आजादी के सात दशक बाद भी विकास को तरस रहा डाडी घाघर

अरुण इचाक(हजारीबाग) हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड का डाडी घाघर पंचायत आजादी के सात

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 09:47 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:08 AM (IST)
आजादी के सात दशक बाद भी विकास को तरस रहा डाडी घाघर
आजादी के सात दशक बाद भी विकास को तरस रहा डाडी घाघर

अरुण, इचाक(हजारीबाग) : हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड का डाडी घाघर पंचायत आजादी के सात दशक बाद भी बैसाखी के सहारे ही चल रहा है। यदि यहां कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस नहीं बल्कि वही खटिया का ही सहारा उसे अस्पताल तक पहुंचाता है। कितने आश्चर्य की बात है कि आजादी के बाद हजारीबाग में कई सांसद और विधायक आये और गये लेकिन डाड़ीघाघर पंचायत विकास से कोसो दूर रहा। आज भी इस गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। राजनेता वोट लेने के लिए तरह तरह के वादा करते है लेकिन जितने के बाद मुड़कर देखते तक नही। कोडरमा लोकसभा व बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र के इचाक प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव डाढ़ीघाघर पंचायत आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी विकास से अछूता है। आज भी किसी के घर में कोई डिलेवरी पेशेंट है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए गांव वालों को खटिया का सहारा लेना पड़ता है। प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा डाड़ीघाघर पंचायत आदिवासी बहुल है। इसके अंतर्गत 6 गांव डाड़ीघाघर, फुफंदी, गरडी,सिमरातरी, तुरी और पूरनपनिया हैं।पंचायत अंतर्गत गांव में जाने के लिए सड़क नही है। चार पहिया तो छोड़ दीजिए दो पहिया चलने लायक सड़क नही है। ग्रामीणों ने कई बार खुद से श्रमदान कर सड़क बनाई है। गरडी गांव में वर्षो से बिजली का खंबा खड़ा है और ग्रामीण खंबे को देखकर अंधेरा छटने का इंतजार कर रहे है। जबकि तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके निवर्तमान सांसद बाबूलाल मरांडी का ध्यान भी नहीं गया जो स्वयं आदिवासी है। वहीं सड़क,बिजली और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर डाड़ीघाघर पंचायत के ग्रामीणों ने स्थानीय मुखिया सुमन देवी के नेतृत्व में 2019 लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया। कहा कि विकास नही तो वोट नही। वोट बहिष्कार की खबर अखबारों में छपने के बाद पूरा सरकारी अमला डाड़ीघाघर गांव पहुंचे। ग्रामीणों की समस्या सुन समाधान का वादा किया। जिला प्रशासन की बातों में विश्वास कर ग्रामीणों ने मतदान किया। उन्हें विश्वास था कि गांव में विकास की धारा बहेगी।लेकिन लोकसभा चुनाव के डेढ़ वर्ष बाद भी ठगा सा महसूस कर रहे है। इन डेढ़ वर्षो में न सांसद, विधायक और न ही जिला प्रशासन के कोई पदाधिकारी ग्रामीणों की सुध लेने पहुचा। आज भी ग्रामीण परिवर्तन की आस में बैठे हैं। स्थानीय समाजसेवी सह आदिवासी नेता रमेश हेम्बरोम ने बताया कि आजादी के बाद से डाड़ीघाघर पंचायत का विकास नही हुआ। आज भी हमलोग विकास के अभाव में जीवन गुजारने को विवश हैं। गांव की समस्या को लेकर सांसद, विधायक व जिला प्रशासन से भी मिले। ग्रामीणों ने सांसद अन्नपूर्णा देवी को समस्याओं से अवगत कराया है और उन्हें ज्ञापन सौंपा है।

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