वर्तमान व भावी पीढि़यों के लिए करना होगा जल संरक्षण
दुमका जल ही जीवन है। वर्तमान व भावी पीढि़यों के लिए जलसंरक्षण की आवश्यकता को समझना होगा। वर्षा ऋतु के पूर्व अगर जल संरक्षण के उपायों को अपने व्यवहार में शामिल करें तो बारिश के जल को सिचित कर न केवल अपने खेतों के पैदावार को बढ़ा सकेंगे बल्कि पेयजल की समस्या को भी दूर कर सकेंगे।
दुमका : जल ही जीवन है। वर्तमान व भावी पीढि़यों के लिए जलसंरक्षण की आवश्यकता को समझना होगा। वर्षा ऋतु के पूर्व अगर जल संरक्षण के उपायों को अपने व्यवहार में शामिल करें तो बारिश के जल को सिचित कर न केवल अपने खेतों के पैदावार को बढ़ा सकेंगे, बल्कि पेयजल की समस्या को भी दूर कर सकेंगे। बारिश के मौसम के पूर्व ही हमें ऐसे इंतजाम करने हैं कि बारिश के पानी का हम ज्यादा से ज्यादा संचयन कर सकें।
उपविकास आयुक्त वरुण रंजन ने प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का भी यही आग्रह है, कि जलसंरक्षण एवं जल संचयन लोगों के व्यवहार में शामिल हो। लोग जागरूक होकर स्वच्छता और जल संरक्षण जैसे मुद्दे को आचरण में समाहित करें। अपने भविष्य को सुरक्षित करें।
कहा कि वर्षाजल के संचयन के लिए गांवों में छोटे तालाब का निर्माण किया जाए। पहले से निíमत तालाबों की सफाई आवश्यक है। सभी परती भूमि पर पौधरोपण अभियान चलाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी समाज की भी है। घरेलू एवं कृषि उद्देश्यों के लिए घर के बाहर सोख गड्ढों का निर्माण किया जाए। रैलियों एवं ग्रामसभा के माध्यम से जलसंरक्षण एवं जल संचयन के बारे में जागरूकता अभियान चलाया जाए। गांवों एवं विद्यालय स्तर पर जल संचयन एवं जलसंरक्षण से संबंधित नुक्कड़ नाटक, लोक गीत, नृत्य प्रदर्शन कर लोगों को बताना होगा। जल संचयन अभियान में प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी ग्रामसभा में स्वयं उपस्थित होकर संचयन एवं जलसंरक्षण की महत्ता से ग्रामीणों को अवगत कराएं। जल संरक्षण एवं संचयन को अभियान के रूप में चलाएं।
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