बदलते गए विधायक-सांसद, नहीं बदली तो मरदा नदी किनारे बसे गांवों के भाग्य

संवाद सूत्ररायडीह विकास की छटपटाहट मरदा नदी के किनारे बसे कई गांवों के हजारों लोगों में दिखाई पड़ रही है। यह नदी कुलबीर गांव के किनारे से होकर बहती है। कुलबीर एवं आस पास के गांवों के लोगों का नदी के पार खेत है लोग खेती करते हैं और अपनी फसल को नदी पार कर लाने में कठिनाइयां महसूस भी करते हैं। जब जब चुनाव की बारी आती है तब तब गांव के लोग राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने पुल बनाने का प्रस्ताव रखते रहे हैं। लेकिन सांसद विधायक बदलते चले गए लेकिन पुल नहीं बना जिससे प्रभावित गांवों के लोगों की तकदीर नहीं बदल सकी। यह नदी रायडीह और पालकोट प्रखंड के बीच खेती बारी और बे

By JagranEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 06:04 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 06:04 PM (IST)
बदलते गए विधायक-सांसद, नहीं बदली तो मरदा नदी किनारे बसे गांवों के भाग्य
बदलते गए विधायक-सांसद, नहीं बदली तो मरदा नदी किनारे बसे गांवों के भाग्य

संवाद सूत्र, रायडीह : विकास की छटपटाहट मरदा नदी के किनारे बसे कई गांवों के हजारों लोगों में दिखाई पड़ रही है। यह नदी कुलबीर गांव के किनारे से होकर बहती है। कुलबीर एवं आसपास के गांवों के लोगों का नदी के पार खेत है। लोग खेती करते हैं और अपनी फसल को नदी पार कर लाने में कठिनाइयां महसूस भी करते हैं। जब-जब चुनाव की बारी आती है तब-तब गांव के लोग राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने पुल बनाने का प्रस्ताव रखते रहे हैं। लेकिन सांसद विधायक बदलते चले गए और पुल नहीं बना। जिससे प्रभावित गांवों के लोगों की तकदीर नहीं बदल सकी। यह नदी रायडीह और पालकोट प्रखंड के बीच खेती-बारी और बेटी-रोटी के संबंध को जोड़ने का काम करती है। लेकिन विकास के कार्य को प्रभावित भी करती है। इस नदी पर पुल बन जाने से कुलवीर, जोगीटोली, दौरी बाइर आदि गांवों के लोगों को आवागमन की सुविधा मिल जाती। परेशानियां दूर हो जाती। बरसात में नदी के भर जाने पर फसलों की रखवाली करने जाना भी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। स्कूल के बनने से महुआटोली , रुकरुम और खटखोर गांव के लोगों को भी लाभ होता। जिला मुख्यालय से भी इन गांवों की दूरी घट जाती। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित रहा है। हालांकि नक्सली घटनाओं में कमी आई है। जिससे ग्रामीणों को लगता है कि पुल बनने में अब नक्सली बाधक नहीं बनेंगे। ग्रामीण गगुन साहु और मलार उरांव कहते हैं कि क्या करें, पुल बनने की उम्मीद में मतदान करते आए हैं लेकिन एक दो चुनाव के बाद विधायक का टिकट ही कट जाता है या विधायक बदल जाते हैं। यह क्षेत्र सिमडेगा विधानसभा का हिस्सा है। अब तो हमारे सांसद ही बदल गए। विधायक सांसद तो यहां आते नहीं, लोगों को पहचानते नहीं, थक हारकर उनके प्रतिनिधियों से गुहार लगाते हैं।लगाई गई गुहार प्रतिनिधि अपने विधायक सांसद तक पहुंचाते भी नहीं। ग्रामीण मरदा नदी पर पुल बनाने की शिद्दत से इंतजार कर रहे हैं।

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