दो सवारी ट्रेनें, वह भी एक साल से बंद

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) कोविड-19 को लेकर जारी लाकडाउन की समाप्ति के बाद भी गढ़वा रो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 06:07 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 06:07 PM (IST)
दो सवारी ट्रेनें, वह भी एक साल से बंद
दो सवारी ट्रेनें, वह भी एक साल से बंद

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा): कोविड-19 को लेकर जारी लाकडाउन की समाप्ति के बाद भी गढ़वा रोड-चोपन रेलखंड पर सवारी गाड़ियों का परिचालन प्रारंभ नहीं होने से आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 से पूर्व गढ़वा रोड-चोपन रेलखंड पर दो सवारी गाड़ी प्रतिदिन अप और डाउन दोनों की ओर संचालित हो रही थी। इसमें बरवाडीह-चोपन-चुनार सवारी गाड़ी व गोमो-गढ़वा-चोपन सवारी गाड़ी शामिल है। दोनों ट्रेनें लगभग एक साल से बंद हैं।

बरवाडीह-चोपन-चुनार सवारी गाड़ी चुनार की ओर जाने के लिए सुबह 5.12 बजे यहां आती थी और बरवाडी जाने के लिए रात में 7.53 बजे पहुंचती थी। वहीं चोपन जाने के लिए गोमो-गढ़वा-चोपन सवारी गाड़ी शाम में 5.12 बजे व गोमो जाने के लिए सुबह 10.16 बजे आती थी। दोनों सवारी गाड़ियों के परिचालन से आम लोगों को कभी सहूलियत होती थी। कम किराया व कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचते थे। सवारी गाड़ी रमना, मेराल, तोलरा, विढमगंज, महुअरिया, म्योरपुर, झारोखास सहित प्रत्येक छोटे-बड़े स्टेशन पर रुकती थी, इससे हर क्षेत्र के यात्रियों को सुविधा होती थी।

सैकड़ों लोग हो चुके हैं बेरोजगार पैसेंजर ट्रेनों से कई लोगों का जीविकोपार्जन चलता था। फेरीवाले ट्रेनों में सवार होकर विभिन्न तरह की सामग्री बेचते थे। इससे उनका परिवार चलता था।

ट्रेन बंद रहने के कारण उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। बरवाडीह-चोपन-चुनार सवारी गाड़ी से सीमावर्ती सोनभद्र जिले के रॉब‌र्ट्सगंज से बड़े पैमाने पर स्थानीय खुदरा व्यवसायी चावल, गेहूं आदि लाकर बेचते थे।

परिचालन बंद होने से क्या हो रही है परेशानी ट्रेन बंद होने से लोगों को सवारी गाड़ी की अपेक्षा 5 गुना अधिक किराया देकर बस व टैक्सी से यात्रा करनी पड़ रही है। ट्रेन से जहां लोग 10 रुपये व कम समय में गढ़वा जाते थे। वहीं अब बस व टैक्सी में 50 रुपये देना पड़ रहा है। साथ ही समय भी अधिक लगता है।

श्रीकेश्वर गुप्ता, पाल्हे कला। - सवारी ट्रेन हर स्टेशन पर रुकती थी और उसमें कम किराया में यात्रा करते थे। ट्रेन बंद होने से गरीबों को अब बस व टैक्सी से यात्रा करने के लिए सोचना पड़ रहा है। बस व टैक्सी में काफी किराया देना पड़ता है। रमना, मेराल, गढ़वा, डालटेनगंज या चोपन, रॉब‌र्ट्सगंज, चुनार कहीं जाना या आना होता था तो कम पैसे व कम समय में आसानी से चले जाते और आते थे।

हकीक अंसारी, कुशडंड। हम वृद्धों को यात्रा के लिए ट्रेन सबसे अच्छी सवारी थी। जिसे कोविड-19 के कारण सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है। ट्रेन से कम पैसे में सफर करते थे। अब पैसे के अभाव में इलाज कराने भी बाहर नहीं जा पा रहे हैं। बस व टैक्सी से यात्रा करना हम वृद्धों के लिए काफी कष्टदायक है। आम जनता की परेशानियों को देखते हुए सरकार को अब ट्रेन का परिचालन शुरू कर देना चाहिए।

विलास विश्वकर्मा, श्री बंशीधर नगर।

- ट्रेन से यात्रा करने में काफी सहूलियत होती थी। ट्रेन से सफर करने में समय व पैसा दोनों का बचत होता था। साथ ही किसी तरह की दुर्घटना की आशंका नहीं रहती थी। ट्रेन का परिचालन बंद रहने से हम गरीबों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पैसे के अभाव में बस व टैक्सी से यात्रा करना मुश्किल हो गया है। अब ट्रेनों का परिचालन होना चाहिए।

प्रदीप राम, बहियारी।

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