दिल्ली में करीब 80 हजार आदिवासी लड़कियां: गीता

By Edited By: Publish:Wed, 20 Aug 2014 01:33 AM (IST) Updated:Wed, 20 Aug 2014 01:33 AM (IST)
दिल्ली में करीब 80 हजार आदिवासी लड़कियां: गीता

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :

वैसे तो पूरे भारत से घरेलू कामकाज के लिए लड़कियों को दिल्ली ले जाया जाता है, लेकिन इनमें सर्वाधिक झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओडिशा की आदिवासी लड़कियां हैं। ये बातें महिला अधिकार के लिए लंबे समय से सक्रिय पुणे की गीता ताई ने कहीं। मंगलवार को तुलसी भवन में आयोजित सेमिनार को संबोधित करने आयीं गीता ने कहा कि उनकी संस्था दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र ने करीब आठ साल पहले इसका सर्वे किया था। सर्वे के दौरान उनकी संस्था के कार्यकर्ताओं ने तीनों राज्य के करीब छह हजार ऐसे परिवारों से संपर्क किया था जिनके घरों की लड़कियां रोजगार की तलाश में दिल्ली-मुंबई आदि शहरों में गई थीं, तो दिल्ली में करीब एक हजार ऐसी लड़कियों से भी बात की थी जो इन राज्यों से आयी थीं। संस्था ने उन एजेंटों से भी बात किया था जो इन लड़कियों को नौकरी दिलाते थे। सर्वे में यही बात सामने आयी कि करीब 70 फीसद लड़कियां अपनी स्थिति से संतुष्ट थीं, जबकि 10 फीसद को दो-तीन घर बदलने के बाद अच्छे मालिक मिले। इनमें से 10 फीसद सुंदर लड़कियों को बाहर के देशों में भेज दिया जाता है, जबकि 10 फीसद लड़कियां ऐसी हैं जिनका कोई अता-पता नहीं है। पढ़ी-लिखी नहीं होने व मानसिक रूप से अल्प विकसित होने की वजह से ये लड़कियां अपने मोहल्ले के अलावा स्पष्ट पता नहीं बता पाती हैं। दिल्ली पुलिस भी मानती है कि गलत लोगों के चंगुल से छुड़ाए जाने के बावजूद इन्हें अपने पैतृक स्थान पर नहीं पहुंचाया जा सका, क्योंकि उनका सही ठिकाना बताने वाला कोई नहीं मिलता। गीता ताई ने कहा कि सर्वे के बाद उनके आग्रह पर इन तीनों राज्यों की ओर से दिल्ली में महिला हेल्पलाइन खोले गए हैं, लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों को भी हर पंचायत या प्रखंड स्तर पर रिकार्ड रखना होगा। ताई ने बताया कि आदिवासी लड़कियों के शोषण की जड़ में वे एजेंट हैं जो इन्हें काम पर लगाते हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

chat bot
आपका साथी