एलआइसी को एक लाख भुगतान करने का आदेश

जागरण संवाददाता : जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने जीवन बीमा निगम को मृतक के परिजनों को एक लाख रुपये सा

By Edited By: Publish:Fri, 29 Jul 2016 01:07 AM (IST) Updated:Fri, 29 Jul 2016 01:07 AM (IST)
एलआइसी को एक लाख भुगतान करने का आदेश

जागरण संवाददाता : जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने जीवन बीमा निगम को मृतक के परिजनों को एक लाख रुपये साधारण ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही दो हजार रुपये बतौर मुआवजा एवं दो हजार रुपये मुकदमा लड़ने में हुए खर्च भी अदा करने का निर्देश दिया गया है। यहां मृतक के परिजन की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार एवं निगम की ओर से अधिवक्ता अभिजित कुमार बनर्जी बहस कर रहे थे। बताया गया कि धनवार प्रखंड के निमाडीह निवासी राजकुमार मोदी ने जिला उपभोक्ता फोरम में जीवन बीमा निगम के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। दर्ज मामले में राजकुमार ने कहा था कि पत्नी अकली देवी उर्फ उर्मिला देवी के नाम निगम की 50 हजार रुपये की एक पॉलिसी (टेबल नंबर 192) लिया था। इस पॉलिसी के तहत उसने वार्षिक प्रीमीयम के रूप में चार हजार 317 रुपये भी जमा पॉलिसीधारक द्वारा जमा किया जाता था। इसी क्रम में महिला की मौत 27 नवंबर 2012 को रिम्स में इलाज के दौरान हो गई। महिला के मरने के बाद उसके पति राजकुमार मोदी संबंधित भुगतान को लेकर लगातार निगम कार्यालय के संपर्क में रहे। इसके बाद भी उन्हें इस पॉलिसी का लाभ नहीं मिल सका। थक हारकर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में वर्ष 2014 में मामला दर्ज करा दिया। यहां दोनों पक्षों कीे तरफ से मौजूद अधिवक्ताओं द्वारा दी गई दलील के बाद फोरम के दो सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मृतक के परिजन को एक लाख रुपये का भुगतान आठ फीसद साधारण ब्याज की दर से निगम करे। इसके अलावे दो हजार रुपये बतौर मुआवजा एवं दो हजार रुपये मुकदमा लड़ने का खर्च भी दे। अगर 60 दिन के अंदर चार हजार रुपये का भुगतान नहीं किया गया तो इस पर भी आठ फीसद ब्याज देना होगा। दो सदस्यीय बेंच में प्रभारी अध्यक्ष रूबी कुमारी एवं मोतीलाल त्रिवेदी शामिल थे।

अध्यक्ष की नियुक्ति तक नहीं होगा कोई फैसला

गिरिडीह : जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रभारी अध्यक्ष रूबी कुमारी ने कहा कि अब फोरम में किसी भी मामले को लेकर फैसला नहीं किया जाएगा। यह निर्देश फोरम के राज्य सचिव ने दिया है। राज्य सचिव के हवाले से उन्होंने कहा कि जब तक अध्यक्ष पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हो जाती, कोई फैसला नहीं सुनाया जाए। यह आदेश दूरभाष पर सचिव ने दिया है। अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जल्द ही रिक्त इस पद को भर दिया जाएगा।

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