संस्कारशाला : वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श

हमारे महान देश भारत को आजादी दिलाने में जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति द

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 08:26 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 08:26 PM (IST)
संस्कारशाला : वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श
संस्कारशाला : वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श

हमारे महान देश भारत को आजादी दिलाने में जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति दी, उन्हें देशवासी कभी भुला नहीं सकते हैं। उन महान सेनानियों के जीवन के आदर्शों को हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। विशेष रूप से विद्यार्थियों को उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श को सामने रखना चाहिए। जिन स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत देश आजाद हुआ उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। उनके आदर्शों को याद करने के लिए जरूरी है कि उन्हें पाठयक्रम में देश के इन महान सपूतों की जीवनी को पढाया जाना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बड़ी संख्या में सेनानियों ने जीवन की तमाम सुख सुविधाओं को देश पर न्यौछावर कर दिया था। उनका एकमात्र आदर्श था देश की आजादी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्य, अहिसा और सत्याग्रह की अवधारणा को सभी देशवासियों को आत्मसात करना चाहिए। यह इन्हीं अवधारणा और सिद्धांत की शक्ति थी कि ऐसी अंग्रेजी शासन जिसमें कभी सूर्यास्त नहीं होता था और लगभग दो सौं वर्षों तक देश में शासन करने वाले वाले अंग्रजों को भारत से भागना पड़ा। देश की आजादी के संग्राम के दौरान कई उतार चढ़ाव भी आए थे। देश को आजाद कराने में जब तन मन धन की जरूरत पड़ी तो इन सेनानियों ने इसमें भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारत को आजाद कराने के लिए सारी सुख सुविधाओं का त्याग करते हुए विदेशों में निर्वासित होकर भी देशभक्तों की फौज यानी आजाद हिंद फौज तैयार की और निकल पड़े भारत को गुलामी की बेडियों से आजाद कराने। चाहे बात शहीद भगत सिंह की हो, अशफाकुल्ला खान, राजगुरू, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद की हो या खुदी राम बोस की सभी देश की आजादी के अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। इन महान स्वतंत्रता सेनानियों की बेमिसाल कुर्बानियों के नतीजे में देश आजाद हुआ। हम सभी आजाद भारत की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। यह आजाद हमें जिनकी विरासत में मिली है, लोग उनकी विरासत को धीरे धीरे भूलते जा रहे हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी देशवासी उन सेनानियों को विरासत को आगे भी कायम रखें। इतना सब कुछ होने के बाद भी वर्तमान में समाज में ऐसे व्यक्ति या संस्था मिल जाते हैं जो उन महान सेनानियों के आदर्शों को सामने रखकर काम करते नजर आते हैं। इस तरह के लोगों की श्रृंखला भी है जो लगातार उस दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। यही देश की असली ताकत भी है। ऐसे तो हमारा देश आजाद है मगर आजादी के इतने दशक बीत जाने के बाद भी देशवासियों के सामने देश के उन महान सपूतों और स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों की जरूरत है। देश के सामने गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, कुपोषण, पेयजलापूर्ति आदि की समस्याएं देखने को मिल जाती है। इसके अलावा सामाजिक रूप से असमानता, भेदभाव, सांप्रदयिकता, उग्रवाद, आतंकवाद जैसी समस्याएं भी मुंह बाए खड़ी है। इन समस्याओं से लड़ने के लिए हमें उन्हीं आदर्शों की आवश्यकता है जो उनके महान सपूतों ने सामने रखी थी।

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