चारा घोटाले में लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की जान को खतरा

चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की जान को खतरा है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Wed, 27 Jun 2018 10:53 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jun 2018 06:03 PM (IST)
चारा घोटाले में लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की जान को खतरा
चारा घोटाले में लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की जान को खतरा

जागरण संवाददाता, गोड्डा। गोड्डा (झारखंड) के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश शिवपाल सिंह की जान को खतरा है। इसके लिए उन्हें रिवाल्वर का लाइसेंस व सुरक्षा गार्ड चाहिए। लाइसेंस के लिए उन्होंने उपायुक्त व आ‌र्म्स मजिस्ट्रेट को पत्र भेजा है। इससे पूर्व पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर उन्होंने सुरक्षा गार्ड की मांग की थी।

गौरलतब है कि जज शिवपाल सिंह रांची में सीबीआइ की विशेष अदालत में पदस्थापित थे। इस दौरान उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई महत्वपूर्ण लोगों को सजा सुनाई थी। इसके बाद से वह असामाजिक तत्वों के निशाने पर हैं। पिछले दिनों उनका तबादला गोड्डा में एडीजे टू के पद पर कर दिया गया। हालांकि, पूर्व में भी वह गोड्डा में पदस्थापित रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने रिवॉल्वर के लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था।

प्रमंडलीय आयुक्त ने पुलिस सत्यापन के बाद उन्हें रिवॉल्वर का लाइसेंस निर्गत करने का आदेश दिया था। लेकिन उन्हें आज तक लाइसेंस नहीं मिला। सोमवार को उन्होंने उपायुक्त को पत्र लिखकर कहा कि प्रमंडलीय आयुक्त ने पांच अप्रैल, 2005 को पुलिस सत्यापन के बाद रिवॉल्वर का लाइसेंस निर्गत करने का आदेश दिया था। इस आलोक में उन्हें तत्काल लाइसेंस निर्गत कर दिया जाए। इसके बाद उनके बारे में पुलिस से रिपोर्ट ले ली जाए। अगर पुलिस की रिपोर्ट प्रतिकूल हुई तो वह लाइसेंस तत्काल सरेंडर कर देंगे।

पैतृक आवास में हो गई थी चोरी

शिवपाल सिंह मूलत: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के शेखपुर खुर्द के रहने वाले हैं। वहां उनके छोटे भाई सुरेंद्रपाल सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं। 20 जून की रात चोरों ने उनके घर में चोरी की घटना को अंजाम दिया था। करीब दो लाख के जेवर व 60 हजार रुपये नकद ले गए थे।

चारा घोटाले में लालू को सुनाई थी सजा

जज शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद को चारा घोटाले के दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सात-सात साल यानी 14 साल की सजा सुनाई थी।

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