फर्जी मामलों के दर्ज होने से देश की छवि धूमिल

गोड्डा: 21. वीं सदी में लैंगिक समानता कानूनों के अभाव ने भारतीय परिवार की आत्मा को तोड़क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 05:14 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 05:14 PM (IST)
फर्जी मामलों के दर्ज होने से देश की छवि धूमिल
फर्जी मामलों के दर्ज होने से देश की छवि धूमिल

गोड्डा: 21. वीं सदी में लैंगिक समानता कानूनों के अभाव ने भारतीय परिवार की आत्मा को तोड़कर रख दिया है। देश में लगातार दर्ज हो रहे छेड़खानी, रेप, और दहेज के फर्जी व मनगढ़ंत मामलों से एकतरफा जहां भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही है, वहीं लाखों परिवार तबाह हो रहे हैं उक्त बातें सेव इंडियन फैमिली के साप्ताहिक बैठक में अपने संबोधन में एन्टी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया के यूथ चेयरमैन दिनेश कुमार ने कही। कहा कि सरकारी डाटा एजेंसी आरबी के अनुसार 2010 में 94041, 2011 में 99135, 2012 में 106527, 2013 में 118866, 2014 में 122877, 2015 में 113403 दहेज के मामले देश में दर्ज हुए। जबकि सरकारी डाटा के अनुसार दहेज के केस में पिछले पांच सालों का सजा दर औसतन मात्र 14 प्रतिशत है। उसी तरह रेप के 76 प्रतिशत जबकि छेड़खानी के 54 प्रतिशत मामले फर्जी पाए गये हैं। उधर, बैठक की अध्यक्षता कर रहे सेव इंडियन फैमिली के स्टेट काउंसेलर प्रदीप कुमार विद्यार्थी झारखंड सरकार से अविलंब सुप्रीम कोर्ट के तात्कालिक आदेश को कड़ाई से लागू कराते हुए दहेज कानून में पीड़ित परिवारों की अविलंब गिरफ्तारी पर रोक लगाकर मध्यस्थता को बढावा देने की मांग की। मौके पर श्याम जायसवाल, दीपक जायसवाल, सौकत अली, नवल साह, तूफान कुमार मंडल, नवनीत आनंद, मु. कादिर आदि थे

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