योगेश्वरनाथ मंदिर के विकास से बदलेगी पर्यटन की तस्वीर

बासुकीनाथ से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर भोड़ाबाद पंचायत के जामधारा गांव में पहाड़ी पर स्थित बाबा योगेश्वरनाथ इस क्षेत्र के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। करीब एक किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरे जमीन से करीब 100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है बाबा योगेश्वरनाथ मंदिर।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Nov 2020 04:40 PM (IST) Updated:Fri, 13 Nov 2020 04:40 PM (IST)
योगेश्वरनाथ मंदिर के विकास से बदलेगी पर्यटन की तस्वीर
योगेश्वरनाथ मंदिर के विकास से बदलेगी पर्यटन की तस्वीर

संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ : बासुकीनाथ से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर भोड़ाबाद पंचायत के जामधारा गांव में पहाड़ी पर स्थित बाबा योगेश्वरनाथ इस क्षेत्र के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। करीब एक किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरे जमीन से करीब 100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है बाबा योगेश्वरनाथ मंदिर। इसकी महिमा काफी प्रसिद्ध है। यहां शिवरात्रि के अलावा श्रावण मास, माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा सहित वर्ष के सभी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि एवं माघी पूर्णिमा में यहां भव्य मेले का भी आयोजन होता है। सामाजिक कार्यकर्ता सह शिक्षाविद अर्जुन राय एवं दुर्गा राय का कहना है कि यह मंदिर काफी पुराना है। लेकिन जीर्णोद्धार व विकास के लिए मंदिर अब भी सरकारी तंत्र का बाट जोह रहा है।

पर्यटन की है असीम संभावनाएं

इस क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। यहां यात्रियों के ठहराव स्थल व मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाए तो यहां पर्यटन व रोजगार का अवसर सृजित हो सकता है। योगेश्वरनाथ मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना रहता है। यहां यात्रियों के ठहराव के लिए आवास व स्नानागार बनवा दिया जाए तो श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी।

अर्जुन राय, सामाजिक कार्यकर्ता बिहाजोरी बाबा योगेश्वरनाथ की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है। यहां शिवरात्रि के मौके पर श्रावण पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा एवं माघी पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है। यहां श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

बैद्यनाथ राय, जामधारा मंदिर के आसपास पेयजल की काफी किल्लत है। एक चापाकल है। जिसके पानी में काफी आयरन है। जिसके कारण पेयजल के लिए इस्तेमाल नहीं होता है। मंदिर के आसपास पेयजल के लिए ठोस व्यवस्था होनी चाहिए। अतिथिशाला या विश्राम स्थल बना देने से यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ जाएगी।

दुर्गा राय, ग्रामीण जामधारा यह क्षेत्र धार्मिक एवं पर्यटन दोनों ही ²ष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। क्षेत्र में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि यहां पर्यटन व रोजगार के अवसर सृजित हो सके।

सुमन कुमार, श्रद्धालु

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