Coarse Grains: संभावनाओं के बावजूद झारखंड के संताल परगना में खेती नहीं, सरकार स्तर से बढ़ावा मिले तो बनेगी बात

झारखंड में मोटे अनाजों की खेती की काफी संभावनाएं हैं। खासकर झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के सभी छह जिलों में परंपरागत रूप से मोटे अनाजों की खेती होती है। हालांकि यह काफी कम है। बढ़ावा देने की जरूरत है।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 05:57 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 06:12 PM (IST)
Coarse Grains: संभावनाओं के बावजूद झारखंड के संताल परगना में खेती नहीं, सरकार स्तर से बढ़ावा मिले तो बनेगी बात
झारखंड के संताल में मोटे अनाजों की खेती ( सांकेतिक फोटो)।

राजीव, दुमका। झारखंड में मोटे अनाज की खेती की अपार संभावनाओं के बावजूद संताल परगना इस मामले में फिसड्डी है। वर्तमान समय में संताल परगना में मोटे अनाज के दायरे में आने वाला ज्वार, बाजरा और मडुआ की खेती नहीं के बराबर होती है। हाल यह कि सरकार के स्तर से तय लक्ष्य के करीब आच्छादन तो दूर की कौड़ी है प्रमंडल के कई जिले तो इस मामले में सिफर हैं। वर्ष 2021 में संताल परगना के सभी छह जिले दुमका, देवघर, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा एवं साहिबगंज को मिला कर मोटे अनाज ज्वार, बाजरा और महुआ की खेती के लिए 7340 हेक्टेयर भू-भाग में आच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है। इसके विरुद्ध सभी जिलों को मिलाकर मात्र 1533 हेक्टेयर भू-भाग को आच्छादित किया गया है जो कुल लक्ष्य का मात्र 20.9 फीसद है। वर्ष 2020-21 के लक्ष्य पर गौर करें तो संताल परगना के सभी छह जिलों में 7340 हेक्टेयर भू-भाग पर ही मोटे अनाज की खेती करने का लक्ष्य तय था। इसमें बीते वर्ष 1763 हेक्टेयर भू-भाग आच्छादित किया गया था जो कुल लक्ष्य का करीब 24 फीसद था।

केंद्र की उम्मीदों को कृषि महकमा ने धकेला पीछे

कुपोषण से जंग के लिए सितंबर में चल रहे चौथा पोषण माह का थीम है पोषण की ओर-थामे क्षेत्रीय भोजन का डोर। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देश पर पूरा सितंबर पोषण माह के तौर पर मनाया जा रहा है। दुमका में यह अभियान चल रहा है। इस अभियान के जरिए एक बार फिर से वैसे परंपरागत खाद्यान्नों को भोजन में शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है जो न सिर्फ पौष्टिकता में अव्वल हैं बल्कि इसकी उपज भी कम लागत में संभव है। पूर्व में भारतीय भोजन व व्यंजनों में ऐसे मोटे अनाज प्राथमिकता के तौर पर शामिल थे लेकिन समय के साथ इसे गरीबों का निवाला बता कर न सिर्फ इसकी उपयोगिता कम कर दी गई बल्कि किसान भी इसकी खेती कम करने लगे। नतीजतन वर्तमान दौर में परंपरागत मोट अनाज मडुआ, कोदो, मक्का, जौ, सामा, बाजरा, सावां, कुटकी, कांगनी और चीना की जगह चावल और गेहूं ने लिया है।

न्यूट्री सीरियल योजना की शुरुआत से उम्मीद

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना न्यूट्री सीरियल को धरातल पर उतारने पर जोर है। इसके तहत प्रत्येक जिले में पांच से 10 हजार हेक्टेयर भू-भाग पर मडुआ व मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने की योजना है। संताल परगना में भी अगले सीजन से प्रत्येक जिला में पांच से 10 हजार भू-भाग चिह्नित कर मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने की गंभीर पहल होगी ऐसा कृषि महकमा का दावा है।

क्या कहते हैं किसान

इन फसलों की खेती किसान इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि बाजार में इसकी मांग नहीं है। इन फसलों को अपेक्षित सम्मान नहीं मिलने से किसान इसकी खेती से विमुख हो चुके हैं।

-किशुन मांझी, गंजडा, जामा

जानकारी के अभाव में मोटे अनाज की खेती किसान नहीं कर रहे हैं। कुछ किसान मडुआ व गुंदली की खेती जरूर करते हैं लेकिन इसकी मात्रा बहुत अल्प है। इसलिए किसान इससे दूर हो गए हैं।

-सुरेश चौधरी, विराजपुर, जामा

अब इन फसलों की उपयोगिता खाद्य से ज्यादा दवा के तौर पर किया जाता है लेकिन किसानों को इसकी जानकारी नहीं है। जागरूकता की भी कमी है। जरूरी है कि किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रेरित किया जाए।

-शक्ति दर्बे, सुगनीबाद, जामा

मोटे अनाजों में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, लौह, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। ये अनाज खास तौर पर गर्भवती महिलाएं व शिशुओं के लिए पौष्टिक है। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है।

-किरण कंडीर, गृह विज्ञानी, केवीके दुमका

केंद्र व राज्य सरकार की योजना के तहत आने वले दिनों में मोटे अनाजों की खेती की योजना को बढ़ावा दिया जाएगा। फिलहाल संताल परगना में जागरुकता की कमी के कारण परंपरागत मडुआ समेत अन्य खाद्यान्नों की खेती नहीं के बराबर होती है। कृषि महकमा किसानों को इसके लिए जागरूक करेगा।

-अजय कुमार सिंह, संयुक्त कृषि निदेशक, संताल परगना

केंद्र सरकार की योजना न्यूट्री सीरियल के तहत अगले सीजन में मडुआ व अन्य मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए जिले में पांच से 10 हजार हेक्टेयर भू-भाग को चिह्नित कर इसकी खेती शुरू कराने की पहल होगी।

-सबन गुड़िया, जिला कृषि पदाधिकारी, दुमका

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