पाक की चाल का कोयलांचल में भी विरोध, करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीनने के मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

करतारपुर साहिब का प्रबंधन पाकिस्तान सरकार ने सिखों से छीन लिया है। सरकार के आदेश के तहत गुरुद्वारा प्रबंधन अब पीएसजीपीसी की जगह इवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) देखेगी। इस फैसले का कोयलांचल के सिखों ने भी विरोध किया है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।

By Sagar SinghEdited By: Publish:Fri, 06 Nov 2020 12:59 PM (IST) Updated:Fri, 06 Nov 2020 02:19 PM (IST)
पाक की चाल का कोयलांचल में भी विरोध, करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीनने के मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा। (फाइल)

धनबाद, जेएनएन। गुरु नानक देव के पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब का प्रबंधन पाकिस्तान की इमरान सरकार ने सिखों से छीन लिया है। सरकार के आदेश के तहत गुरुद्वारा प्रबंधन अब पीएसजीपीसी की जगह इवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) देखेगी। सरकार के इस फैसले का विश्वभर के सिख विरोध कर रहे हैं। कोयलांचल भी इससे अछूता नहीं है। कोयलांचल के सिखों ने गहरा रोष जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही श्री करतारपुर साहिब का प्रबंधन फिर से सिखों को सौंपने की आवाज उठाई है।

सनद रहे कि गुरुनानक देव के 550वें अवतार दिहाड़े (प्रकाश पर्व) पर पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए खोला था। ईटीपीबी का गठन पाकिस्तान विभाजन के बाद किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब को प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान घोषित कर दिया है। गुरुद्वारा प्रबंधन के लिए जो नौ सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, उसमें पीएसजीपीसी के किसी भी सदस्य को नहीं रखा गया है। इससे गुरुद्वारा की मर्यादाओं में नौ अधिकारियों की दखल बढ़ जाएगी। इसमें प्रशासनिक नियंत्रण के साथ-साथ रख रखाव भी शामिल है। इस कमेटी को पीएमयू करतारपुर साहिब नाम दिया गया है।

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा साहिबान के रख-रखाव के लिए वर्ष 1996 में पीएसजीपी का गठन किया गया था। एसजीपीसी ने पाकिस्तान की इस घोषणा का कड़ा विरोध किया था। पीएसजीपीसी के गठन के बाद एसजीपीसी का पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा में पूरी तरह से दखल बंद हो गया था। मौजूदा व्यवस्था से भी सिखों में गहरा रोष है। -सेवा सिंह, पूर्व मेंबर, तख्त श्री पटना साहिब।

पीएसजीपीसी के गठन के बाद भी इटीपीबी का गुरुद्वारा साहिब के संचालन में पूरा दखल था। इटीपीबी पीएसजीपीसी के अध्यक्षों व कार्यकारिणी सदस्यों को मोहरा बनाककर गुरुद्वारा साहिबान का अप्रत्यक्ष रूप से संचालन करती रही है। पीएसजीपीसी जितनी भी बैठकें करती रही हैं, उसमें ईटीपीबी के अधिकारी मौजूद होते हैं। अब वहां पूरी तरह से उनका कब्जा हो गया है, जिसका विरोध किया जाएगा। -तेजपाल सिंह, प्रधान, बैंकमोड़ बड़ा गुरुद्वारा।

करतारपुर साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन को एक अलग ट्रस्ट को सौंपे जाने का फैसला अत्यंत निंदनीय है। यह सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सिख समुदाय ने भारत को दिए प्रतिवेदन में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से गुरुद्वारा प्रबंधन एवं रख-रखाव का काम एक गैर सिख निकाय इवैक्यूइ ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड को सौंपने से सिखों में चिंता का माहौल है। -सतपाल सिंह ब्रोका, प्रेस प्रवक्ता, बड़ा गुरुद्वारा।

दोनों देशों ने पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा साहिब का तक गलियारा खोल लोगों को जोड़ने का एक ऐतिहासिक कदम उठाया था। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड सिख निकाय नहीं है। पाकिस्तान का यह एकतरफा फैसला अत्यंत निंदनीय है और करतारपुर साहिब गलियारे और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। -सतनाम सिंह गंभीर, राष्ट्रीय महासचिव, एआईएसएसएफ।

पाकिस्तान द्वारा उस देश में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के अधिकारों को निशाना बनाने का निर्णय गंभीर चिंता का विषय है। इस तरह की कार्रवाई केवल पाकिस्तान सरकार और उसके नेतृत्व के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों और कल्याण के संरक्षण के बड़े बड़े दावों की वास्तविकता को उजागर करती है। इस कार्य से अलग तरह का माहौल बन गया, जो कि गलत है। -अमरजीत सिंह, पूर्व सचिव, जोड़ाफाटक गुरुद्वारा।

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