आधा दर्जन गांवों में मारे गए मुर्गा व मुर्गी

मेहरमा : सुखाड़ी सहित आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों में अब कुकड़ू कु नहीं सुनाई देगी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 07:20 PM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 07:20 PM (IST)
आधा दर्जन गांवों में मारे गए मुर्गा व मुर्गी
आधा दर्जन गांवों में मारे गए मुर्गा व मुर्गी

मेहरमा : सुखाड़ी सहित आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों में अब कुकड़ू कु नहीं सुनाई देगी। क¨लग टीम के सदस्यों ने शुक्रवार की देर रात तक मुर्गा को गला दबाकर मारने का अभियान चलाया। इस दौरान सुखाड़ी में 38 व फाजिल खुटहरी में 17 देसी मुर्गा को गला दबाकर मारा गया। साथ ही सभी को प्रति मुर्गा 70 रुपये रुपये की दर से भुगतान भी कर दिया गया। मुर्गा को नष्ट करने के बाद उसे पास ही स्थित गड्ढे में दफना दिया गया। ग्रामीणों की मौजूदगी में मुर्गा को गला दबाकर मारने से अधिकांश ग्रामीण भावुक नजर आ रहे थे। ग्रामीणों का कहना था कि उन लोगों ने काफी मेहनत से मुर्गा मुर्गी को पाला था। इसमें से अधिकतर ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का साधन मुर्गा पालन ही था। लेकिन बर्ड फ्लू के भय के कारण वे लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। बताया कि डेढ़-दो सौ कीमत के मुर्गा की कीमत मात्र 70 रुपए मिलने से हुए लोग दुखी हैं। प्रशासन द्वारा उन्हें समझाया जा रहा था कि मुर्गा से मनुष्य में भी बर्ड फ्लू आ सकता है। बताया गया कि पिछले दिनों मरे हुए मुर्गा का सैंपल भोपाल भेजा गया था। जहां बर्ड फ्लू पॉजिटिव आया है। इसलिए इसे मारना अति आवश्यक है। पक्षी के बाद मनुष्य में बर्ड फ्लू फैल जाने की आशंका बनी रहती है। इसे रोक पाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए चाहकर भी ग्रामीण इसका विरोध नहीं कर पा रहे थे। शुक्रवार की देर शाम लाउडस्पीकर से प्रचार-प्रसार कराकर सभी ग्रामीणों को रात में ही मुर्गा को सौंपने का निर्देश दिया गया। चूंकि रात में आसानी से मुर्गा पकड़ में आ जाता है। बताया जाता है कि शनिवार से मुर्गा रखने वाले स्थानों की साफ सफाई की जाएगी।इसके बाद जिस घर में मुर्गा होने की जानकारी मिलेगी, बिना मुआवजा दिए उस घर के मुर्गा को मारकर मिट्टी के नीचे दफना दिया जाएगा। आवाज पर पकड़े गए मुर्गे : कई लोगों ने देसी मुर्गा को अपने घरों, सरसों व मकई के खेत तथा वृक्ष के नीचे छुपाकर रख लिया। छुपाए गए मुर्गा की आवाज पर कई को बाहर निकाल कर मारा गया। गांव के अधिकतर लोग सुबह सुबह मुर्गे की (बांग) कुकड़ू कु की आवाज पर जागते थे अब ऐसा नहीं हो पाएगा। इस अवसर पर पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन विभाग भारत सरकार के शोध पदाधिकारी डॉक्टर दीपांकर विश्वास, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन विभाग रांची के डॉक्टर आलोक कुमार, डॉ मृत्युंजय कुमार व डॉ अशोक कुमार, भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा आसिफ अहमद, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉक्टर चंद्रिका प्रसाद ¨सह, डॉ. बालेश्वर निराला (ठाकुरगंगटी), वीरेंद्र किशोर (ललमटिया) के अलावा थाना प्रभारी जैनुल आवेदिन सहित सशस्त्र पुलिस बल मौजूद थे।

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