आइएएस-आइपीएस में काफी मुस्लिम छात्र हो रहे उत्तीर्ण, हिंदू जनजागृति काे जिहाद की आशंका

हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित वेबिनार में यूपीएससी जिहाद या नौकरशाही जिहाद पर चिंता व्यक्त की गई है। इसे लेकर वक्ताओं ने अपनी-अपनी राय रखी है। इसे सरकार को गंभीरता से लेने को कहा गया है। आइएएस-आइपीएस में मुस्लिम छात्रों का उत्तीर्ण होना जिहाद की आशंका को बढ़ा रहा है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 11:22 AM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 11:22 AM (IST)
आइएएस-आइपीएस में काफी मुस्लिम छात्र हो रहे उत्तीर्ण, हिंदू जनजागृति काे जिहाद की आशंका
हिंदू जनजागरण के वेबिनार में शामिल वक्ता, जिन्होंने रखी अपनी बात।

जमशेदपुर, जासं। भारत के कट्टर मुसलमान देश की नौकरशाही पर नियंत्रण के लिए ‘यूपीएससी जिहाद’ या ‘नौकरशाही जिहाद' चला रहे हैं। ऐसी आशंका हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित वेबिनार में सुदर्शन न्यूज के प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाण ने जताई है। समिति से जुड़े जमशेदपुर के सुदामा शर्मा ने बताया कि वेबिनार में सुरेश चव्हाण ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग या यूपीएससी परीक्षा में जकात फाउंडेशन नामक संस्था के मुसलमान विद्यार्थी भारत से काफी संख्या में उत्तीर्ण हो रहे हैं। इसके लिए संगठनों को अनेक आतंकवादी संगठनों से आर्थिक मदद मिल रही है। जकात फाउंडेशन की शरीयत परिषद के वरिष्ठ सलाहकार मौलाना कलीम सिद्दीकी को धर्मांतरण सहित आर्थिक हेराफेरी के प्रकरण में उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल ही बंदी बनाया है। सिद्दीकी केवल एक मोहरा है, जबकि इसके पीछे भारत में ‘गजवा-ए-हिंद' करने के लिए हिंदुओं के धर्मांतरण का जागतिक षडयंत्र चल रहा है।

बिहार में 10 लाख हिंदुओं को बनाया गया ईसाई

‘भारत में धर्मांतरण जिहाद!' विषययक 'ऑनलाइन विशेष संवाद’ में चव्हाण ने आगे कहा कि सरकार ने इस प्रकरण में कुछ लोगों को यद्यपि बंदी बनाया है, तथापि यह ‘जिहाद' अनेक मौलाना कार्यान्वित कर रहे हैं और अभी भी खुले में घूम रहे हैं। आर्थिक दृष्टि से दुर्बल अथवा विकलांग व्यक्ति, दूर बस्ती में रहनेवाले हिंदुओं को प्रथम लक्ष्य बनाकर उन्हें धर्मांतरित किया जा रहा है। गत 15 महीने में केवल बिहार में ही 10 लाख हिंदुआें का धर्मांतरण हुआ है। अब वे ईसाई बन गए हैं। भारत के अन्य राज्यों में भी काफी संख्या में धर्मांतरण हो रहा है। 'प्रयागराज टाइम्स' के संपादक अनुपम मिश्रा ने कहा कि हिंदुओं का धर्मांतरण करने के लिए मुसलमान और ईसाइयों को खुली छूट दी गई है। क्या भारत में ऐसा कोई राज्य है, जहां मदरसों को आर्थिक सहायता और इमामों को वेतन नहीं दिया जाता है। ‘जमात-ए-इस्लामी' जैसे संगठन अपनी वेबसाइट (जालस्थल) पर सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि ‘धर्मांतरण करना हमारे अस्तित्व का मुख्य उद्देश्य है।' अब धर्मांतरण करनेवाली मिशनरियां और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने वालों का हिंदू अब संगठित होकर विरोध कर रहे हैं, यह एक आशा की किरण है।

हिंदुओं को जागृत करने की आवश्यकता

हिंदू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य समन्वयक विश्‍वनाथ कुलकर्णी ने कहा कि अभी तक बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्मांतरण प्रलोभन देकर या बलपूर्वक किया गया है। धर्मांतरण एक तरह का राष्ट्रांतरण है। धर्म और संस्कृति नष्ट कर अभी तक मुगलों सहित अन्य विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे देश का विभाजन किया। यह सत्य इतिहास बताकर हिंदुओं में जनजागृति करनी चाहिए। हिंदू बंधुओं को अपने हिंदू धर्म की महानता समझाने की आवश्यकता है। देश में 'धर्मांतरण विरोधी कानून' बनाकर उस पर कठोरता से कार्यान्वयन करना आवश्यक है । हिंदू यदि स्वयं धर्मपालन करेंगे, तो अपने धर्म के प्रति अभिमान निर्माण होगा।

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