प्रशिक्षण पर निगम का जोर, लेकिन प्लेसमेंट पर ध्यान भी नहीं

ज्ञान ज्योति गिरिडीह केंद्र और राज्य सरकार का सपना युवाओं को हुनरमंद बनाकर उन्हें

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Mar 2019 11:33 PM (IST) Updated:Sat, 09 Mar 2019 11:33 PM (IST)
प्रशिक्षण पर निगम का जोर, लेकिन प्लेसमेंट पर ध्यान भी नहीं
प्रशिक्षण पर निगम का जोर, लेकिन प्लेसमेंट पर ध्यान भी नहीं

ज्ञान ज्योति, गिरिडीह: केंद्र और राज्य सरकार का सपना युवाओं को हुनरमंद बनाकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना है, ताकि युवा वर्ग बेरोजगारी के दलदल से बाहर निकले। इसके लिए कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सैकड़ों युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने और नौकरी मिलने का सब्जबाग दिखाकर प्रशिक्षित तो कर दिया गया, लेकिन उन्हें प्लेसमेंट देने में संबंधित एजेंसियों के दांत खट्टे हो रहे हैं। एजेंसियों ने प्रशिक्षण देकर ही अपने कर्तव्य का इतिश्री समझ बैठा है, जबकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवक-युवतियों को नियोजित करने की जिम्मेवारी भी संबंधित एजेंसियों की ही है।

540 को दिया प्रशिक्षण, प्लेसमेंट मात्र 34 को: दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में नगर निगम की ओर से विभिन्न ट्रेडों में 540 युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके लिए तीन एजेंसियों का चयन किया गया था, जिनमें ज्ञान ज्योति मेमोरियल को 240, वोकमेन इंडिया प्रा. लि. को 180 और आर्यभट्ट एजुकेशन एंड हेल्थ ट्रस्ट को 120 युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देने कीे जिम्मेवारी दी गई थी। लक्ष्य के अनुसार सभी को प्रशिक्षण तो दे दिया गया, जिनमें अब तक 260 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिया गया है, जबकि मात्र 34 प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार से जोड़ा गया है। हालांकि नगर निगम का दावा है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी युवाओं को जॉब का आफर लेटर उपलब्ध करा दिया गया है।

एक एजेंसी ने अब तक शुरू नहीं किया प्रशिक्षण: वित्तीय वर्ष 2018-19 में कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए डाटा प्रो कंप्यूटर प्रा.लि. और मास इनफोटेक सोसायटी का चयन किया गया है। इन दोनों संस्थाओं को क्रमश: 410 एवं 400 युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य दिया गया है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में चंद दिन शेष बचे हैं, लेकिन अब तक डाटा प्रो कंप्यूटर प्रा. लि. ने 210 युवाओं को ही प्रशिक्षण देना शुरू किया है, जबकि दूसरी संस्था ने प्रशिक्षण शुरू ही नहीं किया है। ऐसे में लक्ष्य कैसे पूरा होगा, यह सोचने वाली बात है।

अंतिम किस्त का भुगतान लेने में रुचि नहीं लेतीं एजेंसियां: सिटी मैनेजर सुमित घोष ने बताया कि गत वित्तीय वर्ष में संबंधित एजेंसियों को कुल 92 लाख 57 हजार 817 रुपये का भुगतान करना था, जिसमें 25 लाख 43 हजार 205 रुपये का भुगतान कर दिया गया है। बताया गया कि प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियों को ही प्रशिक्षणार्थियों को प्लेसमेंट भी देना है। प्लेसमेंट देने के बाद ही एजेंसियों को अंतिम किस्त की राशि का भुगतान करना है। एजेंसियां प्लेसमेंट नहीं दे पाने के कारण अंतिम भुगतान लेने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाती हैं।

67 को मिली नौकरी, एक जुड़ा स्वरोजगार से: सदर प्रखंड के परियाना में संचालित दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र में झारखंड स्किल डेवलपमेंट मिशन सोसायटी के तहत आइसेक्ट को प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। गत वर्ष जून माह में प्रारंभ इस प्रशिक्षण केंद्र में अब तक 240 युवक-युवतियों को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण मिला है, जिनमें 85 प्रशिक्षणार्थी परीक्षा में पास हुए। उनमें से 67 को विभिन्न कंपनियों में प्लेसमेंट दिया गया, जबकि एक ने अपना खुद का रोजगार प्रारंभ किया है।

जॉब लेटर के नाम पर दिया जा रहा झांसा: नगर निगम की ओर से संचालित कौशल विकास का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को नौकरी के नाम पर ऑफर लेटर थमा दिया जाता है, जो उनके लिए छलावा साबित होता है। गत माह नगर भवन में रोजगार मेला लगाकर प्रशिक्षणार्थियों को ऑफर लेटर दिया गया था, लेकिन संबंधित कंपनियों ने उन्हें नियोजित नहीं किया। इसे लेकर युवाओं ने काफी हंगामा किया था।

बैंकों से ऋण लेना मुश्किल: ऐसे तो प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवाओं को स्वरोजगार करने के लिए बैंकों से आसानी से ऋण उपलब्ध कराने की बात कही जाती है, लेकिन सच्चाई इसके विपरित है। बैंक युवाओं को ऋण देने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं। बैंकों से ऋण लेना टेढ़ी खीर है, जिस कारण युवाओं का स्वरोजगार से जुड़ने का सपना साकार नहीं हो पा रहा है।

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