टीएफए ने राष्ट्र को समर्पित किए 19 फुटबॉलर

नंबर गेम -213 कैडेट्स पिछले तीस साल में टीएफए से पासआउट हुए हैं -141 कैडेट्स अभी तक भार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Jul 2018 08:35 PM (IST) Updated:Thu, 05 Jul 2018 08:35 PM (IST)
टीएफए ने राष्ट्र को समर्पित किए 19 फुटबॉलर
टीएफए ने राष्ट्र को समर्पित किए 19 फुटबॉलर

नंबर गेम

-213 कैडेट्स पिछले तीस साल में टीएफए से पासआउट हुए हैं

-141 कैडेट्स अभी तक भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

-28 पूर्व कैडेट्स इंडियन सुपर लीग में खेल रहे हैं

-24 कैडेट्स भारत की विभिन्न आयु वर्ग की टीमों की कप्तानी कर चुके हैं

-02 पूर्व कैडेट्स को मिल चुका है अर्जुन अवार्ड, जिसमें दीपक मंडल व सुब्रतो पॉल शामिल हैं।

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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : 1987 में स्थापित भारतीय फुटबॉल की नर्सरी कहा जाने वाला टाटा फुटबॉल अकादमी ने गुरुवार को 19 पेशेवर फुटबॉलरों को राष्ट्र को समर्पित किया। पिछले तीस सालों में देश की पहली फुटबॉल अकादमी ने 213 पेशेवर फुटबॉलर पैदा किया, जिसमें 141 कैडेट्स (कुल कैडेट्स का 56 फीसदी) ने विभिन्न आयु वर्र्गो में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षा समारोह में सभी ग्रेजुएट कैडेट्स को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। जमशेदपुर एफसी रिज‌र्व्स टीम के कप्तान बासेत हांसदा को सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित किया गया। कुल 19 पासआउट कैडेट्स में 16 को जेएफसी की रिज‌र्व्स टीम ने एक साल के लिए अनुबंधित किया है। उन्हें मासिक 20 हजार रुपए मिलेंगे, यानि साल भर में दो लाख चालीस हजार रुपये कमा पाएंगे। दीक्षा समारोह में बेंगलुरू एफसी के स्टार स्ट्राइकर उदांता सिंह के अलावा टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन, सुनील भास्करन (चेयरमैन, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, टाटा फुटबॉल अकादमी), खेल विभाग के चीफ आर राधाकृष्णन व मुकुल विनायक चौधरी (चीफ, एकेडमिक्स व एक्सीलेंस, टाटा स्टील) व झारखंड फुटबॉल संघ के अध्यक्ष नजम अंसारी मौजूद थे।

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लारा के साथ एटीके ने किया अनुबंध

जहां तक पेशेवर क्लबों के साथ अनुबंध की बात है तो लारा शर्मा को एटीके ने तीन साल के लिए तीस लाख रुपये में अनुबंध किया है, वहीं अभिषेक नायर को चेन्नई एफसी तथा आशीष प्रधान को बेंगलुरु एफसी ने मौका दिया है।

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टीएफए से मैच खेल चुके हैं नरेंद्रन

टीवी नरेंद्रन ने बताया कि 1988 में ग्रेजुएट ट्रेनी के तौर पर टाटा स्टील में सेवा दी थी तो उस समय टाटा फुटबॉल अकादमी से मैच खेलने का मौका मिला था। उस वक्त जीटी हॉस्टल व टीएफए के बीच दीवार नहीं था। ऐसे में प्रशिक्षु इंजीनियर टीएफए ग्राउंड में खेलने पहुंच जाते थे। ऐसे ही एक मैच के शुरुआत में नरेंद्रन की टीम ने गोल दाग दिया। इसके बाद टीएफए के शावकों ने ना जाने कितने गोल किए, जो याद रखने लायक नहीं था। उन्होंने कहा कि यहां से पासआउट हुए कैडेट्स की टीएफए के असली ब्रांड अंबेसडर हैं।

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ग्रास रुट स्तर पर हो रहा काम

टाटा फुटबॉल अकादमी के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन सुनील भास्करन ने कहा कि ग्रास रुट स्तर से प्रतिभाओं को तराशना होगा। इसके लिए टीएफए काफी गंभीर है। फिलहाल विभिन्न स्थानों पर तीन हजार से अधिक जूनियर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यूरोपीय देशों में तो छह साल से ही बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दी जाती है, तब जाकर वे विश्वस्तरीय खिलाड़ी बन पाते हैं। भारत में भी ऐसे ही प्रयास किए जाने चाहिए। टाटा ग्रुप मिजोरम व मणिपुर में आठ साल के बच्चों के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस चला रही है, जिसके परिणाम आने वाले समय में नजर आएंगे। 2014-18 बैच की प्रशंसा करते हुए भास्करन ने कहा कि इस बैच ने आइएफए शील्ड, जेएसए लीग व टाटा उत्कलिका लीग का खिताब अबने नाम किया। 15 खिलाड़ियों को जमशेदपुर एफसी रिज‌र्व्स में जगह दी गई, वहीं रफीक अली सरदार को सीनियर टीम में स्थान दिया गया है।

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टीएफए से उपाधि पाने वाले कैडेट्स

येंद्रेंबम नरेश सिंह (मणिपुर), बिल्लू तेली (प. बंगाल), मोबासिर रहमान (झारखंड), शुभम घोष, स्वरुप दास, हर्ष परुई, मो. फिरोज खान, राकेश यादव, विशाल दास (सभी प. बंगाल के), बासेत हांसदा (झारखंड), करणदीप (पंजाब), लारा शर्मा (पंजाब), विजय कुमार (हरियाणा), थियाम श्रीवश सिंह (मणिपुर)।

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