने के दौरान लोग अपना पहचान छुपाना चाहते हैं। वे अपने नाम, पता और यहां तक कि मोबाइल नंबर भी गलत लिखवा देते हैं। जब रिपोर्ट आती है और उस नंबर पर संपर्क किया जाता है तो पता चलता है कि इस नाम का यहां कोई व्यक्ति नहीं रहता है। इस मामले में ऐसा भी हो सकता है। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को नमूना संग्रह करने का लक्ष्य दिया जा रहा है। ऐसे में कर्मचारियों पर दबाव अधिक है। हो सकता है कि उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर उसके यहां कभी दर्ज हुआ है और कर्मचारी ने उसी नाम, पता पर कोविड जांच का फॉर्म भर दिया हो।  कई बार तकनीकी गड़बड़ी भी होती है। पूर्वी सिंहभूम जिले के बागबेड़ा में भी एक गर्भवती महिला को दूसरे की रिपोर्ट दे दी गई थी और रिपोर्ट में पॉजिटिव बताया गया था। पूर्वी सिंहभूम जिले में चार अक्टूबर को एक और मामला सामने आया था। यह मामला बिरसानगर का था। एक मरीज का कोरोना जांच कराने के लिए आरटीपीसीआर का सैंपल लिया गया था। जबकि रिपोर्ट उन्हें रैपिड एंटीजन का दिया गया । उसमें 358 अंकित किया गया था।

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