चिचाकी के प्रवासी मजदूर प्रकाश की हैदराबाद में मौत

सरिया (गिरिडीह) : सरिया थाना अंतर्गत चिचाकी गांव निवासी प्रकाश कुमार तुरी(उम्र 21 साल) पिता

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Aug 2018 09:22 PM (IST) Updated:Thu, 30 Aug 2018 09:22 PM (IST)
चिचाकी के प्रवासी मजदूर प्रकाश की हैदराबाद में मौत
चिचाकी के प्रवासी मजदूर प्रकाश की हैदराबाद में मौत

सरिया (गिरिडीह) : सरिया थाना अंतर्गत चिचाकी गांव निवासी प्रकाश कुमार तुरी(उम्र 21 साल) पिता घनश्याम तुरी की मौत दुर्घटना हैदराबाद( तेलंगाना ) में 28 अगस्त 2018 को उस वक्त हो गई जब वह अपने सहकर्मियों के साथ ट्रांसमिशन लाइन का काम करनेवाली टाटा प्रोजेक्ट के अंडरटे¨कग राघव कंस्ट्रक्शन में बतौर हेल्पर के रूप में काम कर रहा था। दो दिन बाद 30 अगस्त को सुबह साढ़े 10 बजे जब मृत प्रकाश कुमार तुरी का पाíथव शरीर अपने पैतृक स्थान चिचाकी पहुंचा तो परिजनों और ग्रामीणों की चीत्कार से समूचा माहौल गमगीन हो गया।

अभी दो माह पहले गांव के ही मजदूर सप्लायर धीरज कुमार प्रकाश कुमार तुरी को काम पर हैदराबाद ले गया था। प्रकाश कुमार अविवाहित था। 28 अगस्त को मौत की खबर मिलते ही पूर्व विधायक विनोद कुमार ¨सह ने राघव कंस्ट्रक्शन के पदाधिकारियों से बातचीत की और मृत प्रकाश के घर की माली हालत को देखते हुए उचित मुआवजा सहायता राशि देने का दबाव बनाया जिसके आलोक में आज पाíथव शरीर के साथ आए मजदूर सप्लायर धीरज कुमार ने सैकड़ों ग्रामीणों और परिजनों के समक्ष दो लाख रुपए का मुआवजा बतौर चेक मृतक के पिता घनश्याम तुरी को सौंपा और कंपनी से जीवन बीमा का पूरा लाभ मिलने का लिखित करार किया। मौके पर सरिया पूर्वी के पूर्व जिला परिषद सदस्य मनोज पांडेय, माले नेता पवन महतो, समाजसेवी त्रिलोकी महतो, दशरथ तुरी, मुखिया गो¨वद महतो, पंस दिलचंद महतो, गौतम, रामेश्वर महतो समेत सैकड़ों महिलाएं बच्चे, ग्रामीण व शोकाकुल परिजन उपस्थित थे। अंत में पास के ही जंगल में मृत प्रवासी मजदूर प्रकाश तुरी को मिट्टी मुक्ति दी गई।

मौके पर उपस्थित पूर्व जिला परिषद व माले नेता मनोज पांडेय ने शोक व्यक्त करते कहा कि आए दिन बगोदर-सरिया के ग्रामीण अंचलों से देश-विदेश में काम करनेवाले प्रवासी मजदूरों की मौत हो रही है पर अपने परिवार के भरण पोषण के लिए हजारों किलोमीटर दूर गए मृतकों के परिजनों की सरकार कोई सुध नहीं लेती है। उन्होंने झारखंड सरकार से सभी प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन अविलंब करने और मौत पर परिजनों को कम से कम दो लाख की सहायता राशि देने की मांग की। अमूमन होता आया है कि कंपनियां मृतकों के पाíथव शरीर को घर भेजकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। जन दबाव में कुछेक परिजनों को मामूली सहायता मुआवजा राशि ही मिल पाती है।

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