यह चुनाव नहीं कोयले से काली कमाई की लड़ाई है साहब ! आसानी से फैसला थोड़े हो जाएगा Dhanbad News

रेलवे ठेकेदार कृपया ध्यान दें अभी राशि उपलब्ध नहीं है जैसे ही आएगी बिल भुगतान हो जाएगा। धनबाद रेल मंडल के किसी भी विभाग में जाइए इस तरह की उद्घोषणा सुनने को मिल जाएगी।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 10 Feb 2020 08:54 AM (IST) Updated:Mon, 10 Feb 2020 08:54 AM (IST)
यह चुनाव नहीं कोयले से काली कमाई की लड़ाई है साहब ! आसानी से फैसला थोड़े हो जाएगा Dhanbad News
यह चुनाव नहीं कोयले से काली कमाई की लड़ाई है साहब ! आसानी से फैसला थोड़े हो जाएगा Dhanbad News

धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। जलती धरती पर बसा झरिया। विधानसभा चुनाव के बाद यहां सत्ता परिवर्तन हो चुका है। एना, राजापुर, कुजामा, बस्ताकोला, भौंरा, लोदना जैसे इलाके में बीसीसीएल की खदानों से निकले कोयले की नीलामी हुई है। नीलामी के बाद व्यापारी को भंडार स्थल पर गाड़ी लगानी पड़ती है, मजदूरों से कोयला उठाव कराना होता है। और भी बहुत कुछ। यहां का काला सच है कि कोयला कारोबार करना है तो रंगदारी देनी होगी। यहां मैंशन का दबदबा है। उसकी बात उठाई तो आफत। सत्ता समीकरण बदलने के बाद नए रसूखदारों की मांग पूरी नहीं की तो फजीहत। बीसीसीएल के अफसर हलकान हैं कि इधर का इशारा सुनें या उधर का। फिर थानेदार पीके सिंह भी एके 47 लेकर घूम रहे हैं कि रंगदारों की खैर नहीं। उनका तो अलग ही रिकॉर्ड है। पलामू में माओवादी कमांडर को सरेआम चौक पर भून दिया था। वाकई, टेंशन तो है।

सर, वेतन तो दिला दीजिए

भारत सरकार की नवरत्न कंपनी बीसीसीएल। कोक के लिए सबसे शानदार कोयला उत्पादन करने को मशहूर। नौ दिन गुजर चुके हैं। कंपनी के 45 हजार कर्मी, अधिकारी से कामगार तक, को वेतन नसीब नहीं हुआ है। अधिकारी कोई काम करने का आदेश दे रहे हैं तो कर्मचारी तुरंत अनुरोध करते हैं, सर, वेतन तो दिला दीजिए। वेतन तो उनको भी नहीं मिला है। कुढ़ रहे हैं कि अपना दुखड़ा किसे सुनाएं। दरअसल, जीएसटी विभाग ने पहले बीसीसीएल का बैंक खाता फ्रीज कर दिया। फरमान जारी किया कि पहले हम लोगों का बकाया ढीला करो। प्रबंधन सकते में आ गया। वेतन की रकम डालते तो राशि जीएसटी वालों के पास चली जाती। इस झंझट से मुक्ति मिली तो इनकम टैक्स का लफड़ा। वित्त विभाग यह देखने में लग गया है कि अफसर से लेकर कर्मचारी तक किसके पे स्लिप से टीडीएस में कितनी रकम निकालनी है।

रेलवे में काम, दाम नहीं

रेलवे ठेकेदार कृपया ध्यान दें, अभी राशि उपलब्ध नहीं है, जैसे ही आएगी बिल भुगतान हो जाएगा। धनबाद रेल मंडल के किसी भी विभाग में जाइए, इस तरह की उद्घोषणा सुनने को मिल जाएगी। यह सुन-सुन कर रेलवे के ठेकेदार आजीज आ चुके हैं। इंतजार था रेल बजट का। उम्मीदें थीं। रेल बजट आने के बाद भी वही हाल। धनबाद रेल मंडल के इलेक्ट्रिकल जनरल, सिविल इंजीनियरिंग, टीआरडी समेत किसी कार्यालय में जाइए तो ठेकेदार भुनभुनाते दिख रहे हैं कि यहां काम तो है, दाम नहीं। बिल नहीं मिलने पर भिनभिनाए दो ठेकेदार रेल मंडल कार्यालय के सामने टकरा गए तो जुबान से बाहर आ गई असलियत। निविदा के करार के वक्त तीन से चार प्रतिशत कमीशन लेने में तनिक भी देरी नहीं होती। बिल मिला नहीं कि तुरंत चाहिए बचा कमीशन। अब बिल देने को अप्रैल में बुला रहे हैं। जय हो भारतीय रेल।

खामखां वासेपुर का नाम खराब

कोयला नगरी का आर्थिक मुख्यालय बैंक मोड़। व्यापारी रुपेश कारीवाल, पवन कुमार सोनी, शशि भूषण प्रसाद एवं मुकेश वर्मा को वाट्सअप पर संदेश आया कि रंगदारी दो, नहीं तो गैंग्स का कहर झेलने को तैयार हो जाओ। वासेपुर के दबंगों में कुछ जेल में, कुछ तड़ीपार तो कुछ फरार। चैंबर ऑफ कॉमर्स जैसे व्यापारी संगठनों ने शुरू कर दिया हो हल्ला। नई सरकार में रंगदारी के दनादन मुकदमे से पुलिस के आला अफसर हलकान। वासेपुर में बढ़ा दी दबिश। पुलिस अधिकारियों के तीन दल बनाकर अनुसंधान शुरू कराया गया। रंगदार अमित जयपुर में पकड़ाया। निकला पटना का। पता चला कि गैंग्स ऑफ वासेपुर के नाम का इस्तेमाल कर लाखों की रंगदारी लेने का इरादा था। चुपचाप। अब पटना के फïट्टेबाज पर पुलिस से ज्यादा वासेपुर के दबंग गुर्रा रहे हैं, खामखां गैंग्स का नाम खराब किया। मिल जाए तो भुरता बनाने को सब तैयार हैं।

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