उच्च शिक्षा में काफी असंतुलन, आज भी शोध और अनुसंधान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम

देश को संपूर्ण रूप से विकसित बनाने के लिए पुरुषों के साथ अधिक से अधिक महिलाओं का भी विज्ञान से जुडऩा आवश्यक है। यह बात एनआइटी जमशेदपुर के निदेशक डॉ. करुणेश शुक्ला ने कही।

By Deepak PandeyEdited By: Publish:Fri, 01 Mar 2019 01:21 PM (IST) Updated:Fri, 01 Mar 2019 01:21 PM (IST)
उच्च शिक्षा में काफी असंतुलन, आज भी शोध और अनुसंधान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम
उच्च शिक्षा में काफी असंतुलन, आज भी शोध और अनुसंधान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम

जागरण संवाददाता, धनबाद: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभी भी उतनी महिलाएं अनुसंधान एवं विकास कार्य से नहीं जुड़ पाई हैं, जितनी जुडऩी चाहिए थी। देश को संपूर्ण रूप से विकसित बनाने के लिए पुरुषों के साथ अधिक से अधिक महिलाओं का भी विज्ञान एवं अनुसंधान कार्य से जुडऩा आवश्यक है। यह बातें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) जमशेदपुर के निदेशक डॉ. करुणेश कुमार शुक्ला ने कहीं।

वह विज्ञान दिवस सिंफर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी काफी नगण्य है। इसके अलावा धर्म और सामाजिक मुद्दों के कारण उच्च शिक्षा में काफी असंतुलन है। कई संस्थाओं में न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता को न प्राप्त कर पाना भी उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान कार्य में चुनौती है।

डॉ. शुक्ला ने कहा कि शून्य प्रदूषण वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। देश में एक न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता है। भारत जैसे अधिकतर विकासशील देश जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं, जो प्रदूषण का कारण है। वैज्ञानिकों का कर्तव्य होगा कि इस पर अनुसंधान करें कि कैसे जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम किया जाए।

उन्होंने कहा कि भावी पीढिय़ों के लिए अनुसंधान की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी ताकि अनुसंधान के साथ विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों को हासिल कर सकें।

सिंफर के कार्यकारी निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कोटि का अनुसंधान करने के लिए वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ताओं को बेहतर सुविधा एवं माहौल प्रदान करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक शोध तीन शून्य की ओर निर्देशित है। इनमें शून्य गरीबी, शून्य प्रदूषण एवं शून्य बेरोजगारी शामिल हैं। देश में मौजूद गरीबी, प्रदूषण और बेरोजगारी को जड़ से उन्मूलन वैज्ञानिकों का मुख्य कर्तव्य होना चाहिए। कार्यक्रम में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रणविजय कुमार सिंह समेत अन्य उपस्थित थे।

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