Date Palm Product: दुमका के खजूर पत्ते के उत्पाद विदेश में दिखेंगे, प्राकृतिक फाइबर के सामान का इंटरनेशनल बाजार खोजने वाला झारखंड पहला प्रदेश

लिम्स का अध्ययन है कि पूरे विश्व में खजूर के पत्तों के उत्पाद अभी सिर्फ तुर्की एवं लिबिया में तैयार हो रहे हैं। भारत तीसरा देश है। वर्तमान समय में प्राकृतिक फाइबर से बनी सामग्र्री को दुनिया भर में तरजीह दी जा रही है।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 08 Oct 2020 04:35 PM (IST) Updated:Fri, 09 Oct 2020 05:48 AM (IST)
Date Palm Product: दुमका के खजूर पत्ते के उत्पाद विदेश में दिखेंगे, प्राकृतिक फाइबर के सामान का इंटरनेशनल बाजार खोजने वाला झारखंड पहला प्रदेश
दुमका में खजूर के पत्ते से तैयार उत्पादों के साथ लिम्स निदेशक अजीत सेन।

दुमका [ आरसी सिन्हा ]। झारखंड की उप राजधानी दुमका के खजूर के पत्तों से बने सजावटी सामान, फाइल, चप्पल समेत अन्य उत्पाद जल्द ही यूके, कनाडा और सऊदी अरब के बाजार में दिखेंगे। प्राकृतिक फाइबर के उत्पाद का विदेश में बाजार खोजने वाला झारखंड पहला प्रदेश है। इससे आधी आबादी के नियोजन की भी राह खुल रही है।  लहांटी इंस्टीच्यूट ऑफ मल्टीपल स्कील (लिम्स) ने खजूर के बने उत्पादों के सैंपल यूके और कनाडा भेजे हैं। दोनों देशों से हरी झंडी मिल चुकी है। लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होते ही निर्यात शुरू हो जाएगा। हरित अर्थव्यवस्था से पहाडिय़ा समेत आदिवासी महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होंगी। खजूर के पत्तों से उत्पाद तैयार करने में उन्हें जन्मजात महारत हासिल है।

विश्व में भारत तीसरा देश

लिम्स का अध्ययन है कि पूरे विश्व में खजूर के पत्तों के उत्पाद अभी सिर्फ तुर्की एवं लिबिया में तैयार हो रहे हैं। भारत तीसरा देश है। वर्तमान समय में प्राकृतिक फाइबर से बनी सामग्र्री को दुनिया भर में तरजीह दी जा रही है। पर्यावरण संरक्षण व मानव की सेहत की दृष्टि से खजूर के पत्तों से बने उत्पाद की मांग और बढ़ेगी।

आदिवासी महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त होंगी

बांस के उत्पाद बनाने में लिम्स अग्रणी है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से गोपीकांदर में 60 महिलाओं को मुख्य प्रशिक्षक बनाया जा रहा है। अगले चरण की योजना 300 महिलाओं को खजूर पत्ते से उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित करने की है। उन्हेंं प्रोडक्ट का डिजाइन बताया जाएगा। महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिल जाएगा।

दुमका में खजूर के पेड़ों की कमी नहीं है। पहाडिय़ा समेत और आदिवासी महिलाएं पहले से खजूर के पत्ते की चटाई बनाती रही हैं। उन्हेंं बाजार की मांग के अनुरूप उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लायक उत्पाद बनने लगे हैं। विदेश से ऑर्डर भी मिले हैैं।

-अजीत सेन, निदेशक, लिम्स

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