महिलाओं ने श्रमदान कर बना डाला बांध

महिलाओं ने जोरिया में बनाया बांध

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 08:10 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 08:10 PM (IST)
महिलाओं ने श्रमदान कर बना डाला बांध
महिलाओं ने श्रमदान कर बना डाला बांध

पोडै़याहाट : यदि सामूहिक सहयोग का जज्बा हो और लगन से कार्य किया जाए तो बड़े से बड़े काम आसान हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही मिसाल पेश किया है केराकुरा गांव की महिलाओं ने। यहां की महिलाओं ने बहते हुए जोरिया पर बोरा बांध बनाकर पूरे गांव के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है। चतरा पंचायत के केराकुरा गांव सिचाई की सुविधा से महरूम है। इस गांव में एक भी कूप नहीं है। सिचाई का अन्य दूसरा कोई संसाधन भी नहीं है। पूरा गांव मानसून की बारिश पर ही निर्भर रहता है। बार-बार मानसून की दगाबाजी से यहां के किसान काफी मायूस थे। लेकिन महिला मंडल के सदस्यों ने जल संचयन का संकल्प लेते हुए बहते हुए पानी को संग्रहित करने के लिए वहां श्रमदान कर बांध का निर्माण कर दिया है। यह सोच मां भगवती महिला मंडल के सदस्यों की है। बहता जोरिया अब जल संग्रहण का साधन बन गया है। महिलाओं ने क्लैड परियोजना के तहत संचालित लोक कल्याण सेवा केंद्र के जिला समन्वयक सोनू कुमार को जोरिया के विषय में बताया और लाकर दिखाया और कहा कि अगर इस जोरिया पर छोटा बांध भी बन जाता है तो ग्रामीण रबी फसल की खेती कर सकेंगे। सोनू कुमार ने बताया कि बिना पैसे के इसे बनना मुमकिन नहीं है। लेकिन एक उपाय किया जा सकता है कि बालू में बोरा भर भर खड़ा करने से यहां अस्थाई बांध बन सकता है और पानी संग्रहित हो सकता है। फिर क्या था सभी महिलाओं ने बोरा लेकर उसमें बालू भर भर कर जोरिया में बांध बना डाला। श्रमदान कर जोरिया पर बांध बनाकर महिलाएं काफी खुश हैं क्योंकि उस जोरिया में अब काफी पानी जमा हो गया है। यहां रबी फसल के अंतर्गत गेहूं, सरसों, मूंगफली आदि की खेती के अलावा सब्जी की खेती की तैयारी शुरू की गई है। अभी खेतों को तैयार किया जा रहा है। समूह की महिलाओं में शोभा देवी, सुनैना देवी, ललिता देवी आदि ने बताया कि शुरू शुरू में उन्हें यह सपना जैसा लगता था। लेकिन सभी महिलाओं के सहयोग से यह संभव हो गया है। अब गांव में रबी की फसल भी अच्छी खासी होने की उम्मीद हो गई । वहीं टीपनी देवी, मानती देवी, तुलुक देवी, करमू देवी, अनिता देवी, प्रमिला देवी ने बताया कि अगर महिलाएं सजग हो जाएं और गांव के आसपास इस प्रकार जल संचयन की दिशा में काम करें तो न सिर्फ भूजल स्तर बढ़ेगा अपितु यह आíथक रूप से काफी मददगार साबित होगा।

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जल संचयन को लेकर महिला मंडल के साथ बैठक कर इसे अमली जामा पहनाया गया। सही मायने में केराकुरा गांव की महिलाओं ने इतिहास रचा है। यह श्रमदान का अनूठा मिसाल है जो अन्य गांवों को लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा।

- सोनू कुमार, समन्वयक, लोक कल्याण केंद्र।

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