धनबाद में ऑक्सीजन सिलिंडर की जांच पर सिस्टम बेध्यान

धनबाद जिले में मरीजों से आक्सीजन के लिए मनमानी रकम की वसूली होती है लेकिन इसकी गुणवत्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 01:32 AM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 05:13 AM (IST)
धनबाद में ऑक्सीजन सिलिंडर की जांच पर सिस्टम बेध्यान
धनबाद में ऑक्सीजन सिलिंडर की जांच पर सिस्टम बेध्यान

धनबाद :

जिले में मरीजों से आक्सीजन के लिए मनमानी रकम की वसूली होती है, लेकिन इसकी गुणवत्ता की जांच न अस्पताल वाले करते हैं, न संबंधित एजेंसी ही करा पाती है। लिहाजा आक्सीजन कितना शुद्ध मरीजों तक पहुंच रहा है, इसकी मॉनिटरिग स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पा रहा है। पीएमसीएच में अपना ऑक्सजीन प्लांट नहीं है। अस्पताल ने एक निजी एजेंसी से करार कर रखा है। करार के तहत ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति एजेंसी करती है, लेकिन आक्सीजन की गुणवत्ता तो दूर, इसकी मात्रा की जांच भी पीएमसीएच प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। वहीं शहर के दो दर्जन बड़े निजी अस्पतालों में भी इसकी गुणवत्ता की जांच नहीं हो रही है। जिले में फिलहाल 145 से अधिक आक्सीजन सिलेंडर की खपत रोज हो रही है। इसमें निजी व सरकारी अस्पताल दोनों शामिल है।

जानें क्या है प्रावधान :

ऑक्सीजन को ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दवा अर्थात औषधि के रूप में माना गया है। इसकी जांच भी औषधि निरीक्षकों के दायरे में आती है। एक्ट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि किसी भी अस्पताल या नर्सिंग होम में औषधि निरीक्षक ऑक्सीजन का सैंपल लेकर उसकी शुद्धता जांच कर सकते हैं। हालांकि निर्देश के बाद कुछ निजी अस्पतालों में इसकी जांच शुरू हुई है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अस्पतालों में सप्लाई होने वाले सिलेंडर में 93 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन तथा सात प्रतिशत अन्य औषधि होनी चाहिए। यह ऑक्सीजन मरीजों के लिए फायदेमंद है। इसी लिए नियमित निगरानी व गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए।

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धनबाद में दो निजी ऑक्सीजन प्लांट, एक साल में ही केवल जांच

धनबाद के दो निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया है। सूत्रों के अनुसार साल में एक बार ही वहां गुणवत्ता की जांच हो पा रही है। हर साल जांच के बाद लाइसेंस निर्गत कर दिया जा रहा है। हालांकि इनकी नियमित जांच होनी चाहिए। कम से कम तीन महीने में जांच जरूरी है। पीएमसीएच में नहीं है अपना ऑक्सीजन प्लांट

500 बेड के पीएमसीएच में अपना कोई ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। इस कारण निजी एजेंसी से पीएमसीएच करार के तहत ऑक्सीजन खरीदता है। इसी ऑक्सीजन को सर्जिकल पीएमसीएच में ऑक्सीजन प्लांट व पाइप लाइन के लिए दस करोड़ रुपये आवंटित है, लेकिन पिछले चार वर्षो में आधा दर्जन बार टेंडर निकाला गया, लेकिन टेंडर फाइनल नहीं हो पाया। वर्जन

ऑक्सीजन को ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दवा माना गया है। इसकी शुद्धता की जांच शुरू की गयी है। एजेंसी व अस्पतालों को भी इसकी जांच करनी है।

शैल अंबष्ठ, ड्रग इंस्पेक्टर, धनबाद।

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