वेंटिलेटर छोड़िए, आइसीयू तक नहीं है साहब

तब्लीगी जमात का मामला सामने आने के बाद कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती और कठिन हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Apr 2020 05:41 PM (IST) Updated:Thu, 02 Apr 2020 05:41 PM (IST)
वेंटिलेटर छोड़िए, आइसीयू तक नहीं है साहब
वेंटिलेटर छोड़िए, आइसीयू तक नहीं है साहब

गिरिडीह : तब्लीगी जमात का मामला सामने आने के बाद कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती और कठिन हो गई है। इसे रोकने के लिए गिरिडीह में लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जा रहा है। बावजूद दुर्भाग्य से यदि गिरिडीह जिले में कोरोना महामारी फैला तो इसे लड़ने के लिए जमीनी तैयारी हमारे पास नहीं के बराबर है। वेंटिलेटर की बात छोड़िए करीब 30 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिले के सरकारी अस्पतालों में एक आइसीयू तक नहीं है। गिरिडीह जिले की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से सदर अस्पताल पर निर्भर है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि बात गिरिडीह जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की हो रही है जबकि यहां एक आइसीयू तक सरकार नहीं खोल सकी है। जहां तक वेंटिलेंटर एवं आइसीयू का सवाल है तो पूरे गिरिडीह जिले में सिर्फ एक वेंटिलेटर एवं आइसीयू डुमरी में जीटी रोड पर स्थित निजी अस्पताल मीना जेनरल अस्पताल में है। मीना जेनरल अस्पताल में एक वेंटिलेटर एवं छ: बेड का एक आइसीयू है। वैश्विक महामारी कोरोना से गिरिडीह जिले में जंग सीमित संसाधनों के बीच लड़ी जा रही है। जिला व पुलिस प्रशासन स्वास्थ्य विभाग के साथ मजबूती से यह लड़ाई लड़ रहा है।

पीपीई किट का भी घोर अभाव :

कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टर, चिकित्सा कर्मियों एवं एंबुलेंस कर्मियों के पास पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) का होना बहुत जरूरी है। एक डॉक्टर के पास पांच पीपीई का होना जरूरी है। यदि पीपीई नहीं होगा तो इलाज करने वाले डॉक्टर एवं कर्मी ही संक्रमण का शिकार हो जाएंगे। इस उपकरण का भी यहां घोर अभाव है। इससे इस जंग में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले डॉक्टर एवं पारा मेडिकल स्टाफ परेशान हैं।

जरूरत के हिसाब से कम है सुविधा :

जिले के सरकारी अस्पतालों में 59 डॉक्टर कार्यरत हैं जबकि हमारे पास मात्र पांच पीपीई है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दुर्भाग्य से यदि स्थिति बिगड़ी तो चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना कितना मुश्किल होगा। स्वास्थ्य विभाग के पास अभी 100 एन-95 मास्क, 13 वीटीएम किट, ग्लब्स 6000 उपलब्ध है। यह जरूरत के अनुपात में बहुत कम है। जेनरल अस्पताल कोविड-19 फेसिलिटी के लिए मीना जेनरल अस्पताल का चयन किया गया है। कोरोना की पुष्टि होने पर मरीजों को उसी अस्पताल में रखकर चिकित्सीय सुविधा दी जाएगी। भले ही आइसीयू एवं वेंटिलेटर है लेकिन यहां पीपीई एवं एन 95 मास्क अभी तक उपलब्ध नहीं है। इसकी पुष्टि मीना जेनरल अस्पताल के आकाश ने भी की है।

आइसोलेशन सेंटरों में 56 बेड की व्यवस्था : जिले के सभी 352 पंचायत भवनों, 176 विद्यालयों और सभी कस्तूरबा विद्यालयों में क्वारंटाइन सेंटर बनाया जा रहा है। इनमें 1765 बेड की व्यवस्था की जा चुकी है। तीन आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं, जो सदर अस्पताल, एएनएम ट्रेनिग स्कूल और होटल मीर में है। आइसोलेशन सेंटरों में 56 बेड की व्यवस्था की गई है। जिला स्तर पर सदर अस्पताल में एक क्वारंटाइन नियंत्रण केंद्र खोला गया है। दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को इन केंद्रों में रखा जा रहा है। यहां इनके रहने, खाने एवं स्वास्थ्य जांच की सुविधा बहाल की गई है। वैसे जब इसकी पड़ताल की गई तो यह बात सामने आया कि कहीं जमीन पर गद्दा बिछाकर तो कहीं चौकी पर गद्दा बिछाकर बेड बना दिया गया है। संसाधनों की नहीं होगी कमी : डीसी

डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जंग में संसाधनों की कमी आड़े आने नहीं दी जाएगी। सभी पंचायतों में क्वारंटाइन नियंत्रण केंद्र खोले जा रहे हैं। अधिकांश केंद्र खुल चुके हैं। भोजन, चिकित्सीय जांच समेत सभी सुविधाएं वहां मुहैया कराई गई है। दो हजार एन 95 मास्क, 20 पीपीई किट, 15 हजार ट्रिपल लेयर मास्क एवं दस हजार ग्लब्स का आदेश दिया गया है। जो भी जरूरत होगी, सरकार पूरा करेगी। दूसरे प्रदेशों व विदेशों से अब तक पूरे जिला में करीब 14 हजार लोग प्रवेश किए हैं। सभी को क्वारंटाइन में रखा गया है। डेढ़ सौ से अधिक लोग सरकारी क्वारंटाइन में हैं। दूसरे प्रदेशों में फंसे लोगों के लिए हेल्प नंबर जारी किया गया है, जिसमें लगातार सूचनाएं मिल रही हैं। अब 3814 लोगों के बारे में सूचना प्राप्त हुई है। वैसे लोगों को जहां हैं, वहीं पर आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

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