अपने कुत्‍ते का मनाया अनोखा जन्‍मदिन, कार्ड छपवाकर तीन सौ लोगों को भेजा न्‍योता, दी शानदार पार्टी

सड़क पर रहने वाले स्ट्रीट डाॅग और उनके छोटे-छोटे बच्चों को गाड़ियों के पहियों के नीचे आकर जान गंवाते आपने अक्सर देखा होगा लेकिन शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब किसी ने कुत्ते के बच्चे के गाड़ी से कुचलने के बाद उसकी मां का दर्द बांटने की कोशिश की।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 30 Nov 2022 09:14 AM (IST) Updated:Wed, 30 Nov 2022 09:14 AM (IST)
अपने कुत्‍ते का मनाया अनोखा जन्‍मदिन, कार्ड छपवाकर तीन सौ लोगों को भेजा न्‍योता, दी शानदार पार्टी
आसपास के मुहल्लों में भी हर जुबान पर बस इसी की चर्चा हो रही है।

संवाद सहयोगी, लोयाबाद (धनबाद): सड़क पर रहने वाले स्ट्रीट डाॅग और उनके छोटे-छोटे बच्चों को गाड़ियों के पहियों के नीचे आकर जान गंवाते आपने अक्सर देखा होगा, लेकिन शायद ही कभी ऐसा हुआ हो, जब किसी ने कुत्ते के बच्चे के गाड़ी से कुचलने के बाद उसकी कलपती मां के दर्द को बांटने की कोशिश की। बहरहाल, धनबाद में रहने वाली सुमित्रा ने जो किया, वह अपने आप में बेहद खास है। उसने न केवल परिवार से बिछड़े कुत्‍ते के बच्चे को अपनाया, बल्कि उसके पहले जन्मदिन को ऐसा यादगार बना दिया कि उसके मुहल्ले के साथ-साथ आसपास के मुहल्लों में भी हर जुबान पर बस इसी की चर्चा हो रही है।

सड़क से उठाकर घर लाई थी कुत्‍ते को, लंबी उम्र के लिए दी बकरे की बलि

धनबाद के लोयाबाद बीस नंबर इलाके में रहने वाली सुमित्रा कुमारी ने बताया कि पिछले साल 29 नवंबर को वह मटकुरिया पेट्रोल पंप में पेट्रोल लेने पहुंची थी। उसने देखा कि सड़क पर बस से कुचल कर डॉगी और उसके तीन बच्चे मृत पड़े थे। उनमें से एक जिंदा था और अपने परिवार के क्षत-विक्षत शवों के पास खड़ा होकर कांप रहा था। किसी ने उसकी परवाह नहीं की। थोड़ी और देर हुई होती तो शायद वह भी किसी गाड़ी के नीचे आ जाता। सुमित्रा उसके पास पहुंची और उसे अपने साथ घर ले गई। प्यार से उसका नाम ऑस्कर रखा। धीरे धीरे ऑस्कर परिवार में घुल मिल गया। जिस दिन कुत्‍ते को घर लेकर आई थी, सुमित्रा ने उसी दिन उसका पहला जन्मदिन मनाया। मंगलवार को जन्मदिन का जश्‍न शान-ओ-शौकत से मना। बाकायदा ऑस्कर के जन्मदिन का कार्ड छपवाया गया और तकरीबन तीन सौ मेहमानों को न्‍योता भेजकर शानदार पार्टी दी गई। सुमित्रा ने कुत्‍ते की लंबी उम्र के लिए गोपालीचक गांधीग्राम के कुष्ठ रोगियों में फल बांटे।

इतना ही नहीं, अपने कुत्‍ते के जीवन की सलामती के लिए तीन नंबर काली मंदिर में उसने पाठा (बकरे) की बलि भी दी। सुमित्रा कहती हैं कि ऑस्कर उसके घर के सदस्य की तरह है। जब से उसे अपने घर लेकर आई हैं, सबकुछ अच्छा हो रहा है। पूरा परिवार उसे भाग्यशाली मानता है।

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