BBMKU: सदन के हस्तक्षेप से कम हुई थी बीएड शुल्क, अब फिर से डेढ़ लाख; NSUI ने दी आंदोलन की चेतावनी
वागीश सिंह ने कहा कि कोरोना बीमारी से उभरे छात्रों पर इस तरह का आर्थिक बोझ डालना सरासर गलत फैसला है। ऐसे ही कोरोना काल में बहुत बड़ा छात्र वर्ग आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से दूर हो गया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। एनएसयूआइ बीएड शुल्क बढ़ोतरी करने पर एनएसयूआइ मुखर हो चुका है। एनएसयूआइ के विश्वविद्यालय अध्यक्ष वागीश सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल डीएसडब्ल्यू सह बीएड सेल की अध्यक्ष देबजानी विश्वास से मिला और ज्ञापन सौंपा। बीएड की फीस को कम करने का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि 2021-23 सत्र में बीएड की फीस को डेढ़ लाख कर दी गई है। यह पहले एक लाख 20 हजार थी। इसका एनएसयूआइ विरोध करती है। अभी-अभी कोरोना महामारी की मार से जनता जूझ रही है। ऐसे समय में यह शुल्क वृद्धि बहुत से छात्रों के पढ़ाई में बाधा बन सकती हैं। छात्र योग्यता रखते हुए भी पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे।
छात्रों पर आर्थिक बोझ डालना गलत
वागीश सिंह ने कहा कि कोरोना बीमारी से उभरे छात्रों पर इस तरह का आर्थिक बोझ डालना सरासर गलत फैसला है। ऐसे ही कोरोना काल में बहुत बड़ा छात्र वर्ग आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से दूर हो गया है। अब यह शुल्क वृद्धि ऐसी स्थिति उत्पन्न करना हुआ कि छात्र चाह कर भी बीएड की पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। प्रतिनिधिमंडल में बोकारो जिला सचिव रितिक सिंह, सौरभ कुमार, प्रतीक व एनएसयूआइ के सदस्य मौजूद थे।
पूर्णिमा ने कम कराई थी फीस
जिलाध्यक्ष गोपाल कृष्णा ने बताया कि पहले भी कोरोना काल में छात्रों की इस परेशानी को ध्यान रखते हुए एनएसयूआइ की मांग को आगे बढ़ाते हुए झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह ने इसे सदन में प्रस्तुत किया था। सदन के हस्तक्षेप के बाद 25 फीसद शुल्क माफ करके 90 हजार किया गया था और अब शुल्क को बढ़ाकर डेढ़ लाख कर देना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है। यह हमारी सरकार है। गरीब पिछड़ों के हित में काम करने वाली सरकार है। एसी कमरों में बैठकर सिंडिकेट के लोग गरीब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें। बढ़े हुए शुल्क को कम करना ही होगा। ऐसा न हुआ तो एनएसयूआइ फीस कम कराने के लिए उग्र आंदोलन को बाध्य होगी।