केंद्रीय अस्पताल में लापरवाही की हद; संक्रमण के बाद भी नहीं किया जा रहा कोविड वार्ड में स्थानांतरण

BCCL के जगजीवन नगर स्थित केंद्रीय अस्पताल मैं कोविड-19 आईसीयू वार्ड में बेड के अभाव में गंभीर रोगियों की भी सही चिकित्सा नहीं की जा रहे इसके कारण रोगियों के स्वजनो ने बुधवार को भी अस्पताल में हंगामा किया। हालांकि उसका कोई निदान नहीं निकला।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 12:57 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 12:57 PM (IST)
केंद्रीय अस्पताल में लापरवाही की हद; संक्रमण के बाद भी नहीं किया जा रहा कोविड  वार्ड में स्थानांतरण
स्वजनो ने बुधवार को भी अस्पताल में हंगामा किया। हालांकि उसका कोई निदान नहीं निकला। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन:  BCCL के जगजीवन नगर स्थित केंद्रीय अस्पताल मैं कोविड-19 आईसीयू वार्ड में बेड के अभाव में गंभीर रोगियों की भी सही चिकित्सा नहीं की जा रहे इसके कारण रोगियों के स्वजनो ने बुधवार को भी अस्पताल में हंगामा किया। हालांकि उसका कोई निदान नहीं निकला। 

दरअसल चैतूडीह कोलियरी में कार्यरत प्रेमानंद राम केंद्रीय अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें सांस लेने में  तकलीफ है। डॉ. साहा उनका इलाज कर रहे हैं। राम की हालत नाजुक है। बावजूद उन्हें वेंटिलेटर नहीं दी जा रही। न आईसीयू में भर्ती ही किया जा रहा है। 

राम के स्वजनो के मुताबिक राम का सीटी चेस्ट कराया गया है। उसमें संक्रमण की बात साफ आई है। बावजूद आईसीयू नहीं भेजा जा रहा। चिकित्सा कर्मी भी मानते हैं कि उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है। वहीं डाक्टर का कहना है कि यह काम सीएमएस ही कर सकते हैं।

इधर सीएमएस  डॉ. आरके ठाकुर से कोई मांग फिलहाल नहीं किया जा सकता। वजह यह कि वे स्वयं कोरोना संक्रमित हैं और होम आइसोलेशन में हैं। डॉ. ठाकुर फोन से ही अस्पताल चला रहे हैं। कर्मचारियों को निर्देश दे रहे हैं। सामान्य लोगों के फोन से परहेज कर रहे हैं। स्वजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन कोरोना संक्रमितो की संख्या छुपा रहा है। 

विशेषकर BCCL के कर्मचारियों को भर्ती करने, उन्हें कोरोना संक्रमित मानने से इंकार कर रहा है। इसकी वजह है कि कोरोना वायरस से मृत्यु होने पर कंपनी को ₹1500000 एक्स ग्रेशिया देना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस संक्रमित का दूसरे अस्पताल में इलाज होने पर पूरा खर्चा कोल इंडिया को देना है। इसीलिए इस मामले में मांग करने पर भी दूसरे अस्पताल में रेफर नहीं किया जाता। जबकि अपने यहां बेड नहीं रहने के कारण उन्हें उचित सुविधा नहीं मिल रही। इस तरह प्रबंधन कर्मचारियों से धोखा कर रहा है। उन्हें इलाज का खर्च देने की घोषणा भी कर चुका है और इलाज भी नहीं करवा रहा।

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